हजारीबाग: झारखंड में इलाज के अभाव में किसी की मौत न हो इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत 72 हजार रुपये तक की वार्षिक आय वाले मरीजों को 4 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता का प्रावधान है. हजारीबाग सदर अस्पताल में योजना का पैसा आने के बाद भी मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
हजारीबाग में लालफीताशाही इस तरह हावी है कि मरीजों को उनका हक भी नहीं मिल रहा है. दरअसल मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत हजारीबाग के 60 मरीजों का पैसा आ चुका है. आधिकारिक प्रक्रिया के कारण उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है. जिससे मरीज और उनके परिजन निराश होकर वापस घर लौट रहे हैं.
मरीजों को योजना का नहीं मिला लाभ
आयुष्मान भारत योजना के तहत भी स्वास्थ्य सहायता के लिए 5 लाख रुपये की मदद की जाती है. जो मरीज कैंसर जैसे घातक बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का लाभ नहीं मिलता है. सिविल सर्जन का कहना है कि उन्होंने फाईल फॉरवर्ड करके आगे कार्रवाई के लिए भेज दिया है, लेकिन क्षेत्रीय स्वास्थ्य निदेशक ने फाइल वापस कर दी है. निदेशक का कहना है जब आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला है तो पैसा का आवंटन क्यों किया जाए.
योजना के तहत निःशुल्क होता है इलाज
बता दें कि आयुष्मान भारत के तहत 1450 बीमारियों का इलाज निःशुल्क होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के मरीज को भी लाभ इसी योजना के तहत मिलना चाहिए, ताकि कैंसर और गुर्दा रोग के मरीजों को मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का भी लाभ मिल सके.
विधायक के आदेश के बाद मिला योजना का लाभ
योजना का लाभ नहीं देने पर मरीज के परिजनों ने सदर विधायक मनीष जायसवाल से गुहार लगाई. मामले में विधायक ने सिविल सर्जन कार्यालय जाकर योजना की जानकारी ली और अधिकारी को आदेश दिया कि तत्काल मरीज को योजना का लाभ दिया जाए. विधायक ने बताया कि सदर अस्पताल प्रबंधन के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.