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VBU के दीक्षांत समारोह में दिखेगी झारखंडी संस्कृति की झलक, तैयार हो रहे हैं खास परिधान - झारखंड समाचार

हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इस बार दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राएं देसी परिधान में नजर आएंगे. इन परिधानों को आदिवासी महिलाएं तैयार कर रही हैं.

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Published : Jul 31, 2019, 7:23 PM IST

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रही है. विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में इस बार नई परिपाटी की शुरुआत करने जा रही है. इस साल होने वाले दीक्षांत समारोह में गाउन के बदले छात्र-छात्राओं को कुर्ता पजामा दिया जाएगा.

देखें पूरी खबर

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में छात्र कुर्ता-पजामा और छात्राएं सफेद सलवार सूट मे नजर आएंगी. यह वस्त्र संथाल जनजाति की महिलाएं बना रही हैं. 17 संथाली महिलाओं के समूह को यह जिम्मेवारी सौंपी गई है. विश्वविद्यालय ने ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को लगभग 6500 वस्त्र तैयार करने का आर्डर दिया है. यह एक सरकारी संस्था है, जो सूती और रेशमी धागे से वस्त्र तैयार करेंगी.

ये भी पढ़ें-ट्रिपल तलाक बिल पास होने पर सीएम ने दी बधाई, कहा- समाज सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम

जिले के चूरचू प्रखंड में संचालित सहकारिता समूह के बुनकर, विश्वविद्यालय का वस्त्र तैयार कर रही हैं. वस्त्र बनाने वाली महिलाएं भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के इस कदम से उन्हें आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही साथ झारखंड की संस्कृति के बारे में लोगों को जानकारी मिलेगी. उनका कहना है कि वह इस अंग वस्त्र को हाथों से बना रही है. यहां तक की लोगो और मोंटाज भी हाथों से तैयार किया जा रहा है.

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विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जानकारी देते हुए कहा कि यह वस्त्र 9 इंच चौड़ा और लगभग पौने 2 मीटर लंबा होगा. वस्त्र के एक सिरे पर विश्वविद्यालय का लोगो और दूसरी तरफ विश्वविद्यालय का नाम उभरा रहेगा. यूजी,पीजी और गोल्ड मेडलिस्ट पीएचडी के लिए अलग-अलग वस्त्र वितरित किया जाएगा. सभी के बॉर्डर पर अलग रंग के धागे का काम रहेगा. गोल्ड मेडलिस्ट और पीएचडी की उपाधि वालों के वस्त्र का बॉर्डर सुनहरा और पीजी विद्यार्थियों के लिए कत्थे बॉर्डर वाला अंग वस्त्र होगा. स्नातक पास विद्यार्थी नीला बॉर्डर वाले अंग वस्त्र धारण करेंगे. सभी श्रेणी के विद्यार्थियों का अंग वस्त्र सूती धागे से बना रहेगा.विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और अति विशिष्ट अतिथि सिल्क से तैयार अंग वस्त्र धारण करेंगे. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के जो भी सदस्य होंगे वह मदन मोहन मालवीय जी के पगड़ी की तरह अपने माथे पर पगड़ी धारण करेंगे. जो अनेकता में एकता को दर्शाएगा. हमारे सारे वस्त्र झारखंड की संस्कृति को दर्शाएगा.

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रही है. विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में इस बार नई परिपाटी की शुरुआत करने जा रही है. इस साल होने वाले दीक्षांत समारोह में गाउन के बदले छात्र-छात्राओं को कुर्ता पजामा दिया जाएगा.

देखें पूरी खबर

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में छात्र कुर्ता-पजामा और छात्राएं सफेद सलवार सूट मे नजर आएंगी. यह वस्त्र संथाल जनजाति की महिलाएं बना रही हैं. 17 संथाली महिलाओं के समूह को यह जिम्मेवारी सौंपी गई है. विश्वविद्यालय ने ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को लगभग 6500 वस्त्र तैयार करने का आर्डर दिया है. यह एक सरकारी संस्था है, जो सूती और रेशमी धागे से वस्त्र तैयार करेंगी.

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जिले के चूरचू प्रखंड में संचालित सहकारिता समूह के बुनकर, विश्वविद्यालय का वस्त्र तैयार कर रही हैं. वस्त्र बनाने वाली महिलाएं भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के इस कदम से उन्हें आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही साथ झारखंड की संस्कृति के बारे में लोगों को जानकारी मिलेगी. उनका कहना है कि वह इस अंग वस्त्र को हाथों से बना रही है. यहां तक की लोगो और मोंटाज भी हाथों से तैयार किया जा रहा है.

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विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जानकारी देते हुए कहा कि यह वस्त्र 9 इंच चौड़ा और लगभग पौने 2 मीटर लंबा होगा. वस्त्र के एक सिरे पर विश्वविद्यालय का लोगो और दूसरी तरफ विश्वविद्यालय का नाम उभरा रहेगा. यूजी,पीजी और गोल्ड मेडलिस्ट पीएचडी के लिए अलग-अलग वस्त्र वितरित किया जाएगा. सभी के बॉर्डर पर अलग रंग के धागे का काम रहेगा. गोल्ड मेडलिस्ट और पीएचडी की उपाधि वालों के वस्त्र का बॉर्डर सुनहरा और पीजी विद्यार्थियों के लिए कत्थे बॉर्डर वाला अंग वस्त्र होगा. स्नातक पास विद्यार्थी नीला बॉर्डर वाले अंग वस्त्र धारण करेंगे. सभी श्रेणी के विद्यार्थियों का अंग वस्त्र सूती धागे से बना रहेगा.विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और अति विशिष्ट अतिथि सिल्क से तैयार अंग वस्त्र धारण करेंगे. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के जो भी सदस्य होंगे वह मदन मोहन मालवीय जी के पगड़ी की तरह अपने माथे पर पगड़ी धारण करेंगे. जो अनेकता में एकता को दर्शाएगा. हमारे सारे वस्त्र झारखंड की संस्कृति को दर्शाएगा.

