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हजारीबाग के छात्र ने बनाया एप, क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन वार्ड के मरीजों को करेगा ट्रैक

हजारीबाग में एनआईटी छात्रों के जरिए सुरक्षा मोबाइल ऐप बनाया गया है. युवा इंजीनियर नमन ने इस एप को अपने दोस्तों के साथ मिलकर बनाया है. इस एप के जरिए क्वॉरेंटाइन और आइसोलेशन वार्ड के मरीजों को ट्रैक करेगा.

Hazaribag student created app for track quarantine and isolation ward patients
हजारीबाग के छात्र ने बनाया एप
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Published : Apr 15, 2020, 4:10 PM IST

हजारीबाग: कोरोना जैसी महामारी के समय में प्रशासन वैसे लोगों पर नजर रख रहा है जो आइसोलेशन या फिर क्वॉरेंटाइन में है. लेकिन अब जिला प्रशासन को चिंता करने की बात नहीं है. हजारीबाग के युवा छात्र ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सुरक्षा मोबाइल एप बनाया है, जो संदिग्ध कोरोना मरीज या फिर आइसोलेटेड वार्ड के मरीजों पर नजर रखेगा.

हजारीबाग के छात्र ने बनाया एप

बता दें कि तकनीक के उपयोग से होम क्वॉरेंटाइन या फिर आइसोलेशन वार्ड में रखें मरीजों की निगरानी और उनको ट्रैक करने के लिए एनआइटी छात्रों के जरिए सुरक्षा मोबाइल एप बनाया गया है. हजारीबाग के रहने वाले युवा इंजीनियर ने इस एप को अपने दोस्तों के साथ मिलकर बनाया है. इस एप को बनाने के लिए लगभग 10 से 15 दिनों तक पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत की है. अब यह एप बनकर तैयार हो चुका है. इस ट्रैकिंग एप को संदिग्ध मरीज के मोबाइल में डाउनलोड करना होगा और उस एप में जो जानकारी मांगी जाएगी वह देना होगा. जैसे ही एप संदिग्ध मरीज डाउनलोड करेगा उसकी लोकेशन की जानकारी कंट्रोल रूम को मिल जाएगी. अगर 300 मीटर की दूरी से बाहर निकलेगा तो वह एप कंट्रोल रूम को जानकारी देगा कि मरीज बाहर निकला है. ऐसे में प्रशासन उस व्यक्ति से संपर्क कर फिर उसे क्वॉरेंटाइन करवा पाएगा. इस एप में हर दो घंटे पर अपना सेल्फी अपलोड करना है. ताकि अगर कोई संदिग्ध एप के साथ छेड़छाड़ या डिलीट करता है तो उसकी भी जानकारी मिल सके.

ये भी पढ़ें- 14 दिनों के लिए होम क्वारेंटाइन हुए सांसद पीएन सिंह, दिल्ली से लौटे थे धनबाद

एप बनाने वाले छात्र कहते हैं कि यह एप लोकेशन के आधार पर काम करेगा जो प्रशासन को मदद करेगा. हजारीबाग जिला प्रशासन इस एप को पाने के बाद उत्साहित भी है. उनका कहना है कि जिस तरह से हजारीबाग के युवा ने एप बनाया है यह प्रशासन को अलर्ट सूचना देगा. प्रशासन इस एप की मदद से संबंधित व्यक्ति पर तकनीक के जरिए नजर रखेगा. अगर संदिग्ध मरीज अपनी जगह छोड़ता है तो जानकारी मिलेगी और हम कार्रवाई कर पाएंगे. एप बनाने के बाद जिला प्रशासन ने भी इसे स्वीकार कर लिया है. ऐसे में एप बनाने वाले छात्र के माता-पिता भी काफी उत्साहित है. उनका कहना है कि हम लोगों के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है कि हमारे बच्चे ने ऐसा एप बनाया है जो जिला प्रशासन को मदद करेगा.

नमन की मां कहती है दिन-रात मेरे बेटे ने इस एप को बनाने के लिए मेहनत किया है. उनके दोस्त टेलीफोन से एक दूसरे से जुड़े हुए रहते थे और बात किया करते थे. उस वक्त मुझे नहीं पता था कि मेरा बेटा क्या कर रहा है. लेकिन आज जब एप बन कर तैयार हुआ और उसने जानकारी दी तो काफी खुशी हुई है. सुरक्षा एप बनाने में हजारीबाग के छात्र कुमार नमन के अलावा सूरज कुमार, वैभव, संजय, अनिरुद्ध, अभिनव, आयुष, ऋषभ का भी योगदान रहा. एप बनाने वाले छात्र ने एनआइटी जमशेदपुर के डायरेक्टर करुणेश कुमार शुक्ला को भी उनके मदद के लिए धन्यवाद दिया है.

