हजारीबाग: कोरोना संक्रमण के पैर पंसारने के साथ ही ऑक्सीजन की किल्लत हजारीबाग में बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि जो ऑक्सीजन सिलेंडर का व्यवसाय करते थे उनके पास स्टॉक खत्म हो चुका है. विभिन्न नर्सिंग होम और अस्पताल बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाने को मजबूर हो रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग को ऑक्सीजन सिलेंडर की बेहद जरूरत है.
ये भी पढ़ें- 24 घंटों में मिले 3,992 संक्रमित, 50 लोगों की गई जान, राज्य में लगभग 29 हजार एक्टिव मरीज
कोरोना संक्रमण के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर हर एक हॉस्पिटल को चाहिए. हजारीबाग के निजी अस्पताल में सेवा देने वाले कोविड यूनिट के इंचार्ज रवि सिंह बताते हैं कि जितने भी मरीज आ रहे हैं उसमें 80% मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. पहले अस्पताल में 30 से 40 सिलेंडर में काम हो जाता था, लेकिन मौजूदा वक्त में 150 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ रही है. आलम यह है कि दूसरे जिलों से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा रहे हैं, ताकि मरीजों को उचित सेवा मिल सके.
ऑक्सीजन सिलेंडर की बढ़ गई मांग
वहीं, हजारीबाग में 2 ऐसे व्यवसायी हैं, जो ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करते हैं. उनका कहना है कि हाल के दिनों में ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ गई है. ऐसे में उनके पास भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है. पहले इक्का-दुक्का मरीज ही ऑक्सीजन लेने आते थे, लेकिन आज आलम यह है कि अस्पताल के साथ-साथ घरों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ गई है. ऐसे में वो लोग ऑक्सीजन सप्लाई कर नहीं पा रहे हैं.
डॉक्टर के कंसल्ट में रहें
हजारीबाग सिविल सर्जन भी बताते हैं कि ऑक्सीजन सिलेंडर आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है. सरकार ने दो तरह के नियम बनाए हैं. ऐसे व्यक्ति जो बहुत अधिक संक्रमित नहीं हैं, वो होम क्वारंटीन रहेंगे, जिनकी स्थिति ठीक नहीं है वो अस्पताल आएंगे. ऐसे में लोग घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर रखे हुए हैं. उनका यह भी कहना है कि अगर ऑक्सीजन लेवल मेंटेन नहीं होता है, तो ऐसे मरीज को अस्पताल लाने की जरूरत है, ना कि घर पर ही उपचार करने की. ऑक्सीजन किस को देना है यह डॉक्टर पर निर्भर करता है, लेकिन फिर भी अगर घर पर मरीज रखकर इलाज कर रहे हैं तो जरूरत है डॉक्टर के कंसल्ट में रहने की.
लोगों को जागरुक होने की जरूरत
निजी अस्पताल में कोविड-19 सेवा देने वाले रवि सिंह यह भी बताते हैं कि उन लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि बिना जरूरत के ही लोग अपने घरों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर रखे हैं. ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत बाजार में बढ़ती जा रही है. व्यापारी ब्लैक मार्केटिंग भी कर रहे हैं. आम जनता को जागरूक होने की जरूरत है कि वह घर पर स्टॉक ना रखें. घर पर स्टॉक रखने के कारण जरूरतमंद को ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलेगी, तो जान भी जा सकती है.
आक्सीजन देने से पहले बरतें सावधानी
मरीज को ऑक्सीजन देने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें. क्योंकि किस मरीज को कितना लेवल देना है ये तो डॉक्टर ही तय करेंगे. विशेषज्ञ बताते हैं कि हर नए मरीज के लिए ऑक्सीजन लेते वक्त नया मास्क होना चाहिए. उपयोग के बाद मास्क को अच्छी तरह से रखें. ऑक्सीजन देते वक्त बदन में कितन ऑक्सीजन है, उसको भी हमेशा देखने की जरूरत होती है. जब ऑक्सीजन लेवल सामान्य हो जाए तो ऑक्सीजन सप्लाई बंद करनी चाहिए और बॉडी का ऑक्सीजन लेवल नापना चाहिए. अगर ऑक्सीजन लेवल फिर गिरता है तो सीधे डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है. अगर आप थोड़ी सी भी लापरवाही करते हैं, तो अंजाम गंभीर हो सकते हैं.
ऑक्सीजन देकर शरीर के ट्यूशन को दोबारा से सक्रिय बनाते हैं
ऑक्सीजन सिलेंडर एक हाई प्रेशर नॉन रिएक्टिव सिमलेस टेंपर्ड स्टील कंटेनर होता है. जिसमें कंप्रेस्ड गैस भरी होती है. मरीजों को ऑक्सीजन देकर शरीर के ट्यूशन को दोबारा से सक्रिय बनाया जाता है, जिससे मरीज की जान बच जाती है.