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ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत, नदी-जंगल पार कर लोग करने जाते हैं मतदान

हजारीबाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र केरेडारी का नीरी गांव मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है. बता दें कि बूथ होने के बाद भी यहां के लोग अपने गांव में मतदान नहीं करते हैं, क्योंकि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण बूथ संख्या-79 को दूसरे गांव में चुनाव के वक्त शिफ्ट कर दिया जाता है.

नीरी गांव की तस्वीर
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Published : Nov 24, 2019, 7:20 PM IST

हजारीबाग: जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र केरेडारी का नीरी गांव मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है. इस गांव में आने के लिए नदी, नाला और जंगल पार करना पड़ता है. आलम यह है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इस गांव में मात्र एक उत्क्रमित विद्यालय है. अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ा तो खाट एंबुलेंस ही एकमात्र उपाय है. लोग खटिया पर मरीज को लादकर मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं और वहां से फिर गाड़ी से हजारीबाग या फिर केरेडारी अस्पताल पहुंचते हैं. ऐसे में यह क्षेत्र में अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची है.

देखें पूरी खबर

नक्सल प्रभावित क्षेत्र
बता दें कि बूथ होने के बाद भी यहां के लोग अपने गांव में मतदान नहीं करते हैं, क्योंकि बूथ संख्या-79 को दूसरे गांव में चुनाव के वक्त शिफ्ट कर दिया जाता है, क्योंकि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. इस गांव में लगभग 450 से 500 लोग रहते हैं. अगर वोटरों की बात की जाए तो कुल 180 मतदाता हैं. जिनमें 101 पुरुष और 79 महिलाएं शामिल हैं. ग्रामीण कहते गांव से 12 किलोमीटर दूर होने के कारण लोग मतदान करने में असमर्थ हो जाते हैं.पुरुष तो मतदान करने चले भी जाते हैं, लेकिन घर की महिलाएं, बुजुर्ग बूथ तक नहीं पहुंच पाते.

ग्रामीणों से हाल जानते संवाददाता गौरव प्रकाश

ये भी पढ़ें- बीजेपी के दिग्गज कड़िया मुंडा के बेटे ने झामुमो का थामा दामन, बीजेपी के खिलाफ खूंटी में करेंगे प्रचार

12 किलोमीटर दूर बूथ
अगर नए वोटरों की बात की जाए तो 9 लोग इस बार वोटर लिस्ट में जुड़े भी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान अंतिम समय में बूथ हस्तांतरित करके 12 किलोमीटर दूर सिरोइया पंचायत के सलगा में ले जाया गया. ऐसे में गांव के लोगों को मतदान करने के वक्त काफी परेशानी से गुजरना पड़ा. गांव के लोग कहते भी हैं कि अगर हमारे गांव में मतदान होता तो शत प्रतिशत लोग मतदान करते. उन्होंने प्रशासन से अपील भी किया है कि वे इस गांव में मतदान केंद्र बनाएं, ताकि सभी वोट दे सकें.

ये भी पढ़ें- दुमका और बरहेट से हेमंत सोरेन लड़ेंगे चुनाव, जेएमएम ने की 13 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी

प्रशासन दे ध्यान
विजय महतो जो कि बीएलओ हैं उनका भी कहना है कि अगर अपने ही गांव में बूथ होता तो बहुत ही अच्छा होता. गांव के लोगों को दूर गांव में जाकर मतदान करना नहीं पड़ता. वे बताते हैं कि मतदान को लेकर लोग जागरूक भी हैं, लेकिन परिस्थिति ने लोगों को मायूस कर दिया है. ईटीवी भारत के ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए जो जानकारी मिली है वह बहुत ही चिंताजनक है. जरूरत है प्रशासन को इन लोगों की तकलीफ को सुने और उसका समाधान करे.

हजारीबाग: जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र केरेडारी का नीरी गांव मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है. इस गांव में आने के लिए नदी, नाला और जंगल पार करना पड़ता है. आलम यह है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इस गांव में मात्र एक उत्क्रमित विद्यालय है. अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ा तो खाट एंबुलेंस ही एकमात्र उपाय है. लोग खटिया पर मरीज को लादकर मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं और वहां से फिर गाड़ी से हजारीबाग या फिर केरेडारी अस्पताल पहुंचते हैं. ऐसे में यह क्षेत्र में अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची है.

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नक्सल प्रभावित क्षेत्र
बता दें कि बूथ होने के बाद भी यहां के लोग अपने गांव में मतदान नहीं करते हैं, क्योंकि बूथ संख्या-79 को दूसरे गांव में चुनाव के वक्त शिफ्ट कर दिया जाता है, क्योंकि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. इस गांव में लगभग 450 से 500 लोग रहते हैं. अगर वोटरों की बात की जाए तो कुल 180 मतदाता हैं. जिनमें 101 पुरुष और 79 महिलाएं शामिल हैं. ग्रामीण कहते गांव से 12 किलोमीटर दूर होने के कारण लोग मतदान करने में असमर्थ हो जाते हैं.पुरुष तो मतदान करने चले भी जाते हैं, लेकिन घर की महिलाएं, बुजुर्ग बूथ तक नहीं पहुंच पाते.

ग्रामीणों से हाल जानते संवाददाता गौरव प्रकाश

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12 किलोमीटर दूर बूथ
अगर नए वोटरों की बात की जाए तो 9 लोग इस बार वोटर लिस्ट में जुड़े भी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान अंतिम समय में बूथ हस्तांतरित करके 12 किलोमीटर दूर सिरोइया पंचायत के सलगा में ले जाया गया. ऐसे में गांव के लोगों को मतदान करने के वक्त काफी परेशानी से गुजरना पड़ा. गांव के लोग कहते भी हैं कि अगर हमारे गांव में मतदान होता तो शत प्रतिशत लोग मतदान करते. उन्होंने प्रशासन से अपील भी किया है कि वे इस गांव में मतदान केंद्र बनाएं, ताकि सभी वोट दे सकें.

