हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रही है. विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में इस बार नई परिपाटी की शुरुआत करने जा रही है. इस साल होने वाले दीक्षांत समारोह में गाउन के बदले छात्र-छात्राओं को कुर्ता पजामा दिया जाएगा.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में छात्र कुर्ता-पजामा और छात्राएं सफेद सलवार सूट मे नजर आएंगी. यह वस्त्र संथाल जनजाति की महिलाएं बना रही हैं. 17 संथाली महिलाओं के समूह को यह जिम्मेवारी सौंपी गई है. विश्वविद्यालय ने ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को लगभग 6500 वस्त्र तैयार करने का आर्डर दिया है. यह एक सरकारी संस्था है, जो सूती और रेशमी धागे से वस्त्र तैयार करेंगी.
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जिले के चूरचू प्रखंड में संचालित सहकारिता समूह के बुनकर, विश्वविद्यालय का वस्त्र तैयार कर रही हैं. वस्त्र बनाने वाली महिलाएं भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के इस कदम से उन्हें आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही साथ झारखंड की संस्कृति के बारे में लोगों को जानकारी मिलेगी. उनका कहना है कि वह इस अंग वस्त्र को हाथों से बना रही है. यहां तक की लोगो और मोंटाज भी हाथों से तैयार किया जा रहा है.
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विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जानकारी देते हुए कहा कि यह वस्त्र 9 इंच चौड़ा और लगभग पौने 2 मीटर लंबा होगा. वस्त्र के एक सिरे पर विश्वविद्यालय का लोगो और दूसरी तरफ विश्वविद्यालय का नाम उभरा रहेगा. यूजी,पीजी और गोल्ड मेडलिस्ट पीएचडी के लिए अलग-अलग वस्त्र वितरित किया जाएगा. सभी के बॉर्डर पर अलग रंग के धागे का काम रहेगा. गोल्ड मेडलिस्ट और पीएचडी की उपाधि वालों के वस्त्र का बॉर्डर सुनहरा और पीजी विद्यार्थियों के लिए कत्थे बॉर्डर वाला अंग वस्त्र होगा. स्नातक पास विद्यार्थी नीला बॉर्डर वाले अंग वस्त्र धारण करेंगे. सभी श्रेणी के विद्यार्थियों का अंग वस्त्र सूती धागे से बना रहेगा.विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और अति विशिष्ट अतिथि सिल्क से तैयार अंग वस्त्र धारण करेंगे. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के जो भी सदस्य होंगे वह मदन मोहन मालवीय जी के पगड़ी की तरह अपने माथे पर पगड़ी धारण करेंगे. जो अनेकता में एकता को दर्शाएगा. हमारे सारे वस्त्र झारखंड की संस्कृति को दर्शाएगा.