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1 फरवरी को पेश होगा बजट 2020, विशेषज्ञों ने दी कई महत्वपूर्ण जानकारी - आम बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री 1फरवरी को आम बजट पेश करेंगी, जिसके संबंध में सीनियर चार्टेड एकाउंटेंट प्रकाश कुमार दत्त ईटीवी भारत से बात के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी दी.

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चार्टेड एकाउंटेंट प्रकाश कुमार
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Published : Jan 28, 2020, 7:24 PM IST

गिरिडीह: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो रहा है. बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक और दूसरा चरण दो मार्च से तीन अप्रैल तक चलेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्णकालिक बजट होगा. गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी अर्थशास्त्रियों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स के साथ मीटिंग करेंगे. इस बैठक का मकसद मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था की मंदी पर चर्चा और इससे उबरने के लिए जरूरी उपाय होगा. केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट से उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं. इस बजट के संबंध में विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें-आम बजट 2020: दुमकावासियों ने बताया कैसा हो इस बार का बजट
क्या है विशेषज्ञों की राय
गिरिडीह के सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रकाश कुमार दत्त ने ईटीवी भारत से बात के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी दी. जिसे करने से अर्थव्यवस्था को बूस्ट किया जा सकता है. इन्होंने बताया कि सबसे पहले अर्थव्यवस्था का चैलेंज कम्प्लाइन्स के बर्डेन को कम करना है. कम्प्लाइन्स का बर्डेन छोटे व मंझले व्यवसायी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. जीएसटी अभी भी स्टेबल नहीं हुआ है. नोटबंदी की मार अभी तक अर्थव्यवस्था पर है.
कंपनी पर जो टैक्सेशन है वह ठीक है इसका सकारात्मक प्रभाव उद्योगों के बैलेंसशीट पर दिख रहा है क्योंकि उनका टैक्स बर्डेन कम हुआ है लेकिन टैक्स का रेशनेलाइजेशन व्यक्तिगत में कम नहीं किया गया है.आज की तारीख में कम्पनी 22 प्रतिशत टैक्स दे रही है लेकिन पार्टनरशिप फर्म उसे 30 प्रतिशत प्लस सरचार्ज देना पड़ रहा है, जिसे कम करना चाहिए. व्यक्तिगत टैक्स में भी कमी लाने की जरूरत है. उन्होने कहा कि वित्त मंत्री बेहतर काम कर रही है जिसका रिजल्ट 3 से 6 महीने में दिखेगा.

गिरिडीह: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो रहा है. बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक और दूसरा चरण दो मार्च से तीन अप्रैल तक चलेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्णकालिक बजट होगा. गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी अर्थशास्त्रियों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट्स के साथ मीटिंग करेंगे. इस बैठक का मकसद मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था की मंदी पर चर्चा और इससे उबरने के लिए जरूरी उपाय होगा. केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट से उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं. इस बजट के संबंध में विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें-आम बजट 2020: दुमकावासियों ने बताया कैसा हो इस बार का बजट
क्या है विशेषज्ञों की राय
गिरिडीह के सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रकाश कुमार दत्त ने ईटीवी भारत से बात के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी दी. जिसे करने से अर्थव्यवस्था को बूस्ट किया जा सकता है. इन्होंने बताया कि सबसे पहले अर्थव्यवस्था का चैलेंज कम्प्लाइन्स के बर्डेन को कम करना है. कम्प्लाइन्स का बर्डेन छोटे व मंझले व्यवसायी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. जीएसटी अभी भी स्टेबल नहीं हुआ है. नोटबंदी की मार अभी तक अर्थव्यवस्था पर है.
कंपनी पर जो टैक्सेशन है वह ठीक है इसका सकारात्मक प्रभाव उद्योगों के बैलेंसशीट पर दिख रहा है क्योंकि उनका टैक्स बर्डेन कम हुआ है लेकिन टैक्स का रेशनेलाइजेशन व्यक्तिगत में कम नहीं किया गया है.आज की तारीख में कम्पनी 22 प्रतिशत टैक्स दे रही है लेकिन पार्टनरशिप फर्म उसे 30 प्रतिशत प्लस सरचार्ज देना पड़ रहा है, जिसे कम करना चाहिए. व्यक्तिगत टैक्स में भी कमी लाने की जरूरत है. उन्होने कहा कि वित्त मंत्री बेहतर काम कर रही है जिसका रिजल्ट 3 से 6 महीने में दिखेगा.

