गिरिडीह: बिरनी थाना इलाके के दलांगी का रहनेवाला गुलाम मुस्तफा हाफिज है, जो मदरसों में बच्चों को धर्म की तालीम देता है. ओडिशा के केंद्रपाड़ा मदरसा से पढ़ाई करनेवाला मुस्तफा ओडिशा और बेंगलुरू में बच्चों को पढ़ाने का काम करता था. दलांगी गांव में उसके माता-पिता, पत्नी, दो बच्चे के साथ भाई और अन्य परिजन रहते हैं. गिरफ्तारी के बाद माता-पिता ओडिशा गए हैं. गांव में सीमेंट और ईंट से एक मकान बना हुआ है जो अर्धनिर्मित है.
मुस्तफा की पत्नी का कहना है कि उन्हें लगता है कि उनके पति को किसी ने फंसाया है. उनके पति इस तरह का काम नहीं कर सकते. सानिया कहती है कि पैसा रहता तो पूरा मकान बन नहीं जाता. वह यह भी कहती है कि पूरे मामले की जांच गंभीरता से होनी चाहिए.
यहां बता दें कि मुस्तफा को भुनेश्वर से गिरफ्तार करने के बाद से कई चौकाने वाला खुलासा हुआ है. इस मामले में आरपीएफ के अलावा एनआईए भी जांच में जुटी है. अभी तक के जांच में यह साफ हुआ है पांच वर्षों से यह गिरोह सक्रिय था और एक हजार करोड़ की कमाई कर चुका है. पिछले दिनों आरपीएफ ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार टिकट कालाबाजारी की कमाई आतंकवाद फंडिंग, मनीलॉन्ड्रिंग समेत कई अवैध कार्यों में किया जाता था.
जिस मुस्तफा को गिरफ्तार किया गया है उसके पास आईआरसीटीसी के 563 निजी आईडी, एसबीआई की 2400 पासबुक तो ग्रामीण बैंक के विभिन्न शाखाओं की सूची मिली है. कहा जा रहा है कि इन बैंकों में मुस्तफा का एकाउंट है. यह भी कहा जा रहा है कि टिकट कालाबाजारी के बाद मुस्तफा सॉफ्टवेयर डेवलपर्स बना. इस गिरोह से जुड़े लोग एएनएमएस नामक सॉफ्टवेयर की टिकट की बुकिंग फर्जी आधार और पैन कार्ड के जरिए करता था. आरपीएफ ने यह बताया था कि कमाई का पैसा दुबई भेजा जाता था.
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इधर, जो जानकारी दी गयी है उसके अनुसार मुस्तफा की कमाई करोड़ों में रही है. ऐसे में मुस्तफा के एक रिस्तेदार का खाता भी खंगालने का काम किया जा रहा है. वहीं, बिरनी से एक व्यक्ति को भी पुलिस ने पकड़ा है.