ETV Bharat / city

प्रसिद्ध है चौपारण की 'खीर मोहन' मिठाई, महात्मा गांधी ने भी चखा था इसका स्वाद

हजारीबाग के चौपारण की खीर मोहन मिठाई देश-विदेश में प्रसिद्ध है. सन 1932 से लोगों की जुबान में मिठास घोल रहा है. महात्मा गांधी ने भी भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान खीर मोहन का स्वाद चखा था.

kheer-mohan-of-chauparan-of-hazaribag-is-famous
'खीर मोहन' मिठाई
author img

By

Published : Oct 1, 2021, 5:28 PM IST

हजारीबागः जिला का चौपारण प्रखंड एक विशेष मिठाई के नाम से जाना जाता है. चौपारण का खीर मोहन की पहचान देश विदेश तक है. आलम यह है कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भी यहां का मिठाई चखा था. अपने साथ जो भी स्वतंत्र सेनानी थे, उन्हें भी मिठाई खिलाया था. 1932 से यह दुकान लोगों को मिठास की अनुभूति करवा रहा है.

इसे भी पढ़ें- आंखों में आंसू, जुबान में मिठास, अनोखे रसगुल्ले की अनोखी तासीर

चौपारण का खीर मोहन मिठाई की पहचान देश विदेश में है, जो भी चौपारण से गुजरता है तो खीर मोहन जरूर चखता है. चाहे वह दिल्ली जाए, बनारस, गया या फिर चौपारण से किसी और शहर तो अपने सगे संबंधी के लिए यहां का मिठाई जरूर ले जाता है. आलम यह है कि हर दिन यहां हजारों हजार गाड़ियां रूकती भी है.

देखें पूरी खबर

प्रारंभिक दौर में 1932 में यहां एकमात्र दुकान हुआ करता था जो खीर मोहन बेचा करता था. प्रतिष्ठान के मालिक बताते हैं कि उनके पिता, दादा यहां मिठाई बेचा करते थे. जिसे विशेष तरीके से बनाया जाता है. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब चौपारण से गुजरे थे तो उन्होंने मिठाई यहां खाई थी. साथ ही साथ अपने साथ चल रहे स्वतंत्रता सेनानियों को भी खीर मोहन खिलाया था.

उस वक्त भारतीय इस मिठाई को कम खाया करते थे. क्योंकि भारतीयों के पास पैसा नहीं हुआ करता था. इस कारण अंग्रेज ही अधिक मात्रा में मिठाई खाया करते थे. धीरे-धीरे समय बदलता चला गया और भारतीयों के बीच में यह मिठाई खूब प्रसिद्ध हो गया. यही नहीं यहां की मिठाई अब विदेशों तक पहुंच रहा है, जिससे यहां की खीर मोहन को बड़ी प्रसिद्धी मिली है.

इसे भी पढ़ें- रसगुल्ला के बाद अब खाइए 'इम्यून बूस्टर' चॉकलेट, रहिए कोरोना से दूर

इस दुकान के संचालक बताते हैं कि कोरोना कल के बाद दुकानों की संख्या में भारी इजाफा हुआ. चौपारण चौक पर ही लगभग 250 दुकान खीर मोहन के खुल गए हैं. जो व्यक्ति बाहर काम करने के लिए गया और वापस चौपारण आया तो फिर वह चौपारण से वापस नहीं लौटा. बल्कि यहीं दुकान खोलकर अपना व्यापार शुरु किया. उनका यह भी कहना है कि यहां कोई भी दुकान क्यों ना हो लेकिन उसके सामने खीर मोहन का फोटो जरूर देखने को मिलेगा. यह ही नहीं पान गुमटी भी है खीर मोहन के नाम से ही शुरु होता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं की खीर मोहन यहां की धड़कन है.

Kheer Mohan of Chauparan of Hazaribag is famous
खीर मोहन मिठाई
कई दुकान खीर मोहन के खुल जाने के कारण खुद को सबसे पुराना दुकान कहलाने वाले शंकर यादव ने इसकी कॉपीराइट को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. उनका कहना है कि यह कैसे बनता है यह सिर्फ और सिर्फ हमारे परिवार के लोग ही जानते हैं. बाकी लोग जो बना रहे हैं उन्होंने हमारा नाम कॉपी किया है. इस कारण हम लोगों ने इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.अगर आप भी चौपारण से गुजरते हैं तो एक बार जरूर खीर मोहन का स्वाद चखें. लेकिन ध्यान रहे कि दुकान सबसे पुराना और असली होना चाहिए. जिसे लेकर आपको थोड़ी मेहनत भी करनी पड़ेगी. जहां 50 रुपया में चार पीस खीर मोहन और उसके साथ रवड़ी आपके मुंह के स्वाद को बदल देगा और आप भी कहेंगे वाह खीर मोहन.

