गिरिडीह: झारखंड में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है. अधिकांश जिले इस महामारी की चपेट में हैं. कोरोना की दूसरी लहर में लगातार कहर बरपा रही है. दूसरी ओर भी कड़ी मेहनत करने वाले स्थानीय मजदूरों तक कोरोना संक्रमण की आंच नहीं पहुंची और इस वर्ग के लोग स्वस्थ हैं. मजदूरों का मानना है कि कठिन परिश्रम करने की वजह से शायद वो लोग संक्रमण की चपेट में नहीं आए.
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उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में भी वे लोग गांव और घर में काम करते रहे. मजदूर वर्ग के लोगों का कहना है कि उन लोगों का शरीर बीमारी से लड़ने की क्षमता रखता है. ईटीवी भारत ने कुछ मजदूरों से उनके स्वस्थ रहने को लेकर बातचीत की तब मजदूरों ने कहा कि वे लोग साल भर खेत और खलिहानों में काम करते हैं. इस बीच मौसम का उतार-चढ़ाव भी होता रहता है और उससे वो लोग सामना करते रहते हैं.
जरूरत के हिसाब से धूप, गर्मी, बरसात, ठंड आदि में घंटों रहकर काम करने की आदत सी बन गई है. इसी हिसाब से रहन-सहन और खान-पान भी है. काम के दौरान खेत, नदी, नाला, झरना, डोभा आदि का भी पानी पीना पड़ता है. मजदूरों ने कहा कि इसके कारण उन लोगों का शरीर इस तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार रहता है. उनका कहना है कि वो जब भीड़-भाड़ वाला इलाकों में जाते हैं, तब मास्क पहनते हैं और लोगों से दूरी बनाते हैं.