गिरिडीह: आदिवासियों की आस्था का केंद्र मरांग बुरु आज सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा है. पारसनाथ के नाम से प्रसिद्ध इस पर्वत से आदिवासी समाज का काफी लगाव है. समाज के लोग इसे पूजते हैं. कहा जाता है कि देश-विदेश में रहनेवाले सभी आदिवासी की आस्था मरांग बुरु पर है.
पारसनाथ पर्वत आदिवासी समाज का मरांग बुरु
गिरिडीह जिले के पीरटांड़ प्रखंड में अवस्थित पारसनाथ पर्वत आदिवासी समाज का मरांग बुरु है. इस समाज के लोग हर दिन अपने देवता को याद करके ही कुछ काम करते हैं. बताया जाता है कि सिद्धो-कान्हू समेत कई महानायकों ने अंग्रेजों के खिलाफ जब संथाल विद्रोह शुरू किया था तो सबसे पहले मरांग बुरु का नाम लेकर पूजा-पाठ किया और हजारों सैनिकों के साथ मैदान में कूदे. आज भी वर्ष में एक दिन आदिवासी समाज का जुटान इस आस्था के केंद्र के पास होता है और परंपरागत नृत्य-गीत के साथ अपने इष्ट देव को याद करते हैं.
सरकार पर उपेक्षा का आरोप
पीरटांड़ के प्रखंड प्रमुख सिकंदर हेम्ब्रोम का कहना है कि इस स्थल पर राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू का दो बार कार्यक्रम हो चुका. राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास भी कई कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं. मुख्यमंत्री द्वारा मरांग बुरु को सरनास्थल के तौर पर विकसित करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन कुछ हुआ नहीं. सिकंदर कहते हैं कि राज्य आदिवासी बाहुल्य और इस राज्य में आदिवासियों के सबसे बड़े पूजनीय स्थल के विकास के प्रति सरकार का संजीदा नहीं होना दुखी करता है.
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सरकार के प्रति आक्रोश
सांवता सुसार वैसि (आदिवासी संगठन) के उपाध्यक्ष बुधन हेम्ब्रोम ने भी सरकार पर कई आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मरांग बुरु के विकास के प्रति सरकार गंभीर नहीं है. बहरहाल आदिवासियों के आस्था के केंद्र की उपेक्षा किए जाने से समाज के लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश पनप रहा है.