हजारीबाग/रांची: हजारीबाग के बहुचर्चित माहेश्वरी परिवार हत्याकांड (Hazaribagh Maheshwari family murder case) की जांच को लेकर सीआईडी (CID) की टीम कितनी गंभीर है, इसकी पोल खुल गई है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की 4 सदस्यीय टीम ने जब जांच रिपोर्ट तलब किया तो सीआईडी (CID) उसे पेश नहीं कर पाई. इसपर कड़ी आपत्ति जताते हुए टीम ने 21 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा है, साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर जांच पूरी नहीं हुई तो दूसरी एजेंसी को जिम्मेदारी दी जा सकती है.
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जानकारी के मुताबिक मानवाधिकार टीम (National Human Rights Commission) का नेतृत्व जस्टिस अरुण मिश्रा कर रहे थे. रिव्यू के दौरान सीआईडी (CID) की ओर से सीआईडी के डीआईजी के अलावा हजारीबाग के भी पदाधिकारी उपस्थित थे. 14 जुलाई 2018 को खजांची तालाब के पास बने सीडीएम शुभम अपार्टमेंट के कमरा नंबर 303 में रह रहे माहेश्वरी परिवार के 6 लोगों की रहस्यमय परिस्थिति में लाश बरामद हुई थी. यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था, लेकिन अभी तक इसकी गुत्थी नहीं सुलझ पाई है कि माहेश्वरी परिवार ने आत्महत्या की थी या हत्या हुई थी.
घटनास्थल से माहेश्वरी परिवार के मुखिया महावीर अग्रवाल, पत्नी किरण अग्रवाल, बेटा नरेश माहेश्वरी, बहू प्रीति अग्रवाल, पोता अमन अग्रवाल और पोती अन्वी उर्फ परी अग्रवाल का शव बरामद हुआ था. महावीर अग्रवाल का शव बेडरूम के पंखे से लटका मिला था. नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट के बाहर नीचे गिरा पड़ा था. किरण अग्रवाल का गला कटा शव बिस्तर पर पड़ा था. प्रीति अग्रवाल और अमन का शव पंखे से झूलता मिला था. पोती अन्वी का शव सोफा से बरामद किया गया था.
शुरू में इस मामले की जांच हजारीबाग पुलिस कर रही थी. जब हजारीबाग पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो इस मामले को सीआईडी को दे दिया गया था. लेकिन सीआईडी भी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. अब मानवाधिकार आयोग की टीम की सख्ती के बाद उम्मीद की जा रही है कि सीआईडी की टीम गंभीरता के साथ जांच को अंजाम तक पहुंचाएगी.