हजारीबाग: हजारीबाग स्टेडियम में खेल विभाग का दफ्तर चलता है. इस दफ्तर में लगभग 100 पेटी किताबें पड़ी हुईं हैं. किताबें किसकी हैं और किसे देना है इस बात की जानकारी विभाग को नहीं है. जब ईटीवी भारत की टीम ने पूछा कि आखिर यह किताब किसके लिए हैं तो जिला खेल पदाधिकारी ने कर्मियों से इसकी जानकारी ली. उन्होंने कार्टून खोलकर किताब देखा. किताब पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर लिखी गईं हैं. किताब संपूर्ण वांग्मय है अर्थात उनकी जीवनी से जुड़ी हुई है.
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खेल पदाधिकारी ने ली जानकारी
हाल के दिनों में हजारीबाग में खेल पदाधिकारी के रूप में सेवा देने के लिए अर्जुन बारला ने इस बाबत पदाधिकारियों से भी विस्तृत जानकारी ली कि पुस्तक कब आईं हैं इसका क्या करना है और किसे जिम्मेवारी दी गई है, लेकिन इसका जवाब उन्हें नहीं मिला. अंततः उन्होंने पुरानी फाइल और पुस्तक से संबंधित पत्र की मांग की है और विश्वास दिलाया है कि बहुत जल्द पुस्तक जिसे देना है उसे बांट दिया जाएगा.
पुस्तक के चंद पन्ने पलटने के बाद खेल पदाधिकारी अर्जुन बारला का कहना है कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक हैं. अगर छात्रों को यह पुस्तकें मिलेंगी तो वे दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के बारे में जान पाएंगे. साथ ही साथ भारत के इतिहास का भी इसमें जिक्र है. ऐसे में यह किताब छात्रों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है. इसे ज्ञान का सागर भी कहा जा सकता है.
बहरहाल यह सरकारी पैसे की बर्बादी है. किताब तो छप जाती हैं लेकिन समय पर बांटी नहीं जाती हैं, जिसका फायदा ना ही सरकार को मिल पाता है और न हीं छात्रों को. जरूरत है तंत्र को संवेदनशील होने की ताकि जिस उद्देश्य से किताबें छापी गयी हैं वह पूरी हो सके.