हजारीबाग: कोरोना जैसी महामारी के समय में प्रशासन वैसे लोगों पर नजर रख रहा है जो आइसोलेशन या फिर क्वॉरेंटाइन में है. लेकिन अब जिला प्रशासन को चिंता करने की बात नहीं है. हजारीबाग के युवा छात्र ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सुरक्षा मोबाइल एप बनाया है, जो संदिग्ध कोरोना मरीज या फिर आइसोलेटेड वार्ड के मरीजों पर नजर रखेगा.

हजारीबाग के छात्र ने बनाया एप

बता दें कि तकनीक के उपयोग से होम क्वॉरेंटाइन या फिर आइसोलेशन वार्ड में रखें मरीजों की निगरानी और उनको ट्रैक करने के लिए एनआइटी छात्रों के जरिए सुरक्षा मोबाइल एप बनाया गया है. हजारीबाग के रहने वाले युवा इंजीनियर ने इस एप को अपने दोस्तों के साथ मिलकर बनाया है. इस एप को बनाने के लिए लगभग 10 से 15 दिनों तक पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत की है. अब यह एप बनकर तैयार हो चुका है. इस ट्रैकिंग एप को संदिग्ध मरीज के मोबाइल में डाउनलोड करना होगा और उस एप में जो जानकारी मांगी जाएगी वह देना होगा. जैसे ही एप संदिग्ध मरीज डाउनलोड करेगा उसकी लोकेशन की जानकारी कंट्रोल रूम को मिल जाएगी. अगर 300 मीटर की दूरी से बाहर निकलेगा तो वह एप कंट्रोल रूम को जानकारी देगा कि मरीज बाहर निकला है. ऐसे में प्रशासन उस व्यक्ति से संपर्क कर फिर उसे क्वॉरेंटाइन करवा पाएगा. इस एप में हर दो घंटे पर अपना सेल्फी अपलोड करना है. ताकि अगर कोई संदिग्ध एप के साथ छेड़छाड़ या डिलीट करता है तो उसकी भी जानकारी मिल सके.

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एप बनाने वाले छात्र कहते हैं कि यह एप लोकेशन के आधार पर काम करेगा जो प्रशासन को मदद करेगा. हजारीबाग जिला प्रशासन इस एप को पाने के बाद उत्साहित भी है. उनका कहना है कि जिस तरह से हजारीबाग के युवा ने एप बनाया है यह प्रशासन को अलर्ट सूचना देगा. प्रशासन इस एप की मदद से संबंधित व्यक्ति पर तकनीक के जरिए नजर रखेगा. अगर संदिग्ध मरीज अपनी जगह छोड़ता है तो जानकारी मिलेगी और हम कार्रवाई कर पाएंगे. एप बनाने के बाद जिला प्रशासन ने भी इसे स्वीकार कर लिया है. ऐसे में एप बनाने वाले छात्र के माता-पिता भी काफी उत्साहित है. उनका कहना है कि हम लोगों के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है कि हमारे बच्चे ने ऐसा एप बनाया है जो जिला प्रशासन को मदद करेगा.

नमन की मां कहती है दिन-रात मेरे बेटे ने इस एप को बनाने के लिए मेहनत किया है. उनके दोस्त टेलीफोन से एक दूसरे से जुड़े हुए रहते थे और बात किया करते थे. उस वक्त मुझे नहीं पता था कि मेरा बेटा क्या कर रहा है. लेकिन आज जब एप बन कर तैयार हुआ और उसने जानकारी दी तो काफी खुशी हुई है. सुरक्षा एप बनाने में हजारीबाग के छात्र कुमार नमन के अलावा सूरज कुमार, वैभव, संजय, अनिरुद्ध, अभिनव, आयुष, ऋषभ का भी योगदान रहा. एप बनाने वाले छात्र ने एनआइटी जमशेदपुर के डायरेक्टर करुणेश कुमार शुक्ला को भी उनके मदद के लिए धन्यवाद दिया है.

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