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हाल-ए-विकास: सांसद और विधायक बन गए मंत्री, लेकिन पांच साल में नहीं बनवा सके बराकर नदी पर पुल - विधायक जगरनाथ महतो

मंत्रियों के क्षेत्र में विकास योजनाओं का हाल बेहाल है. कई योजना का क्रियान्वयन पंचवर्षीय योजना की तरह चल रहा है. गिरिडीह के नक्सल प्रभावित क्षेत्र डुमरी और गिरिडीह सदर प्रखंड को जोड़ने के लिए पांच साल पहले पुल की आधारशिला रखी गई थी, जो अब तक अधूरा है.

Barakar rive
सांसद और विधायक बन गए मंत्री
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Published : Apr 10, 2022, 5:15 PM IST

गिरिडीहः डुमरी विधानसभा के विधायक जगरनाथ महतो राज्य के शिक्षा मंत्री बन चुके हैं. वहीं, कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी भी केंद्रीय राज्य मंत्री बन चुकी हैं. इन दोनों दिग्गज नेताओं के क्षेत्र की सीमा को जोड़ने के लिए लगभग पांच वर्ष पहले वर्ष 2017 में बराकर नदी पर पुल निर्माण का कार्य शुरू किया गया. इस पुल का शिलान्यास धूमधाम के किया गया और 18 महीने में पुल निर्माण की समय सीमा निर्धारित की गई. लेकिन पांच साल बितने के बावजूद 50 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो सका है.

यह भी पढ़ेंः गिरिडीह में भारी बारिश के कारण पुल ध्वस्त, प्रखंड मुख्यालय से टूटा 10 गांवों का संपर्क

सदर प्रखंड के बेरदोंगा पंचायत के कोरनाटांड और डुमरी प्रखंड के खुद्दीसार के बीच बराकर नदी पर पुल निर्माण करने की योजना तैयार हुई. वर्ष 2017 में 4 करोड़ 8 लाख रुपये की लागत से बनने वाली इस पुल की तामझाम के साथ निर्माण कार्य की आधारशिला रखी गई और कार्य भी शुरू किया गया. पुल निर्माण की जिम्मेदारी रामटहल शरण नामक ठेकेदार को दी गई, जो शुरुआत के एक डेढ़ साल तक तेजी से काम किया. लेकिन इसके बाद कच्छुआ की गति से काम होने लगा. अभी इस पुल के एक हिस्से (डुमरी की तरफ से ) पांच पिलर का काम हो गया है. लेकिन बीच का महत्वपूर्ण चार पिलर का काम शुरू भी नहीं किया जा सका है.

देखें पूरी खबर


स्थानीय प्रधान प्रतिनिधि बिरका हांसदा, पंचायत सेवक महेश और पालमो के पूर्व मुखिया जितेंद्र पांडेय कहते हैं कि बराकर नदी पर पुल नहीं रहने के कारण लोगों को नदी क्रॉस करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. बाइक को स्टार्ट कर पैदल ही नदी से गुजरना पड़ता है. खुद्दीसार के मुखिया अनिल रजक कहते हैं कि पुल बन जाता तो गिरिडीह से सरिया की दूरी भी कम हो जाती और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचना आसान हो जाता. लेकिन पुल निर्माण की गति काफी धीमी है.

यह भी पढ़ेंःपत्थर खदान-क्रशर की रायल्टी के पैसों से मिली पुल निर्माण की स्वीकृति, विधायक ने किया शिलान्यास


बिरका हांसदा इस निर्माण के कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हैं. उन्होंने कहा कि घटिया छड़ लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं जिस छड़ को महीनों खुले आसमान के नीचे रख दिया गया. जंग लगे छड़ का उपयोग ढलाई में किया गया है. उन्होंने कहा कि कोरनाटांड की तरफ से जिस पिलर की ढलाई की गई है, उसपर लगा छड़ जंग से सड़ रहा था.


