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उद्घाटन की बाट जोहते-जोहते खंडहर में तब्दील हुआ स्टेडियम, 10 साल से पड़ा है विरान - Indoor stadium

बगोदर का इकलौता इंडोर स्टेडियम उद्घाटन के अभाव में खंडहर बनता जा रहा है. बता दें कि यह स्टेडियम बगोदर के घाघरा इंटर साइंस कॉलेज परिसर में स्थित है. दस साल पूर्व निर्माण कार्य शुरू हुआ. निर्माण कार्य लगभग पूरा भी हो गया, लेकिन भवन को कॉलेज के हवाले नहीं किया गया.

जर्जर स्टेडियम
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Published : Nov 24, 2019, 11:36 PM IST

बगोदर, गिरिडीहः बगोदर इलाके में सरकारी भवनों की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. लाखों-करोड़ों की लागत से भवनों का निर्माण तो हो रहा है, मगर उसकी उपयोगिता पर किसी का ध्यान नहीं. बगोदर का इकलौता इंडोर स्टेडियम की कुछ ऐसी हीं कहानी है.

देखें पूरी खबर

नहीं हो पाया उद्घाटन
बता दें कि यह स्टेडियम बगोदर के घाघरा इंटर साइंस कॉलेज परिसर में स्थित है. दस साल पूर्व निर्माण कार्य शुरू हुआ. निर्माण कार्य लगभग पूरा भी हो गया, लेकिन भवन को कॉलेज के हवाले नहीं किया गया. इसका उद्घाटन भी अब तक नहीं हो पाया है और इसके ऊपर लगे कंक्रीट भी उड़ गए. इतना हीं नहीं दरवाजे और खिड़की भी टूटने लगे.

ये भी पढ़ें- आम नहीं बेहद खास है ये सब्जी बेचने वाली, पति रह चुके हैं तीन बार विधायक

मवेशियों का बसेरा
स्टेडियम के अंदर का नजारा देखने से लगता है कि यहां मवेशियों का बसेरा रहता है. इस संबंध में कॉलेज के सचिव प्रो अशोक कुमार यादव ने बताया कि जिला परिषद की ओर से दस साल पूर्व इंडोर स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ था. तब छात्र-छात्राओं सहित कॉलेज कर्मियों को भी खुशी हुई थी कि अब इंडोर स्टेडियम का लाभ मिलेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

ये भी पढ़ें- ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत, नदी-जंगल पार कर लोग करने जाते हैं मतदान

स्टेडियम की स्थिति जर्जर
स्टेडियम अब तक न तो कॉलेज के हवाले किया गया है और न हीं इसका उद्घाटन हुआ है. इस बीच स्टेडियम की स्थिति जर्जर होने लगी है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों तक पत्राचार किया गया, मगर कोई लाभ नहीं हुआ.

बगोदर, गिरिडीहः बगोदर इलाके में सरकारी भवनों की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. लाखों-करोड़ों की लागत से भवनों का निर्माण तो हो रहा है, मगर उसकी उपयोगिता पर किसी का ध्यान नहीं. बगोदर का इकलौता इंडोर स्टेडियम की कुछ ऐसी हीं कहानी है.

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नहीं हो पाया उद्घाटन
बता दें कि यह स्टेडियम बगोदर के घाघरा इंटर साइंस कॉलेज परिसर में स्थित है. दस साल पूर्व निर्माण कार्य शुरू हुआ. निर्माण कार्य लगभग पूरा भी हो गया, लेकिन भवन को कॉलेज के हवाले नहीं किया गया. इसका उद्घाटन भी अब तक नहीं हो पाया है और इसके ऊपर लगे कंक्रीट भी उड़ गए. इतना हीं नहीं दरवाजे और खिड़की भी टूटने लगे.

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मवेशियों का बसेरा
स्टेडियम के अंदर का नजारा देखने से लगता है कि यहां मवेशियों का बसेरा रहता है. इस संबंध में कॉलेज के सचिव प्रो अशोक कुमार यादव ने बताया कि जिला परिषद की ओर से दस साल पूर्व इंडोर स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ था. तब छात्र-छात्राओं सहित कॉलेज कर्मियों को भी खुशी हुई थी कि अब इंडोर स्टेडियम का लाभ मिलेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

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स्टेडियम की स्थिति जर्जर
स्टेडियम अब तक न तो कॉलेज के हवाले किया गया है और न हीं इसका उद्घाटन हुआ है. इस बीच स्टेडियम की स्थिति जर्जर होने लगी है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों तक पत्राचार किया गया, मगर कोई लाभ नहीं हुआ.

Intro:चालू होने से पूर्व क्षतिग्रस्त होने लगा इकलौता इंडोर स्टेडियम, बगोदर के घाघरा इंटर साइंस कॉलेज कैंपस में बना है स्टेडियम

बगोदर/गिरिडीह


Body:बगोदर/गिरिडीहः बगोदर इलाके में सरकारी भवनों की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. लाखों- करोड़ों की लागत से भवनों का निर्माण तो हो रहा है, मगर उसकी उपयोगिताेपर किसी का ध्यान नहीं है. बगोदर का इकलौता इंडोर स्टेडियम की कुछ ऐसी हीं कहानी है. यह स्टेडियम बगोदर के घाघरा इंटर साइंस कॉलेज परिसर में स्थित है. दस साल पूर्व निर्माण कार्य शुरू हुआ. निर्माण कार्य लगभग पूरी भी हो गई. मगर भवन को कॉलेज के हवाले नहीं किया गया. इसका उद्घाटन भी अबतक नहीं हो पाया है और इसके ऊपर लगे कंक्रीट भी उड़ गया. इतना हीं नहीं दरवाजे और खिड़की भी टूटने लगे. स्टेडियम के अंदर का नजारा देखने से प्रतीत होता है कि यहां मवेशियों का बसेरा रहता है. चूंकि जगह- जगह मवेशियों का मलमूत्र पसरा हुआ नजर आ रहा था. इस संबंध में कॉलेज के सचिव प्रो अशोक कुमार यादव ने बताया कि जिला परिषद के द्वारा दस साल पूर्व इंडोर स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ था. तब छात्र- छात्राओं सहित कॉलेज कर्मियों को भी खुशी हुई थी कि छात्र- छात्राओं को अब इंडोर स्टेडियम का लाभ मिलेगा. मगर वैसा कुछ नहीं हुआ. स्टेडियम अबतक न तो कॉलेज के हवाले किया गया है और न हीं इसका उद्घाटन हुआ है. इस बीच स्टेडियम की स्थिति जर्जर होने लगी है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों तक पत्राचार किया गया, मगर कोई लाभ नहीं हुआ.


Conclusion:प्रो अशोक कुमार यादव, सचिव, घाघरा साइंस कॉलेज
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