हजारीबाग: सीएए को लेकर पूरे देश भर में बवाल मचा हुआ है. कई शहरों में इसे लेकर विरोध दर्ज किया गया है तो कई शहरों में इसके पक्ष में रैलियां निकाली जा रही हैं. ऐसे में भारत सरकार एक अभियान के तहत पूरे देश भर में जनप्रतिनिधियों के साथ यह समझाने की कोशिश कर रही है कि नागरिकता संशोधन एक्ट नागरिकता देने वाली है न कि नागरिकता छीनने वाली. ऐसे में जयंत सिन्हा ने हजारीबाग में बुद्धिजीवियों के साथ बैठ कर इस एक्ट के बारे में पूरी जानकारी दी.
नागरिकता भारत सरकार देगी
जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार ने बहुत ही मेहनत से कई बारीकियों को देखते हुए यह एक्ट बनाया है. इस एक्ट की यह विशेषता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया है. 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के 6 धर्मों के अल्पसंख्यकों को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा, उन्हें नागरिकता भारत सरकार देगी.
'अवैध शरणार्थी के रूप में नहीं देखा जाएगा'
जयंत सिन्हा ने कहा कि इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना भी 10 जनवरी 2020 से जारी कर दी है. जिसके तहत भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी के रूप में नहीं देखा जाएगा.
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'विपक्ष देश में कर रही गलत राजनीति
जयंत सिन्हा ने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस एक्ट के बारे में लोगों को जानकारी दें और उन्हें बताएं कि यह एक कितना लाभकारी है. उन्होंने यह भी कहा कि सीएए, एनआरसी, एनआरपी तीनों अलग-अलग मुद्दे हैं. लेकिन विपक्ष तीनों को एक साथ मिलाकर लोगों को दिग्भ्रमित कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष गलत राजनीति देश में कर रही है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.