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प्रशासन दे ध्यान
विजय महतो जो कि बीएलओ हैं उनका भी कहना है कि अगर अपने ही गांव में बूथ होता तो बहुत ही अच्छा होता. गांव के लोगों को दूर गांव में जाकर मतदान करना नहीं पड़ता. वे बताते हैं कि मतदान को लेकर लोग जागरूक भी हैं, लेकिन परिस्थिति ने लोगों को मायूस कर दिया है. ईटीवी भारत के ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए जो जानकारी मिली है वह बहुत ही चिंताजनक है. जरूरत है प्रशासन को इन लोगों की तकलीफ को सुने और उसका समाधान करे.

Intro:मतदान करना हर एक व्यक्ति का अधिकार है। लेकिन परिस्थिति कभी-कभी लोगों को मायूस कर देती है और लोग की इच्छा होने के बावजूद वह वोट नहीं कर पाते हैं। ऐसा ही कुछ माजरा हजारीबाग प्रखंड मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर केरेडारी गांव के सिरोइया पंचायत के नीरी गांव की है।




Body:हजारीबाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र केरेडारी का निरी गांव मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है ।इस गांव में आने के लिए नदी नाला और जंगल को लांग कर व्यक्ति पहुंच सकता है। बरसात के दिनों में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है ।जहां ना कोई आ सकता है और ना इस गांव से बाहर जा सकता है ।आलम यह है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इस गांव में मात्र एक उत्क्रमित विद्यालय है। अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ा तो खाट एंबुलेंस ही एकमात्र उपाय है। लोग खटिया पर मरीज को लादकर मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं और वहां से फिर गाड़ी से हजारीबाग या फिर केरेडारी अस्पताल पहुंचते है। ऐसे में यह क्षेत्र में अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची है।
आपको जानकर यह ताज्जुब होगा कि बूत होने के बाद भी यहां के लोग अपने गांव में मतदान नहीं करते हैं। क्योंकि बूथ संख्या 79 को दूसरे गांव में चुनाव के वक्त शिफ्ट कर दिया जाता है। क्योंकि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है और दुर्दांत ग्रामीण क्षेत्र। जहां गाड़ी भी नहीं पहुंच सकती ।इस गांव में लगभग 450 से 500 लोग रहते हैं। अगर वोटरों की बात की जाए तो कुल 180 मतदाता है। जिसमें 101 पुरुष और 79 महिलाएं ।अगर नए वोटर की बात की जाए तो 9 लोग इस बार वोटर लिस्ट में जुड़े भी हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान अंतिम समय में बूथ हस्तांतरित करके 12 किलोमीटर दूर सिरोइया पंचायत के सलगा में ले जाया गया। ऐसे में गांव के लोग मतदान करने के वक्त काफी परेशानी से गुजरना पड़ा। गांव के लोग कहते भी हैं कि अगर हमारे गांव में मतदान होता तो शत प्रतिशत लोग मतदान करते। लेकिन गांव से 12 किलोमीटर दूर होने के कारण हम लोग मतदान करने में असमर्थ हो जाते हैं। मर्द तो मतदान करने चले जाते हैं लेकिन घर की महिलाएं बुजुर्ग बूथ तक नहीं पहुंच पाते है। ऐसे में महिलाएं भी काफी मायूस है। क्योंकि मतदान करने का मौका नहीं मिल पाता ।उन्होंने प्रशासन से अपील भी किया है कि वे इस गांव में मतदान केंद्र बनाए ताकि वह वोट दे। गांव के वोटरों का कहना है कि अगर वह वोट देंगे और जन प्रतिनिधि चुनेंगे तो उनके क्षेत्र का भी विकास होगा। उनका यह भी कहना है कि वोट देना तो हमारा अधिकार है लेकिन परिस्थिति ने हमारे इस अधिकार से हमें वंचित कर दिया है। उन्होंने सरकार से अपील भी किया है कि उनके गांव में बूथ बनाया जाए और उसी बूथ में वोटिंग भी कराया जाए।

विजय महतो जो कि बीएलओ है उनका भी कहना है कि अगर अपने ही गांव में बूथ होता तो बहुत ही अच्छा होता ।गांव के लोगों को दूर गांव में जाकर मतदान करना नहीं पड़ता। वे कहते हैं कि हम लोग तो यह कोशिश करते हैं और लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं कि मतदान करें । मतदान को लेकर लोगों में जागरूकता भी है ।लेकिन परिस्थिति ने लोगों को मायूस कर दिया है। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि अंतिम दिन पता चला कि हमारा बूथ बदल दिया गया है और 12 किलोमीटर दूर सलगा गांव में जाकर वोटिंग करना है। ऐसे में वोटर्स भी काफी परेशान रहे और मैं खुद।

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byte... विजय महतो बीएलओ निरी गांव


Conclusion:ईटीवी भारत के ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए जो जानकारी मिली है वह बहुत ही चिंताजनक है ।जरूरत है प्रशासन को इन लोगों की तकलीफ को सुने और उनका निराकरण भी करें।

ईटीवी भारत को वहां के लोगों ने विश्वास भी दिलाया है कि हमारा बूथ जहां रहेगा हम वहां जाकर वोट करेंगे। ताकि अपने क्षेत्र के विकास करने में सहयोगी बने।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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