हजारीबागः अगर हुनर है तो उसका रास्ता कोई रोक नहीं सकता, लक्ष्य के प्रति ललक हो तो फिर उसे साधने के लिए खुद के पास संसाधन हो या ना हो. लेकिन अंत में हुनर निखरकर सबके सामने आ ही जाता है. अपने हुनर से कुछ इसी तरह की सीख दे रही हैं हजारीबाग की सृष्टि कुमारी. जिनके पास अपनी राइफल तक नहीं है. लेकिन उन्होंने अपने दमखम और मेहनत से Pre National Shooting Championship में पूरे हिंदुस्तान में 12वां रैंक हासिल किया है.
इसे भी पढ़ें- हजारीबाग के 6 शूटर राष्ट्रीय स्तर पर दिखाएंगे जलवा, ओलंपिक पर साधेंगे 'निशाना'
खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार कई योजनाएं धरातल पर उतारा है. लेकिन अभी भी ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है और अपने दमखम पर इतिहास रचने को बेकरार हैं. इन्हीं में एक हैं सृष्टि, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से राज्य स्तरीय शूटिंग प्रतियोगिता में पांचवा रैंक प्राप्त किया. यही नहीं अहमदाबाद में आयोजित प्री नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में पूरे हिंदुस्तान में पहुंचे खिलाड़ियों में 12वां रैंक हासिल किया है.
64वें नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में संपूर्ण देश में शामिल करीब 25 हजार खिलाड़ियों के बीच सृष्टि ने 33वां रैंक हासिल किया. इसके साथ ही उन्होंने नेशनल क्वालीफाई करते हुए इंडियन टीम में शामिल होने के लिए ट्रायल में अपनी जगह बना ली है. अब बहुत ही जल्द ट्रायल का आयोजन भी होने जा रहा है.
दोस्तों और कोच की रायफल से निखरा हुनर
हजारीबाग की राष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी सृष्टि कुमारी इंडियन टीम में जगह बनाने के लिए ट्रायल देंगी. सृष्टि बताती हैं कि उनको देश सेवा के लिए आगे जाना है. इसलिए उन्होंने राइफल शूटिंग में ट्रेनिंग ली, अब वो अपना कैरियर बनाने को आतुर हैं. उनका कहना है कि अगर मेरे पास अपनी राइफल होती तो वो और अच्छा कर सकती थीं. लेकिन राइफल नहीं होने के कारण राह में कई मुसीबतें भी आ रही हैं. सृष्टि बताती हैं कि उनके दोस्त और कोच मदद करते हैं. उनकी राइफल से ही वो प्रैक्टिस करती हैं और उनकी ही राइफल से कई प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. अब नेशनल ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए तैयारी कर रही हैं.
इसे भी पढ़ें- जानिये किस राज्य की पहली महिला पैरा शूटिंग चैंपियन सड़क पर बेच रही हैं नमकीन-बिस्कुट
मेरी बेटी बेटा से बढ़कर- सृष्टि की मां
सृष्टि कुमारी शहर के नवाबगंज में किराए के मकान में रहती हैं. सृष्टि की चार बहनें हैं. मां सुनीता देवी बताती हैं कि हम लोगों का परिवार मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है. घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य सृष्टि के पिता विजय कुमार हैं. जो दिल्ली गुड़गांव में एक होटल में वेटर का काम करते हैं. काफी मुसीबत में रहकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. बेटी की ख्वाहिश थी कि शूटिंग सीखें, उसे शूटिंग सिखाया. मुझे इस बात का गर्व है कि मेरी बेटी बेटा से बढ़कर है.
हजारीबाग के युवा सृष्टि की काबिलियत से काफी प्रेरित हैं. वो कहते हैं कि कठिन परिश्रम करने से मुकाम भी प्राप्त किया जा सकता है. संसाधन और पैसा कभी भी रास्ते में रोड़ा नहीं बनता है. हजारीबाग की बेटी सृष्टि ने मेहनत की, अपने हुनर को निखारा और राष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल किया. स्थानीय लोग इसको लेकर कहते हैं कि वो कोशिश करेंगे कि सृष्टि को हरसंभव मदद मिले, उनके लिए जनप्रतिनिधियों से भी मदद के लिए कहेंगे.
हजारीबाग जिला खेल पदाधिकारी कहते हैं कि वैसे खिलाड़ी जिनके पास संसाधन नहीं है, उन्हें विभाग के द्वारा मदद किया जाता है. वो अपना आवेदन जिला में दे सकते हैं. जिला में एक निवारण कमिटी गठित है जो समस्या का हल करता है और मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराता है. सृष्टि कुमारी उन लोगों को भी सीख दे रही हैं जो इस उम्मीद में रहते हैं कि सरकार या समाज से मदद मिलेगा और हम अपना प्रदर्शन दिखाएंगे. लेकिन सृष्टि ने अपनी काबिलियत से हुनर को निखारा. जरूरत है सृष्टि को प्रोत्साहित करने की ताकि वह राष्ट्रीय स्तर पर अपना जगह बनाकर अंतरराष्ट्रीय खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करे.