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हजारीबाग: जनप्रतिनिधि और कार्यपालक पदाधिकारियों की रंजिश में पिस रही जनता, नहीं हो रहे विकास कार्य - Jharkhand News, Hazaribagh News

हजारीबाग नगर निगम में कार्यपालक अभियंता और जनप्रतिनिधि के बीच आपसी मतभेद की वजह से विकास कार्य नहीं रहे हैं. इससे स्थानीय लोगों में बेहद नाराजगी है.

हजारीबाग में नहीं हो रहा विकास कार्य
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Published : Jul 13, 2019, 12:49 PM IST

हजारीबाग: नगर निगम अपने बोर्ड बैठक में लिए गए फैसले को आपसी मतभेद की वजह से धरातल पर उतार नहीं पा रहा है. जनप्रतिनिधि और कार्यपालक पदाधिकारियों के बीच तनातनी की वजह से अब आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

हजारीबाग नगर निगम अस्तित्व में आने के बाद 23 मई 2018 को पहली बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें जिले की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए गए. नगर निगम ने खासकर पेयजल समस्या से लोगों को राहत देने के लिए हर वार्ड में 5 बोरिंग करने की व्यवस्था की. जिसे बाद में घटाकर हर वार्ड में 4 बोरिंग और चापाकल लगाने की बात पर सहमति बनी. हालांकि 1 साल से अधिक का समय बीत गया और चापाकल लगाने के लिए टेंडर तक नहीं हुए.

इस बीच 2 गर्मी भी पार हो गई, लेकिन अधिकारियों के चेहरे पर किसी तरह की शिकन नहीं दिखी. बीती 30 मई 2019 को टेंडर किया गया, जिसको 10 जून 2019 तक डालना था. इसकी 13 जून 2019 तक हार्ड कॉपी निगम में जमा करनी थी, लेकिन एक बार फिर टेंडर रद्द कर दिया गया और यह समय सीमा बढ़ती चली गई.

मामले को लेकर मेयर रोशनी तिर्की का कहना है कि इस नगर निगम का कुछ भी नहीं हो सकता है. सब भगवान भरोसे है और अधिकारियों की लापरवाही के कारण टेंडर भी नहीं हो रहे हैं. इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. उनका कहना है कि निगम मे फंड की कमी निगम नहीं है, लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी विकास कार्य में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है.

हजारीबाग: नगर निगम अपने बोर्ड बैठक में लिए गए फैसले को आपसी मतभेद की वजह से धरातल पर उतार नहीं पा रहा है. जनप्रतिनिधि और कार्यपालक पदाधिकारियों के बीच तनातनी की वजह से अब आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

हजारीबाग नगर निगम अस्तित्व में आने के बाद 23 मई 2018 को पहली बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें जिले की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए गए. नगर निगम ने खासकर पेयजल समस्या से लोगों को राहत देने के लिए हर वार्ड में 5 बोरिंग करने की व्यवस्था की. जिसे बाद में घटाकर हर वार्ड में 4 बोरिंग और चापाकल लगाने की बात पर सहमति बनी. हालांकि 1 साल से अधिक का समय बीत गया और चापाकल लगाने के लिए टेंडर तक नहीं हुए.

इस बीच 2 गर्मी भी पार हो गई, लेकिन अधिकारियों के चेहरे पर किसी तरह की शिकन नहीं दिखी. बीती 30 मई 2019 को टेंडर किया गया, जिसको 10 जून 2019 तक डालना था. इसकी 13 जून 2019 तक हार्ड कॉपी निगम में जमा करनी थी, लेकिन एक बार फिर टेंडर रद्द कर दिया गया और यह समय सीमा बढ़ती चली गई.

मामले को लेकर मेयर रोशनी तिर्की का कहना है कि इस नगर निगम का कुछ भी नहीं हो सकता है. सब भगवान भरोसे है और अधिकारियों की लापरवाही के कारण टेंडर भी नहीं हो रहे हैं. इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. उनका कहना है कि निगम मे फंड की कमी निगम नहीं है, लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी विकास कार्य में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है.

Intro:हजारीबाग नगर निगम अपने बोर्ड बैठक में लिए गए फैसले को भी धरातल पर उतार नहीं पा रही है। कारण है आपसी मतभेद। जनप्रतिनिधि और कार्यपालक पदाधिकारियों के तनातनी की कारण अब आम जनता को परेशानी झेलना पड़ रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण है यह मामला।


Body:हजारीबाग नगर निगम अस्तित्व में आने के बाद 23 मई 2018 को पहला बोर्ड का बैठक किया गया। जिसमें हजारीबाग की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कई निर्णय लिए गए थे।खासकर पेयजल की समस्या से नगर निगम के लोगों को राहत देने के लिए हर वार्ड में 5 बोरिंग करने की व्यवस्था की गई थी।जिसे बाद में घटाकर हर वार्ड में चार बोरीग और चापाकल लगाने की बात पर सहमति बनी। लेकिन 1 साल से अधिक का समय बीत गया और चापाकल लगाने के लिए टेंडर तक नहीं हुए। इस बीच 2 गर्मी भी पार हो गई लेकिन अधिकारियों के चेहरे में किसी भी तरह का शिकन नहीं दिखा अब। 30 मई 2019 को टेंडर किया गया है जिसमें 10 जून 2019 तक डालना था और 13 जून 2019 तक हार्ड कॉपी निगम में जमा करनी थी। लेकिन एक बार फिर टेंडर रद्द कर दिया गया और यह समय सीमा बढ़ती चली गई। कहने को तो निगम आम जनता के लिए है लेकिन जब नगर निगम वार्ड के लोगों के लिए चापाकल तक नहीं लगवा पा रहा है तो उसकी बेरुखी समझ सकते हैं। अब इसे लेकर हजारीबाग की मेयर रोशनी तिर्की से बात की गई तो उनका कहना है कि इस नगर निगम का कुछ भी नहीं हो सकता है। सब भगवान भरोसे है और अधिकारियों की लापरवाही के कारण टिंडर भी नहीं हो रहे हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। रोशनी तिर्की का यह भी कहना है कि निगम मे फंड की कमी निगम नहीं है। लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी विकास कार्य में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है।

byte... रोशनी तिर्की महापौर नगर निगम हजारीबाग


Conclusion:जिस तरह से एक छोटा सा काम को धरातल पर उतारने के लिए सालों साल लग जा रहे हैं। यह कहीं ना कहीं लापरवाही का मामला दिखता है। जरूरत है प्रशासन और सरकार को हस्तक्षेप करने की ताकि विकास के कार्य धरातल पर उतर सके।
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