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हजारीबागः मरीज हो रहे लालफीताशाही का शिकार, नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

हाजरीबाग में मरीज, मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का लाभ नहीं मिलने से निराश थे. विधायक मनीष जायसवाल को मिली जानकारी के बाद उन्होंने सिविल सर्जन कार्यलय जाकर मामले में पूछताछ की. जिसके बाद 10 मिनट में अधिकारी ने फाइल पर अपनी स्वीकृति दे दी.

विधायक के कहने पर मिला लाभ
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Published : Aug 18, 2019, 7:44 PM IST

हजारीबाग: झारखंड में इलाज के अभाव में किसी की मौत न हो इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत 72 हजार रुपये तक की वार्षिक आय वाले मरीजों को 4 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता का प्रावधान है. हजारीबाग सदर अस्पताल में योजना का पैसा आने के बाद भी मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

देखें पूरी खबर

हजारीबाग में लालफीताशाही इस तरह हावी है कि मरीजों को उनका हक भी नहीं मिल रहा है. दरअसल मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत हजारीबाग के 60 मरीजों का पैसा आ चुका है. आधिकारिक प्रक्रिया के कारण उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है. जिससे मरीज और उनके परिजन निराश होकर वापस घर लौट रहे हैं.

मरीजों को योजना का नहीं मिला लाभ
आयुष्मान भारत योजना के तहत भी स्वास्थ्य सहायता के लिए 5 लाख रुपये की मदद की जाती है. जो मरीज कैंसर जैसे घातक बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का लाभ नहीं मिलता है. सिविल सर्जन का कहना है कि उन्होंने फाईल फॉरवर्ड करके आगे कार्रवाई के लिए भेज दिया है, लेकिन क्षेत्रीय स्वास्थ्य निदेशक ने फाइल वापस कर दी है. निदेशक का कहना है जब आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला है तो पैसा का आवंटन क्यों किया जाए.

योजना के तहत निःशुल्क होता है इलाज
बता दें कि आयुष्मान भारत के तहत 1450 बीमारियों का इलाज निःशुल्क होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के मरीज को भी लाभ इसी योजना के तहत मिलना चाहिए, ताकि कैंसर और गुर्दा रोग के मरीजों को मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का भी लाभ मिल सके.

विधायक के आदेश के बाद मिला योजना का लाभ
योजना का लाभ नहीं देने पर मरीज के परिजनों ने सदर विधायक मनीष जायसवाल से गुहार लगाई. मामले में विधायक ने सिविल सर्जन कार्यालय जाकर योजना की जानकारी ली और अधिकारी को आदेश दिया कि तत्काल मरीज को योजना का लाभ दिया जाए. विधायक ने बताया कि सदर अस्पताल प्रबंधन के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

हजारीबाग: झारखंड में इलाज के अभाव में किसी की मौत न हो इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत 72 हजार रुपये तक की वार्षिक आय वाले मरीजों को 4 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता का प्रावधान है. हजारीबाग सदर अस्पताल में योजना का पैसा आने के बाद भी मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

देखें पूरी खबर

हजारीबाग में लालफीताशाही इस तरह हावी है कि मरीजों को उनका हक भी नहीं मिल रहा है. दरअसल मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत हजारीबाग के 60 मरीजों का पैसा आ चुका है. आधिकारिक प्रक्रिया के कारण उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है. जिससे मरीज और उनके परिजन निराश होकर वापस घर लौट रहे हैं.

मरीजों को योजना का नहीं मिला लाभ
आयुष्मान भारत योजना के तहत भी स्वास्थ्य सहायता के लिए 5 लाख रुपये की मदद की जाती है. जो मरीज कैंसर जैसे घातक बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का लाभ नहीं मिलता है. सिविल सर्जन का कहना है कि उन्होंने फाईल फॉरवर्ड करके आगे कार्रवाई के लिए भेज दिया है, लेकिन क्षेत्रीय स्वास्थ्य निदेशक ने फाइल वापस कर दी है. निदेशक का कहना है जब आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला है तो पैसा का आवंटन क्यों किया जाए.