हजारीबागः जिला का चौपारण प्रखंड एक विशेष मिठाई के नाम से जाना जाता है. चौपारण का खीर मोहन की पहचान देश विदेश तक है. आलम यह है कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भी यहां का मिठाई चखा था. अपने साथ जो भी स्वतंत्र सेनानी थे, उन्हें भी मिठाई खिलाया था. 1932 से यह दुकान लोगों को मिठास की अनुभूति करवा रहा है.

इसे भी पढ़ें- आंखों में आंसू, जुबान में मिठास, अनोखे रसगुल्ले की अनोखी तासीर

चौपारण का खीर मोहन मिठाई की पहचान देश विदेश में है, जो भी चौपारण से गुजरता है तो खीर मोहन जरूर चखता है. चाहे वह दिल्ली जाए, बनारस, गया या फिर चौपारण से किसी और शहर तो अपने सगे संबंधी के लिए यहां का मिठाई जरूर ले जाता है. आलम यह है कि हर दिन यहां हजारों हजार गाड़ियां रूकती भी है.

देखें पूरी खबर

प्रारंभिक दौर में 1932 में यहां एकमात्र दुकान हुआ करता था जो खीर मोहन बेचा करता था. प्रतिष्ठान के मालिक बताते हैं कि उनके पिता, दादा यहां मिठाई बेचा करते थे. जिसे विशेष तरीके से बनाया जाता है. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब चौपारण से गुजरे थे तो उन्होंने मिठाई यहां खाई थी. साथ ही साथ अपने साथ चल रहे स्वतंत्रता सेनानियों को भी खीर मोहन खिलाया था.

उस वक्त भारतीय इस मिठाई को कम खाया करते थे. क्योंकि भारतीयों के पास पैसा नहीं हुआ करता था. इस कारण अंग्रेज ही अधिक मात्रा में मिठाई खाया करते थे. धीरे-धीरे समय बदलता चला गया और भारतीयों के बीच में यह मिठाई खूब प्रसिद्ध हो गया. यही नहीं यहां की मिठाई अब विदेशों तक पहुंच रहा है, जिससे यहां की खीर मोहन को बड़ी प्रसिद्धी मिली है.

इसे भी पढ़ें- रसगुल्ला के बाद अब खाइए 'इम्यून बूस्टर' चॉकलेट, रहिए कोरोना से दूर

इस दुकान के संचालक बताते हैं कि कोरोना कल के बाद दुकानों की संख्या में भारी इजाफा हुआ. चौपारण चौक पर ही लगभग 250 दुकान खीर मोहन के खुल गए हैं. जो व्यक्ति बाहर काम करने के लिए गया और वापस चौपारण आया तो फिर वह चौपारण से वापस नहीं लौटा. बल्कि यहीं दुकान खोलकर अपना व्यापार शुरु किया. उनका यह भी कहना है कि यहां कोई भी दुकान क्यों ना हो लेकिन उसके सामने खीर मोहन का फोटो जरूर देखने को मिलेगा. यह ही नहीं पान गुमटी भी है खीर मोहन के नाम से ही शुरु होता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं की खीर मोहन यहां की धड़कन है.

Kheer Mohan of Chauparan of Hazaribag is famous
खीर मोहन मिठाई
कई दुकान खीर मोहन के खुल जाने के कारण खुद को सबसे पुराना दुकान कहलाने वाले शंकर यादव ने इसकी कॉपीराइट को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. उनका कहना है कि यह कैसे बनता है यह सिर्फ और सिर्फ हमारे परिवार के लोग ही जानते हैं. बाकी लोग जो बना रहे हैं उन्होंने हमारा नाम कॉपी किया है. इस कारण हम लोगों ने इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.अगर आप भी चौपारण से गुजरते हैं तो एक बार जरूर खीर मोहन का स्वाद चखें. लेकिन ध्यान रहे कि दुकान सबसे पुराना और असली होना चाहिए. जिसे लेकर आपको थोड़ी मेहनत भी करनी पड़ेगी. जहां 50 रुपया में चार पीस खीर मोहन और उसके साथ रवड़ी आपके मुंह के स्वाद को बदल देगा और आप भी कहेंगे वाह खीर मोहन.

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.