Intro:हजारीबाग का विनोबा भावे विश्वविद्यालय एक नया अध्याय का शुरुआत करने जा रहा है। विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में इस बार नई परिपाटी की शुरुआत करने जा रही है ।इस साल होने वाले दीक्षांत समारोह में गोन के बदले छात्र छात्राओं को अंग वस्त्र दिया जाएगा। लेकिन इस अंग वस्त्र के पीछे भी दूसरी कहानी है। क्या है देखते हैं ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट के जरिए....


Body:विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के 8 वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों जनजातीय सहकारिता समूह से तैयार अंग वस्त्र पहनकर उपाधि हासिल करेंगे ।इस वर्ष अंग्रेजी संस्कृति का परिचायक ना बन के विद्यार्थी भारतीय परिधान में दिखेंगे। छात्र कुर्ता पजामा और छात्राएं सफेद सलवार सूट मे नजर आएंगी।जब उन्हें जब उपाधि दी जाएगी तो उन्हें अंग वस्त्र दिया जाएगा । यह अंग वस्त्र बनाएंगे झारखंड की संथाल जनजाति की महिलाएं। जिसके लिए महिलाएं हजारीबाग से सुदूर चुरचू प्रखंड के कजरिया गांव में अंग वस्त्र बना रही हैं ।17 संथाली महिलाओं की समूह को यह जिम्मेवारी सौंपी गई है। विश्वविद्यालय ने ट्राईबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को लगभग 6500 अंग वस्त्र तैयार करने का आर्डर दिया है ।यह एक सरकारी संस्था है। जो सूती और रेशमी धागे से अंग वस्त्र तैयार करेंगी। हजारीबाग के चूरचू प्रखंड में संचालित सहकारिता समूह के बुनकर विश्वविद्यालय का अंग वस्त्र तैयार कर रही है। अंग वस्त्र बनाने वाली महिलाएं भी काफी खुश हैं। उनका कहना है कि विश्व विद्यालय प्रबंधन के इस कदम से उन्हें आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही साथ ही साथ झारखंड की संस्कृति के बारे में लोगों को जानकारी मिलेगी। उनका कहना है कि वह इस अंग वस्त्र को हाथों से बना रही है ।यहां तक कि जो लोगो और मोनटाज भी हाथों से तैयार किया जा रहा है ।जिसमें देसी खुशबू छात्र-छात्राओं को मिलेगी।

byte....नईरा टुडू, संथाली महिला गुलाबी साड़ी में
byte....शांति सोरेन

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जानकारी दिया है कि यह अंग वस्त्र 9 इंच चौड़ा और लगभग पौने 2 मीटर लंबा होगा। अंग वस्त्र के एक सिरे पर विश्वविद्यालय का लोगो और दूसरी तरफ विश्वविद्यालय का नाम उभरा रहेगा ।यूजी पीजी और गोल्ड मेडलिस्ट पीएचडी के लिए अलग-अलग अंग वस्त्र वितरित किया जाएगा। सभी के बॉर्डर पर अलग रंग के धागे का काम किया रहेगा। गोल्ड मेडलिस्ट और पीएचडी की उपाधि वालो के अंग वस्त्र का बॉर्डर सुनहला और पीजी विद्यार्थियों के लिए कथा बॉर्डर वाला अंग वस्त्र होगा। स्नातक पास विद्यार्थी नीला बॉर्डर वाले अंग वस्त्र धारण करेंगे। सभी श्रेणी के विद्यार्थियों का अंग वस्त्र सूती धागे से बन रहेगा। विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और अति विशिष्ट अतिथि सिल्क से तैयार अंग वस्त्र धारण करेंगे। वही विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ रमेश सारण ने जानकारी दिया है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के जो भी सदस्य होंगे वह मदन मोहन मालवीय जी के पगड़ी की तरह अपने माथे पर पगड़ी धारण करेंगे ।जो अनेकता में एकता को दर्शाए आएगा। साथ ही मदन मोहन मालवीय के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को दर्शाएगा ।कुलपति डॉ रमेश शरण का यह भी कहना है कि यह विश्वविद्यालय का कार्यक्रम है जब हम विश्व की बात करते हैं तो इसमें हर एक संस्कृति का मिलान होना चाहिए। जब हम अंग वस्त्र झारखंड की संस्कृति को दर्शाएगा तो पगड़ी शिक्षा जगत के सिरमौर मालवीय जी का शिक्षा के प्रति उनके योगदान को याद करेगा ।

byte..... डॉ रमेश सारण कुलपति विनोवा विश्वविद्यालय


Conclusion:कहां जाए तो विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस बार झारखंड की संस्कृति को अपने कार्यक्रम में जगह दिया है ।यह अन्य विश्वविद्यालय के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। प्रबंधन ने जहां जनजातीय महिलाओं के उत्थान को देखते हुए यह कदम उठाया है तो दूसरी और विश्वविद्यालय के इस कदम से सभ्यता और संस्कृति की भी जानकारी लोगों को मिलेगी।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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