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स्वच्छता का संदेश दे रहा यह पूजा पंडाल, कृत्रिम तालाब में किया जाता है मूर्ति का विसर्जन

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Published : Oct 9, 2019, 2:20 AM IST

पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कार्यक्रम किए जा रहे हैं. इसके साथ ही आम और खास सभी को जागरूक किया जा रहा है. हजारीबाग का दुर्गा पूजा स्वच्छ भारत का सबसे खूबसूरत उदाहरण बनता जा रहा है. यहां कृत्रिम तालाब में मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.

मूर्ति विसर्जन करते श्रद्धालु

हजारीबाग: दस दिनों तक मनाए जानेवाला त्योहार दुर्गा पूजा समाप्त हो गया, भक्तों ने मां को विदाई दी और यह आशीर्वाद मांगा कि अगले साल फिर तुम आना. हमारा यह साल खुशहाली के साथ बीते. ऐसे तो यह परंपरा रही है कि मां की प्रतिमा का विसर्जन तालाब या नदी में होता है. लेकिन हजारीबाग में मां की प्रतिमा का विसर्जन मंदिर परिसर में ही कृत्रिम तालाब बनाकर किया जाता है.

देखें पूरी खबर

दे रहे स्वच्छता क संदेश
पूजा समिति के सदस्यों ने प्रदूषण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. अब यह परंपरा दूसरे पूजा समितियों के लिए सबक बनती जा रही है. पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कार्यक्रम किए जा रहे हैं. अब हमारी यह परंपरा दूसरों के लिए एक उदाहरण बनता जा रहा है.

ये भी पढ़ें- पालकी में बिठाकर मां दुर्गा को दी गई विदाई, पुरुष के साथ महिलाओं ने भी किया सहयोग

कृत्रिम तालाब बनाकर होता है विसर्जन
हजारीबाग बंगाली दुर्गा मंडप में बहुत ही भव्यता के साथ दुर्गा पूजा मनाया जाता है. जहां भक्त 10 दिनों तक माता के दरबार में पहुंचकर हाजिरी लगाते हैं और पूजा करते हैं. विजयादशमी के दिन मंडप प्रांगण में ही कृत्रिम तालाब बनाकर मां का मूर्ति विसर्जन करते हैं. मंदिर प्रांगण में मूर्ति विसर्जन करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ भारत की परिकल्पना है. पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि तालाब में जहां मूर्ति विसर्जन किया जाता है वह साफ सफाई नहीं रहती है इस कारण मां विदाई देने में अच्छा महसूस नहीं करते हैं.

मंदिर प्रांगण में होता है विसर्जन
उनका यह भी कहना है कि मां की मूर्ति बनाते समय उसमें रंग समेत कई सामानों का उपयोग किया जाता है और जिस जल स्रोत में मूर्ति विसर्जन की जाएगी तो वहां का पानी भी अशुद्ध हो जाएगा. इस कारण स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मां की प्रतिमा का विसर्जन मंदिर प्रांगण में ही करते हैं. बाद में मूर्ति के मिट्टी को पेड़ पौधे के जड़ों में डाल दिया जाता है जिससे पेड़ पौधों को खाद्य के रूप में मिट्टी मिल जाती है.

हजारीबाग: दस दिनों तक मनाए जानेवाला त्योहार दुर्गा पूजा समाप्त हो गया, भक्तों ने मां को विदाई दी और यह आशीर्वाद मांगा कि अगले साल फिर तुम आना. हमारा यह साल खुशहाली के साथ बीते. ऐसे तो यह परंपरा रही है कि मां की प्रतिमा का विसर्जन तालाब या नदी में होता है. लेकिन हजारीबाग में मां की प्रतिमा का विसर्जन मंदिर परिसर में ही कृत्रिम तालाब बनाकर किया जाता है.

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दे रहे स्वच्छता क संदेश
पूजा समिति के सदस्यों ने प्रदूषण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. अब यह परंपरा दूसरे पूजा समितियों के लिए सबक बनती जा रही है. पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कार्यक्रम किए जा रहे हैं. अब हमारी यह परंपरा दूसरों के लिए एक उदाहरण बनता जा रहा है.

