हजारीबाग: राज्य का पहला सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के भवन निर्माण में अनियमितता की बात सामने आई है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में जनजातीय अध्ययन केंद्र का भवन बन रहा है. इस भवन के डीपीआर के साथ ही छेड़छाड़ किया गया है.
बदल दिया गया DPR
जनजातीय अध्ययन केंद्र को लेकर जो भवन का निर्माण विश्वविद्यालय परिसर में हो रहा है उसका DPR ही बदल दिया गया है. इसकी जानकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भी नहीं है.
बदल गया मॉडल
दरअसल, हजारीबाग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री रघुवर दास और राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के सामने जनजातीय अध्ययन केंद्र के भवन को शिलान्यास के दौरान भवन का मॉडल दिखाया गया था. जिसे देखकर प्रधानमंत्री समेत अन्य काफी संतुष्ट हुए थे और उसी मॉडल को बनाने की अनुमति भी दी थी. लेकिन अब यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिस मॉडल को बनाने की स्वीकृति दी गई थी, वह मॉडल अब बदल गया है.
कांट्रेक्टर की मनमानी
इसे लेकर हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा ने जमकर अधिकारियों की क्लास ली. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आखिर किस की जानकारी से डीपीआर ही बदल दिया गया है. उन्होंने कहा कि हजारीबाग में उल्टी गंगा प्रशासन बहा रही है. अधिकारियों और कांट्रेक्टर की मनमानी यहां दिख रही है, जो मॉडल दिखाया गया था, अब वह नहीं बन रहा है.
70 लाख रुपए बर्बाद हो जाएंगे
उन्होंने कहा कि इस टेंडर को अब रद्द करना होगा. जो प्रधानमंत्री को मॉडल दिखाया गया था उसी पर काम करना होगा. अगर ऐसा होता है तो 70 लाख रुपए बर्बाद हो जाएगा और इसका जवाब किसी के पास नहीं होगा. जयंत सिन्हा ने इस दौरान अधिकारियों को झाड़ लगाते हुए कहा कि किसकी गलती है, वह सामने आए. उन्होंने यह भी कहा कि तीन करोड़ के ऊपर का काम राज्य करता है, लेकिन कैसे स्थानीय स्तर पर टेंडर कर काम दे दिया गया. इसकी जांच करने की भी जरूरत है.
चड्ढा कंस्ट्रक्शन को डिजाइन बनाने की जिम्मेवारी
बता दें कि छह करोड़ रुपए से जनजातीय अध्ययन केंद्र के भवन का निर्माण कराया जाना है. जिसमें पर्यटन विभाग ने तीन करोड़, जयंत सिन्हा ने दो करोड़ और राज्यसभा सांसद परिमल नाथवानी ने एक करोड़ रुपए दिया है. हजारीबाग के सांसद चाहते थे जिस कंपनी ने अक्षरधाम मंदिर तैयार किया है, उसे ही जनजातीय अध्ययन केंद्र भवन बनाने की जिम्मेवारी दी जाए. लेकिन यहां स्थानीय स्तर पर ही टेंडर कर दिया गया और चड्ढा कंस्ट्रक्शन को डिजाइन बनाने की जिम्मेवारी दी गई.
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18 महीने का समय
इस भवन को बनाने के लिए 9 अगस्त 2018 में टेंडर किया गया. जिसमें दो लोगों ने टेंडर भरा. हजारीबाग के स्थानीय सौरभ जैन को टेंडर दिया गया. इस भवन को बनने में 18 महीने का समय दिया गया है. टेंडर निकालने का काम जिला परिषद हजारीबाग ने किया है.