खूंटी: जिले के जेल में बंद महिला बंदियों को सिलाई और बुनाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जेल में बंद महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वेटर और टोपी बनाने का हुनर सिखाया जा रहा है. स्वेटर और टोपी बनाने के बाद महिला बंदियों को बागवानी और खेतीबाड़ी करने की भी जानकारी दी जाएगी. पहले चरण में बंदियों द्वारा बनाए गए स्वेटर और टोपी को जिले के अनाथ बच्चों को दिया जा चुका है.
गंभीर अपराधों में शामिल रहने वाली खूंटी जेल में बंद 11 विचाराधीन महिला बंदियों को हुनरमंद बनाने की दिशा में डालसा ने सकारात्मक पहल की है. निराश महिला बंदियों में उम्मीद की किरण जगाने का काम हो रहा है. डालसा खूंटी के अध्यक्ष रसिकेस कुमार के मार्गदर्शन और सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर की सकारात्मक सोच से महिला बंदियों में उत्साह है.
कहा गया कि विभिन्न आरोपों में जेल में बंद महिला बंदियों के लिए समय काटना मुश्किल होता है. ऐसे में खाली बैठी महिला बंदियों के मन में कई तरह के विकार उत्पन्न होते रहते हैं. घर परिवार व बाल-बच्चों के भविष्य की चिंता में हर वक्त डूबी रहती थी. इस स्थिति को देख डालसा सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर भी काफी परेशान थी. वो हर पल इन महिला बंदियों के प्रति फिक्रमंद रहने लगी.
आखिरकार उनके मन में महिला बंदियों के प्रति कुछ अलग करने की सोच उत्पन्न हुई. उन्होंने डालसा अध्यक्ष रसिकेस कुमार से महिला बंदियों के बारे में चर्चा कर उसके लिए कुछ करने की बात कही. इसके बाद डालसा सचिव ने जेल की प्रभारी अधीक्षक अनुराधा कुमारी के साथ मिलकर स्वयं के पैसों से महिला बंदियों को पांच किलो ऊन और स्वेटर बुनने की सुई खरीद कर दी. महिलाएं धीरे-धीरे अब इस कला में दक्ष हो गई है.
सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि महिला बंदियों द्वारा बुने गए स्वेटर, मफलर और टोपी अब वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्ग महिला-पुरुषों को उपलब्ध कराया गया. जेल की प्रभारी अधीक्षक अनुराधा कुमारी ने बताया कि आने वाले दिनों में जेल में रह रही महिला बंदियों को कौशल प्रशिक्षण दिलाने की भी तैयारी है. इसके तहत महिला बंदियों को इच्छा के अनुसार सिलाई, बागवानी के साथ ही मेडिटेशन कोर्स कराया जाएगा.
जेल प्रभारी ने बताया कि सभी महिला बंदी विचाराधीन हैं. जब वे यहां से जाएंगी तो अपने हाथों में हुनर लेकर जाएं, ताकि वे आगे अपने पैरों में खड़ी हो पाएं. अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर पाए. उन्होंने बताया कि कुछ महिलाएं निरक्षर भी हैं, उन्हें भी प्रारंभिक शिक्षा दी जा रही है. जिससे वे अपने काम को बखूबी कर पाएं. जेल में कैद ज्यादातर महिलाएं खूंटी जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों की रहने वाली है.
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