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कृत्रिम तालाब बनाकर होता है विसर्जन
हजारीबाग बंगाली दुर्गा मंडप में बहुत ही भव्यता के साथ दुर्गा पूजा मनाया जाता है. जहां भक्त 10 दिनों तक माता के दरबार में पहुंचकर हाजिरी लगाते हैं और पूजा करते हैं. विजयादशमी के दिन मंडप प्रांगण में ही कृत्रिम तालाब बनाकर मां का मूर्ति विसर्जन करते हैं. मंदिर प्रांगण में मूर्ति विसर्जन करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ भारत की परिकल्पना है. पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि तालाब में जहां मूर्ति विसर्जन किया जाता है वह साफ सफाई नहीं रहती है इस कारण मां विदाई देने में अच्छा महसूस नहीं करते हैं.

मंदिर प्रांगण में होता है विसर्जन
उनका यह भी कहना है कि मां की मूर्ति बनाते समय उसमें रंग समेत कई सामानों का उपयोग किया जाता है और जिस जल स्रोत में मूर्ति विसर्जन की जाएगी तो वहां का पानी भी अशुद्ध हो जाएगा. इस कारण स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मां की प्रतिमा का विसर्जन मंदिर प्रांगण में ही करते हैं. बाद में मूर्ति के मिट्टी को पेड़ पौधे के जड़ों में डाल दिया जाता है जिससे पेड़ पौधों को खाद्य के रूप में मिट्टी मिल जाती है.

Intro:दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा समाप्त हो गया। भक्तों ने मां को विदाई दी और यह आशीर्वाद मांगा कि अगले साल फिर तुम आना। यह साल हम लोगों का खुशी के साथ बीते। ऐसे तो यह परंपरा रही है कि मां की प्रतिमा का विसर्जन तालाब या नदी में होती है ।लेकिन हजारीबाग में मां का प्रतिमा मंदिर परिसर में ही कृत्रिम तालाब बनाकर किया जाता है। पूजा समिति के सदस्यों ने यह निर्णय प्रदूषण को देखते हुए लिया है। अब यह परंपरा दूसरे पूजा समितियों के लिए सबक बनती जा रही है।


Body:पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर कार्यक्रम किए जा रहे हैं ।साथ ही हर एक आम और खास को जागरूक किया जा रहा है। हजारीबाग का दुर्गा पूजा स्वच्छ भारत का सबसे खूबसूरत उदाहरण बनता जा रहा है।

हजारीबाग बंगाली दुर्गा मंडप में बहुत ही भव्यता के साथ दुर्गा पूजा मनाया जाता है। जहां भक्त 10 दिनों तक माता के दरबार में पहुंचकर हाजिरी लगाते हैं और पूजा करते हैं ।विजयादशमी के दिन मंडप प्रांगण में ही कृत्रिम तालाब बनाकर मां का मूर्ति विसर्जन करते हैं। मंदिर प्रांगण में मूर्ति विसर्जन करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ भारत की परिकल्पना है। पूजा समिति के सदस्यों का कहना है कि तालाब में जहां मूर्ति विसर्जन किया जाता है वह साफ सफाई नहीं रहती है इस कारण मां विदाई देने में अच्छा महसूस नहीं करते हैं ।उनका यह भी कहना है कि मां का मूर्ति बनता है उसमें रंग समेत कई सामान का उपयोग किया जाता है। जिस जल स्रोत में मूर्ति विसर्जन किया जाएगा तो वहां का पानी भी अशुद्ध हो जाएगा। इस कारण स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मां की प्रतिमा का विसर्जन मंदिर प्रांगण में ही करते हैं। बाद में मूर्ति के मिट्टी को पेड़ पौधे के जड़ों में डाल दिया जाता है जिससे पेड़ पौधों को खाद के रूप में मिट्टी मिल जाती है।

byte... अरविंद चौधरी बंगाली दुर्गा पूजा समिति सदस्य


Conclusion:हजारीबाग बंगाली दुर्गा बाड़ी पूरे देश में एक संदेश दे रहा है कि हम सभी को स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए और नई सोच लानी चाहिए ।तब जा कर स्वच्छ भारत की परिकल्पना साकार हो पाएगा।
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