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साइबर ठगी के खिलाफ गिरिडीह में जोधपुर पुलिस की कार्रवाई, 2 ठग गिरफ्तार

गिरिडीह में जोधपुर पुलिस ने दो साइबर ठगों (Cyber thugs arrested from Jharkhand) को गिरफ्तार किया है. दोनों पर जोधपुर के रहने वाले रवि बिकोदिया के खाते से 8 लाख रूपये की फर्जी निकासी का आरोप है.

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गिरिडीह में साइबर ठग
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Published : Jul 2, 2022, 9:29 AM IST

गिरिडीह: जोधपुर पुलिस ने जिले के बेंगाबाद थाना के लोधरातरी गांव से साइबर ठगी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. दोनों पर जोधपुर निवासी रवि बिकोदिया के खाते से 8 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप है. 25 मई को जोधपुर के रातनाड़ा थाने में मामला दर्ज होने के बाद साइबर सेल की सहायता से आरोपियों को ट्रैक कर गिरफ्तार किया गया. प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि दोनों ने इस ठगी के काम से करोड़ों की सपंति जुटाई है.

ये भी पढे़ं:- Cyber Crime In Koderma: एटीएम कार्ड बदलकर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा, चार अपराधी गिरफ्तार

कैसे हुई ठगी: पीड़ित रवि बिकोदिया के मुताबिक उसके फोन पर एसबीआई से पैन कार्ड अपडेट करने का मैसेज मिला था. उसने उस लिंक को ओपन किया तो एसबीआई की वेबसाइट खुल गई. जिससे नेट बैकिंग होती है. इस दौरान एक कॉल भी आ गया जो उसे निर्देश देने लगा. इसके बाद रवि के पास पहला ओटीपी आया. जिसके सबमिट करते ही उसके खाते से तीन लाख (Cyber thugs arrested from Jharkhand) रुपये निकल गए. फोन पर मौजूद ठग ने कहा कि ये गलती से हुआ है, रिर्टन हो जाएगा. उसने दूसरा ओटीपी डालने की बात कही. परिवादी ने जब दूसरा ओटीपी डाला तो खाते से 5 लाख से ज्यादा रुपए निकलने का मैसेज आया. इस तरह कुल 8 लाख 19 हजार रुपए निकाल लिए गए. घटना के तुरंत बाद रवि ने रातानाड़ा थाना पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने तकनीकी छानबीन की तो पता चला कि आरोपी झारखंड के गिरिडीह जिले बेंगाबाद थाना के लोधरातरी गांव में रहता है. इसके लिए एक टीम जोधपुर से रवाना की गई. पुलिस का कहना है कि ठगों का गिरोह कुल 5 से 6 आदमी का होता है. इसमें फर्जी सिम उपलब्ध करवाने से लेकर ठगी गई राशि नकद देने वाले भी होते हैं. 30 से 40 फिसदी रकम नकद देने वालों को ही दी जाती है.

देखें वीडियो

सात दिन कैंप किया जंगल में: खबर के अनुसार ठगों की गिरफ्तारी के लिए जोधपुर पुलिस की एक टीम बेंगाबाद के लोधरातरी गांव पहुंची. ठगों की पहचान के लिए पुलिस की टीम ने कई दिनों तक उसी क्षेत्र में कैंप किया. लगातार रेकी करने के बाद 22 वर्षीय मंटू यादव और 24 वर्षीय पप्पू यादव को पुलिस ने साइबर ठगी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. दोनों की गिरफ्तारी के बाद जोधपुर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी है.

सावधान रहें, ऐसे होती है ठगी: इस तरह की ठगी वेब होस्टिंग से होती है. इससे बनाया लिंक व्यक्ति को भेजा जाता है. क्योंकि लिंक बैंक के नाम का होता है, ऐसे में उस लिंक पर क्लिक करते ही बैंक का पेज खुलता है. यह सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन इसी लिंक से फर्जीवाड़ा होता है. जो लिंक बनाया जाता है, वो फिसिंग कोडिंग से बनता है. क्लिक करने वाले को लगता है वो सिक्योर एक्सेस कर रहा है. लेकिन इसी लिंक की मदद से ठग भी उसी वेबसाइट को उसके साथ ही अपने सिस्टम पर एक्सेस कर रहे होते हैं. उनका एक साथी कॉल कर निर्देश देता है. जिससे व्यक्ति भ्रमित होता रहता है और जैसे ही वो ओटीपी सबमिट करता है, खाते से रुपए निकल जाते हैं.

गिरिडीह: जोधपुर पुलिस ने जिले के बेंगाबाद थाना के लोधरातरी गांव से साइबर ठगी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. दोनों पर जोधपुर निवासी रवि बिकोदिया के खाते से 8 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप है. 25 मई को जोधपुर के रातनाड़ा थाने में मामला दर्ज होने के बाद साइबर सेल की सहायता से आरोपियों को ट्रैक कर गिरफ्तार किया गया. प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि दोनों ने इस ठगी के काम से करोड़ों की सपंति जुटाई है.

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कैसे हुई ठगी: पीड़ित रवि बिकोदिया के मुताबिक उसके फोन पर एसबीआई से पैन कार्ड अपडेट करने का मैसेज मिला था. उसने उस लिंक को ओपन किया तो एसबीआई की वेबसाइट खुल गई. जिससे नेट बैकिंग होती है. इस दौरान एक कॉल भी आ गया जो उसे निर्देश देने लगा. इसके बाद रवि के पास पहला ओटीपी आया. जिसके सबमिट करते ही उसके खाते से तीन लाख (Cyber thugs arrested from Jharkhand) रुपये निकल गए. फोन पर मौजूद ठग ने कहा कि ये गलती से हुआ है, रिर्टन हो जाएगा. उसने दूसरा ओटीपी डालने की बात कही. परिवादी ने जब दूसरा ओटीपी डाला तो खाते से 5 लाख से ज्यादा रुपए निकलने का मैसेज आया. इस तरह कुल 8 लाख 19 हजार रुपए निकाल लिए गए. घटना के तुरंत बाद रवि ने रातानाड़ा थाना पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने तकनीकी छानबीन की तो पता चला कि आरोपी झारखंड के गिरिडीह जिले बेंगाबाद थाना के लोधरातरी गांव में रहता है. इसके लिए एक टीम जोधपुर से रवाना की गई. पुलिस का कहना है कि ठगों का गिरोह कुल 5 से 6 आदमी का होता है. इसमें फर्जी सिम उपलब्ध करवाने से लेकर ठगी गई राशि नकद देने वाले भी होते हैं. 30 से 40 फिसदी रकम नकद देने वालों को ही दी जाती है.

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सावधान रहें, ऐसे होती है ठगी: इस तरह की ठगी वेब होस्टिंग से होती है. इससे बनाया लिंक व्यक्ति को भेजा जाता है. क्योंकि लिंक बैंक के नाम का होता है, ऐसे में उस लिंक पर क्लिक करते ही बैंक का पेज खुलता है. यह सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन इसी लिंक से फर्जीवाड़ा होता है. जो लिंक बनाया जाता है, वो फिसिंग कोडिंग से बनता है. क्लिक करने वाले को लगता है वो सिक्योर एक्सेस कर रहा है. लेकिन इसी लिंक की मदद से ठग भी उसी वेबसाइट को उसके साथ ही अपने सिस्टम पर एक्सेस कर रहे होते हैं. उनका एक साथी कॉल कर निर्देश देता है. जिससे व्यक्ति भ्रमित होता रहता है और जैसे ही वो ओटीपी सबमिट करता है, खाते से रुपए निकल जाते हैं.

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