Intro:केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट से उद्योग जगत को काफी उम्मीदें हैं. लौह-कोयला व अभ्र्ख से जुड़े व्यवसायी भी कई उम्मीदें पाल रखी है. वित्त से जुड़े विशेषज्ञ का भी कहना है कि इस बार के बजट में कुछ ऐसा हो कि आर्थिक मंदी से गुजर रहे उद्योग को राहत मिले.


Body:गिरिडीह। जीडीपी का आंकड़ा लगातार एक वर्ष में गिर रहा है. पिछली तिमाही में भारत का ग्रोथ रेट 4.6 प्रतिशत रहा बेरोजगारी भी बढी है. हालांकि अर्थव्यवस्था एक साइकलिंग चीज है जो ऊपर नीचे होती रहती है जिसे ठीक सरकार ही कर सकती है. यह कहना है गिरिडीह के सीनियर चार्टेड एकाउंटेंट प्रकाश कुमार दत्त का. पीके दत्ता ने ईटीवी भारत से बात के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी दी जिसे करने से अर्थव्यवस्था को बूस्ट किया जा सकता है. इन्होंने बताया कि सबसे प्रथम अर्थव्यवस्था का चैलेंज कम्प्लाइन्स के बर्डेन को कम करना है. कम्प्लाइन्स का बर्डेन छोटे व मंझोले व्यवसायी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. जीएसटी अभी भी स्टेबल नहीं हुआ है. नोटबन्दी की मार अभी तक अर्थव्यवस्था पर है.

देश में सबसे अधिक रोजगार छोटे, मंझोले व्यवसाय व असंगठित क्षेत्र के द्वारा ही दिया जाता है. जब से नोटबन्दी व उसके बाद जीएसटी लागू किया गया तो सबसे अधिक मार इसी तीन क्षेत्र पर पड़ी. ऐसे में सरकार जीएसटी में एमेंडमेंट लावे और छोटे-छोटे जगहों पर कम्प्लाइन्स के बर्डेन को कम करे. कहा कि कम्प्लाइन्स के बर्डेन का प्रभाव महानगरों में नहीं पड़ता है इसका असर छोटे इलाके में ही पड़ता है. इस ओर गम्भीरता से ध्यान देने की दरकार है.




Conclusion:क्या है अपेक्षा
प्रकाश कुमार दत्त ने कहा कि कम्पनी पर जो टैक्सशेसन है वह ठीक है इसका सकारात्मकता प्रभाव उद्योगों के बैलेंसशीट पर दिख रहा है क्यूंकि उनका टैक्स बर्डेन कम हुआ है. लेकिन टैक्स का रेशनेलाइजेशन व्यक्तिगत में कम नहीं किया गया है. आज की तारीख में कम्पनी 22 प्रतिशत टैक्स दे रही है लेकिन पार्टनरशिप फर्म उसे 30 प्रतिशत प्लस सरचार्ज देना पड़ रहा है जिसे कम करना चाहिये. कहा कि व्यक्तिगत टैक्स में भी कमी लाने की जरूरत है. कहा कि वित्त मंत्री बेहतर काम कर रही है जिसका रिजल्ट 3 से 6 महीने में दिखेगा. कहा कि इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर जागरूकता बढ़ी है. लोग खुद ही टैक्स भरने को लेकर जागरुक है.
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