हजारीबागः जिला में कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Corona) के कहर से अभी लोग संभले भी नहीं कि अब कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) का खतरा सिर पर मंडरा रहा है. हजारीबाग में डेल्टा वेरिएंट के 39 मामले सामने आए हैं. वहीं यूके वेरिएंट के भी दो मामले सैंपल की जांच में सामने आए हैं. ऐसे में एहतियात बरतने की जरूरत बढ़ती जा रही है.
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हजारीबाग में कोरोना (Corona in Hazaribag) की लहर में लगभग 380 लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में ना जाने कितने घर उजड़ गए, कितनों की जान चली गई. अब तीसरी लहर के आने की बात कही जा रही है. इसको लेकर स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड में चला गया है. झारखंड में मरीजों की कोरोना जांच के नमूने में वायरस का डेल्टा वेरिएंट मिलने की बात कही गई है. हजारीबाग झारखंड में चौथा ऐसा जिला है, जहां डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है.
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जमशेदपुर, रांची, धनबाद के बाद हजारीबाग का नाम सामने आ रहा है. अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार डेल्टा वेरिएंट के 39 केस हजारीबाग के मिले हैं. इस साल कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Corona) अप्रैल से जून के बीच कोविड काल के दौरान एकत्र किए गए 328 सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) में 62% सैंपल में डेल्टा वेरिएंट पाया गया है. सभी सैंपल भुवनेश्वर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंस लैब (Institute of Life Science Lab, Bhubaneswar) जांच के लिए भेजे गए थे. जहां जांच के दौरान डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है.
ऐसे में हजारीबाग सदर अस्पताल के सिविल सर्जन (Civil Surgeon of Hazaribag Sadar Hospital) भी चिंतित हैं. उनका कहना है कि हम लोग अब युद्धस्तर पर तैयारी कर रहे हैं ताकि उचित इलाज लोगों को दी जा सके. डेल्टा वेरिएंट और यूके वेरिएंट (Delta variant and UK variant) मिलने के बाद स्वास्थ्य पदाधिकारी भी आम जनता से अपील कर रहे हैं कि वो सावधान रहें, भीड़ वाले इलाके में ना जाएं (Avoid crowd), कोशिश करें कि सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के जो नियम हैं, उनका पालन हो सके, मास्क (Mask) का उपयोग हमेशा करें, दिनभर में निश्चित समय अंतराल के बाद हाथ धोते रहें (Wash hands frequently), तभी हम लोग सुरक्षित रह सकते हैं.
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डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार डेल्टा कोरोना के अन्य वेरिएंट की तुलना में 50% अधिक तेजी से फैलता है. यह वायरस लंबे समय तक जीवित रहने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमित करने के लिए लगातार अपने जिनोम (Genome) में बदलाव करता है. कप्पा और अल्फा कोरोना (Kappa and Alpha Corona) के स्वरूप डेल्टा के मुकाबले इतने ज्यादा प्रभावी नहीं होते हैं. ऐसे में जरूरत है सजग रहने की और वेरिएंट के प्रभाव पर नजर बनाए रखने की ताकि यह समझा जा सके कि इसका प्रभाव हमपर पड़ रहा है या नहीं.