हजारीबाग: स्वच्छ भारत मिशन देश की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है. इसके तहत देश को खुले में शौच से मुक्त करना है. हजारीबाग नगर निगम (Hazaribag Municipal Corporation) में भी युद्ध स्तर पर शौचालय का निर्माण कराया गया है. 13 ऐसे शौचालय हैं, जो बनकर तैयार है, लेकिन उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. अब उनमें से 4 शौचालय पर फिर से निगम लगभग 12 लाख रुपया खर्च करने जा रही है, ताकि उपयोग के लायक हो सके.
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आम जनता अपनी गाढ़ी कमाई से टैक्स भरती है. टैक्स के पैसे से कई योजनाओं को धरातल पर उतारा जाता है. हजारीबाग नगर निगम इन दिनों योजना तो धरातल पर उतार रही है, लेकिन उस योजना का लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. नगर निगम क्षेत्र में सैकड़ों शौचालय का निर्माण कराया गया, लेकिन 13 ऐसे मॉडल शौचालय हैं, जिसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. इसका मुख्य कारण सरकारी बाबूओं की लापरवाही है. वर्षों से उपयोग में नहीं आने के कारण अब शौचालय भी जर्जर स्थिति में हो गई है. ऐसे में उन शौचालयों को दुरुस्त कर एनजीओ को देने की तैयारी चल रही है.
शौचालय चलाने के लिए किया जाएगा इच्छुक लोगों से कॉन्टेक्ट
शुलभ इंटरनेशनल शौचालय के अलावा वैसे व्यक्ति जो शौचालय चलाने के लिए इच्छुक हैं. उनसे नगर निगम कॉन्टेक्ट करेगी, ताकि शौचालय शुरू किया जा सके. हजारीबाग नगर निगम की नगर आयुक्त गरिमा सिंह भी मानती हैं कि शौचालय जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए, ताकि जिस उद्देश्य से शौचालय का निर्माण कराया गया है, वह पूरा हो सके.
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4 शौचालयों का होगा जीर्णोद्धार
यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन 13 शौचालयों में से 4 शौचालय का चयन किया गया है, जिसका जीर्णोद्धार किया जाएगा. इसके लिए लगभग 12 लाख रुपये खर्च करने की योजना बनाई गई है. यह शौचालय हजारीबाग के विभिन्न इलाकों में है. जिनमें सदर प्रखंड के पास, कुम्हार टोली, निर्मल महतो पार्क के पास और गाड़ीखाना में है. इनमें सबसे खराब स्थिति कुम्हार टोली के शौचालय की है, जहां शौचालय 3 साल से बनकर तैयार है. अब शौचालय कि स्थिति बद से बदतर हो गई है. उसे भी दुरुस्त करने के लिए तैयारी शुरू कि जा रही है. हजारीबाग की मेयर ने भी स्वीकार किया है कि जब शौचालय बनकर तैयार हुआ था, अगर उस वक्त शुरू कर दिया जाता तो फिर से पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं होती.
ग्रामीणों को हो रही परेशानी
कुम्हार टोली में रहने वाले लोगों का कहना है कि हमलोग बहुत परेशान हैं. सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है. 3 साल पहले शौचालय बनकर तैयार हो गया, लेकिन उपयोग नहीं होने के कारण बर्बाद हो गया, हमलोग इंतजार करते रह गए कि इसका उद्घाटन होगा, लेकिन यह सिर्फ हाथी का दांत साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि अब पता चला है कि फिर से पैसा खर्च कर इसे उपयोग के लायक बनाया जाएगा.
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महिलाओं को करना पड़ता है रात का इंतजार
वहीं शौचालय शुरू नहीं होने से महिलाओं में काफी आक्रोश है. उनका कहना है कि मोहल्ले में लगभग 40 परिवार रहते हैं, जो गरीब हैं. 40 घरों में केवल 4 से 5 घरों में शौचालय है. अन्य घरों की महिलाओं को शौच के लिए रात होने का इंतजार करना पड़ता है. महिलाओं ने कहा कि शौच के लिए अंधेरे में बाहर जाने से जहरीले सांप का भी डर लगता है. उन्होंने कहा कि जब इलाके में शौचालय बना था तो काफी खुश थी कि खुले में शौच नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पाया.
निगम प्रशासन को संवेदनशील होने की जरूरत
जिला प्रशासन ने हजारीबाग को तो ओडीएफ घोषित कर दिया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. एक ओर नगर निगम ने शौचालय तो बना दिया, लेकिन उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. अब फिर से उन शौचालयों पर लगभग 12 लाख रुपये खर्च करने की योजना है. जरूरत है निगम प्रशासन को संवेदनशील होने की, ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो.