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हजारीबाग: दंत चिकित्सक सावधानीपूर्वक कर रहे मरीजों का इलाज, ली जा रही मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी - हजारीबाग डेंटल कॉलेज में मरीजों को किया जा रहा जागरूक

हजारीबाग के डेंटल कॉलेज में दंत चिकित्सक मरीजों का इलाज बेहद सावधानी के साथ कर रहे हैं. इलाज से पहले डॉक्टर मरीजों का ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी लेते हैं, उसके बाद ही मरीजों का इलाज करते हैं. कोरोना काल को देखते हुए अस्पातल में भी कई तरह के परिवर्तन किए गए हैं.

Doctors at Hazaribag Dental College are treating patients with caution
सावधानी पूर्वक इलाज जारी
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Published : Jun 7, 2020, 10:55 PM IST

हजारीबाग: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. इसके रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया था, जिसके कारण कई सेवाएं प्रभावित हुई. इस दौर में डॉक्टर डटकर इस वायरस का सामना कर रहे हैं और अपनी सेवा दे रहे हैं. दंत चिकित्सकों के सामने भी कई चुनौतियां हैं, जिसका वो वॉरियर्स के तरह सामना कर रहे हैं. हजारीबाग समेत पूरे राज्यभर में दंत चिकित्सक सावधानी बरतते हुए मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
दंत चिकित्सा कोरोना काल के दौरान सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण सेवाओं में एक है, क्योंकि वायरस का प्रहार मुंह और नाक के माध्यम से होता है. दंत चिकित्सक सीधे लार और अन्य स्राव के संपर्क में आकर दांत से जुड़े मरीजों का इलाज करते हैं. इसके अलावा लगभग हर डेंटल प्रक्रिया में एरोसॉल उत्पादन होता है, जो दंत चिकित्सकों और वहां काम करने वाले कर्मचारियों, डेंटल चेयर क्लीनिक, फर्नीचर आदि को प्रदूषित करता है. मरीज अपना इलाज दंत चिकित्सक से कराता है तो उसे कई बार डॉक्टरों से मिलने के लिए आना होता है, प्रत्येक बार रोगी के मुंह की जांच डॉक्टर करते हैं. ऐसे में यह हमेशा खतरा बना रहता है कि डॉक्टर संक्रमित ना हो जाए. डॉक्टर खुद को संक्रमित नहीं होने को लेकर कई उपाय कर रहे हैं. हजारीबाग डेंटल कॉलेज में तीन स्तरीय जांच मरीजों का किया जाता है. इसके बाद ही मरीज दंत चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, जिसके बाद डॉक्टर उनके ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी लेता है, साथ ही साथ अन्य जानकारी भी इकट्ठा की जाती है. जब डॉक्टर इस बात को लेकर संतुष्ट हो जाता है कि मरीज संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में भी नहीं आया है तो उसका इलाज शुरू किया जाता है.



सावधानीपूर्वक डॉक्टर्स कर रहे इलाज
डॉक्टर अब दंत चिकित्सा करने के लिए भी पीपीई किट का उपयोग कर रहे हैं, साथ ही साथ खुद को कई बार सेनेटाइज भी कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर हम सावधानी नहीं बरतेंगे तो इसका असर सिर्फ हमारे ऊपर ही नहीं बल्कि पूरे अस्पताल और हमारे परिवार पर पड़ सकता है, इसलिए पूरी सावधानी और मरीजों के हिस्ट्री की जांच के बाद ही इलाज की जाती है. डॉक्टर बताते हैं कि आज के समय में सभी लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं, इसका एकमात्र कारण यह है कि जब कोई व्यक्ति खांसे या छिंके तो संक्रमीत ना हो. डॉक्टरों का कहना है कि वो दांत का इलाज करते समय अपने हाथ और टूल्स को मरीज के मुंह में डालते हैं इसलिए संक्रमण का खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया की मरीजों के इलाज के समय कुछ फिट की दूरी बनाई जाती है.

इसे भी पढे़ं:- हजारीबागः डाक विभाग की मदद से लोगों तक पहुंच रहा खादी का मास्क, कई रंगों में हैं उपलब्ध

इलाज के समय डॉक्टर मरीजों से आरोग्य सेतु एप कि भी जानकारी लेते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण कई लोग इस एप के बारे में नहीं जानते हैं, वैसे लोगों को जागरूक भी किया जाता है, ताकि वो सुरक्षित रह सके. वहीं मरीज बताते हैं कि पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी, लेकिन कोरोना काल के दौरान अस्पताल में परिवर्तन देखने को मिला है, तीन तीन बार स्कैनिंग किया जाता है, इसके बाद इलाज शुरू की जाती है.

हजारीबाग: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. इसके रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया था, जिसके कारण कई सेवाएं प्रभावित हुई. इस दौर में डॉक्टर डटकर इस वायरस का सामना कर रहे हैं और अपनी सेवा दे रहे हैं. दंत चिकित्सकों के सामने भी कई चुनौतियां हैं, जिसका वो वॉरियर्स के तरह सामना कर रहे हैं. हजारीबाग समेत पूरे राज्यभर में दंत चिकित्सक सावधानी बरतते हुए मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
दंत चिकित्सा कोरोना काल के दौरान सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण सेवाओं में एक है, क्योंकि वायरस का प्रहार मुंह और नाक के माध्यम से होता है. दंत चिकित्सक सीधे लार और अन्य स्राव के संपर्क में आकर दांत से जुड़े मरीजों का इलाज करते हैं. इसके अलावा लगभग हर डेंटल प्रक्रिया में एरोसॉल उत्पादन होता है, जो दंत चिकित्सकों और वहां काम करने वाले कर्मचारियों, डेंटल चेयर क्लीनिक, फर्नीचर आदि को प्रदूषित करता है. मरीज अपना इलाज दंत चिकित्सक से कराता है तो उसे कई बार डॉक्टरों से मिलने के लिए आना होता है, प्रत्येक बार रोगी के मुंह की जांच डॉक्टर करते हैं. ऐसे में यह हमेशा खतरा बना रहता है कि डॉक्टर संक्रमित ना हो जाए. डॉक्टर खुद को संक्रमित नहीं होने को लेकर कई उपाय कर रहे हैं. हजारीबाग डेंटल कॉलेज में तीन स्तरीय जांच मरीजों का किया जाता है. इसके बाद ही मरीज दंत चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, जिसके बाद डॉक्टर उनके ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी लेता है, साथ ही साथ अन्य जानकारी भी इकट्ठा की जाती है. जब डॉक्टर इस बात को लेकर संतुष्ट हो जाता है कि मरीज संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में भी नहीं आया है तो उसका इलाज शुरू किया जाता है.



सावधानीपूर्वक डॉक्टर्स कर रहे इलाज
डॉक्टर अब दंत चिकित्सा करने के लिए भी पीपीई किट का उपयोग कर रहे हैं, साथ ही साथ खुद को कई बार सेनेटाइज भी कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर हम सावधानी नहीं बरतेंगे तो इसका असर सिर्फ हमारे ऊपर ही नहीं बल्कि पूरे अस्पताल और हमारे परिवार पर पड़ सकता है, इसलिए पूरी सावधानी और मरीजों के हिस्ट्री की जांच के बाद ही इलाज की जाती है. डॉक्टर बताते हैं कि आज के समय में सभी लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं, इसका एकमात्र कारण यह है कि जब कोई व्यक्ति खांसे या छिंके तो संक्रमीत ना हो. डॉक्टरों का कहना है कि वो दांत का इलाज करते समय अपने हाथ और टूल्स को मरीज के मुंह में डालते हैं इसलिए संक्रमण का खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया की मरीजों के इलाज के समय कुछ फिट की दूरी बनाई जाती है.

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इलाज के समय डॉक्टर मरीजों से आरोग्य सेतु एप कि भी जानकारी लेते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण कई लोग इस एप के बारे में नहीं जानते हैं, वैसे लोगों को जागरूक भी किया जाता है, ताकि वो सुरक्षित रह सके. वहीं मरीज बताते हैं कि पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी, लेकिन कोरोना काल के दौरान अस्पताल में परिवर्तन देखने को मिला है, तीन तीन बार स्कैनिंग किया जाता है, इसके बाद इलाज शुरू की जाती है.

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