ग्रामीणों के साथ साथ नदी में पिलर के लिए गड्ढा खोदने और पिलर खड़ा करने का काम करनेवाले पश्चिम बंगाल के कर्मी भी परेशान हैं. पश्चिम बंगाल से आये विश्वजीत मल्लिक कहते हैं कि एक साल से इस प्रोजेक्ट में पिलर का काम कर रहे हैं. बीच नदी में पिलर का सामान फंसा है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार से बार बार काम शुरू करने और बकाया मजदूरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन ठेकेदार कुछ सुन ही नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ माह से छह लोग ठेकेदार से बात करने और बकाया राशि लेने के लिए रूके हुए हैं. विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता भोला राम कहते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से प्रोजेक्ट में विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि फाउंडेशन भी चेंज किया गया. इससे भी विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा.

गिरिडीहः डुमरी विधानसभा के विधायक जगरनाथ महतो राज्य के शिक्षा मंत्री बन चुके हैं. वहीं, कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी भी केंद्रीय राज्य मंत्री बन चुकी हैं. इन दोनों दिग्गज नेताओं के क्षेत्र की सीमा को जोड़ने के लिए लगभग पांच वर्ष पहले वर्ष 2017 में बराकर नदी पर पुल निर्माण का कार्य शुरू किया गया. इस पुल का शिलान्यास धूमधाम के किया गया और 18 महीने में पुल निर्माण की समय सीमा निर्धारित की गई. लेकिन पांच साल बितने के बावजूद 50 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो सका है.

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सदर प्रखंड के बेरदोंगा पंचायत के कोरनाटांड और डुमरी प्रखंड के खुद्दीसार के बीच बराकर नदी पर पुल निर्माण करने की योजना तैयार हुई. वर्ष 2017 में 4 करोड़ 8 लाख रुपये की लागत से बनने वाली इस पुल की तामझाम के साथ निर्माण कार्य की आधारशिला रखी गई और कार्य भी शुरू किया गया. पुल निर्माण की जिम्मेदारी रामटहल शरण नामक ठेकेदार को दी गई, जो शुरुआत के एक डेढ़ साल तक तेजी से काम किया. लेकिन इसके बाद कच्छुआ की गति से काम होने लगा. अभी इस पुल के एक हिस्से (डुमरी की तरफ से ) पांच पिलर का काम हो गया है. लेकिन बीच का महत्वपूर्ण चार पिलर का काम शुरू भी नहीं किया जा सका है.

देखें पूरी खबर


स्थानीय प्रधान प्रतिनिधि बिरका हांसदा, पंचायत सेवक महेश और पालमो के पूर्व मुखिया जितेंद्र पांडेय कहते हैं कि बराकर नदी पर पुल नहीं रहने के कारण लोगों को नदी क्रॉस करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. बाइक को स्टार्ट कर पैदल ही नदी से गुजरना पड़ता है. खुद्दीसार के मुखिया अनिल रजक कहते हैं कि पुल बन जाता तो गिरिडीह से सरिया की दूरी भी कम हो जाती और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचना आसान हो जाता. लेकिन पुल निर्माण की गति काफी धीमी है.

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बिरका हांसदा इस निर्माण के कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हैं. उन्होंने कहा कि घटिया छड़ लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं जिस छड़ को महीनों खुले आसमान के नीचे रख दिया गया. जंग लगे छड़ का उपयोग ढलाई में किया गया है. उन्होंने कहा कि कोरनाटांड की तरफ से जिस पिलर की ढलाई की गई है, उसपर लगा छड़ जंग से सड़ रहा था.


ग्रामीणों के साथ साथ नदी में पिलर के लिए गड्ढा खोदने और पिलर खड़ा करने का काम करनेवाले पश्चिम बंगाल के कर्मी भी परेशान हैं. पश्चिम बंगाल से आये विश्वजीत मल्लिक कहते हैं कि एक साल से इस प्रोजेक्ट में पिलर का काम कर रहे हैं. बीच नदी में पिलर का सामान फंसा है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार से बार बार काम शुरू करने और बकाया मजदूरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन ठेकेदार कुछ सुन ही नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ माह से छह लोग ठेकेदार से बात करने और बकाया राशि लेने के लिए रूके हुए हैं. विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता भोला राम कहते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से प्रोजेक्ट में विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि फाउंडेशन भी चेंज किया गया. इससे भी विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा.

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