योजना के तहत निःशुल्क होता है इलाज
बता दें कि आयुष्मान भारत के तहत 1450 बीमारियों का इलाज निःशुल्क होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के मरीज को भी लाभ इसी योजना के तहत मिलना चाहिए, ताकि कैंसर और गुर्दा रोग के मरीजों को मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का भी लाभ मिल सके.

विधायक के आदेश के बाद मिला योजना का लाभ
योजना का लाभ नहीं देने पर मरीज के परिजनों ने सदर विधायक मनीष जायसवाल से गुहार लगाई. मामले में विधायक ने सिविल सर्जन कार्यालय जाकर योजना की जानकारी ली और अधिकारी को आदेश दिया कि तत्काल मरीज को योजना का लाभ दिया जाए. विधायक ने बताया कि सदर अस्पताल प्रबंधन के कारण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

Intro:झारखंड में इलाज के अभाव में किसी की मौत नहीं हो ।इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री असाध्य योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत 72 हजार रुपये तक की वार्षिक आय वाले मरीजों को 4 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता का प्रावधान है ।लेकिन हजारीबाग सदर अस्पताल में योजना का पैसा आने के बाद भी मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है और उनका सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।


Body:हजारीबाग में लालफीताशाही इस तरह हावी है कि मरीजों को उनका हक भी नहीं मिल रहा है ।दरअसल मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत हजारीबाग के 60 मरीजों का पैसा आ चुका है। लेकिन अधिकारिक प्रक्रिया के कारण उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है। और मरीज के परिजन निराश होकर वापस घर लौट रहे हैं।

दरअसल आयुष्मान भारत योजना के तहत भी स्वास्थ्य सहायता के लिए 5 लाख रुपये की मदद की जाती है। लेकिन जो मरीज गुर्दा और कैंसर जैसे घातक बीमारी से जूझ रहे हैं उसे मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का लाभ मिलता है ।सिविल सर्जन का कहना है कि उन्होंने फाईल फॉरवर्ड करके आगे कार्रवाई के लिए भेज दिया है। लेकिन क्षेत्रीय स्वास्थ्य निदेशक ने फाइल वापस कर दिया है। यह कहकर कि जब आयुष्मान भारत का लाभ मिला है तो पैसा का आवंटन क्यों किया जाए। दरअसल आयुष्मान भारत के तहत 1450 बीमारियों का इलाज निशुल्क होता है। ऐसे में मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के मरीज को भी लाभ इसी योजना के तहत देना है। लेकिन कैंसर और गुर्दा रोग के मरीजों को मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना का भी लाभ देना है।

योजना का लाभ नहीं देने पर मरीज के परिजनों ने जाकर अपना गुहार सदर विधायक मनीष जयसवाल से लगाया ।तो उन्होंने आकर सिविल सर्जन कार्यालय में स्थिति की जानकारी ली और सिविल सर्जन को कहा कि तत्काल मरीज को योजना का लाभ दिया जाए ।इस दौरान मनीष जायसवाल ने कहा कि 2 माह पहले ही आवंटन की राशि आ चुकी है ।लेकिन सदर अस्पताल प्रबंधन के कारण योजना का लाभ नहीं मिल रहा है ।उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जिसमें योजना का लाभ ना मिल सके।

ऐसे में सिविल सर्जन डॉ कृष्ण कुमार का कहना है कि फाइल वापस लौटने के बाद उन्होंने वैसे मरीज जो कैंसर और गुर्दा रोग से पीड़ित है उनका नाम अलग कर दिया है और वैसे मरीजों को योजना का लाभ दिया जाएगा।

byte.... मनीष जायसवाल विधायक हजारीबाग ब्लू कुर्ता में
byte.... डॉ कृष्ण कुमार सिविल सर्जन हजारीबाग



Conclusion: मनीष जायसवाल के दबाव देने के बाद अधिकारियों ने 10 मिनट के अंदर फाइल पर अपनी स्वीकृति दे दीया।

ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि बिना दबाव के अधिकारी काम करना पसंद नहीं करते हैं जरूरत है प्रशासनिक पदाधिकारियों की संवेदनशील होने की ताकि योजना का लाभ मिल सके
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