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मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा बिरहोर समुदाय, झोपड़ी में रहने को है मजबूर

गिरिडीह के बगोदर में रहने वाली बिरहोर जनजाति को रहने और खाने तक के लाले पड़ें हैं. गांव में पानी की बेहतर व्यवस्था भी नहीं है, जिससे आंगनबाड़ी केंद्र में खाना बनाने में दिक्कतें आती हैं. आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका ने कई बार इसकी शिकायत गांव के मुखिया से की है लेकिन जनप्रतिनिधि का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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Published : Nov 28, 2019, 4:25 PM IST

Birhor community struggling with lack of basic facilities in girihdih
विकास की बदहाल तस्वीर

बगोदर/गिरिडीहः जिले में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. गांव में चापाकल खराब होने से आंगनबाड़ी केंद्र में नौनिहालों के लिए खिचड़ी पकाने में सहायिका को परेशानी हो रही है. वहीं, कई परिवार आवास के अभाव में झोपड़ी में रहने को विवश हैं.

विकास की बदहाल तस्वीर

ये भी पढ़ें-नक्सली हमलों की गिनती भूल गए CM रघुवर दास ,13 जवानों की शहादत भी नहीं है याद

दरअसल, उपरोक्त मामला बगोदर प्रखंड के अटका अंतर्गत बूढ़ाचांच बिरहोर टंडा की है. आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका कुंती देवी बताती है कि एक महीने से चापाकल खराब है, जिससे बच्चों के लिए खिचड़ी बनाने में दिक्कत होती है. सहायिका बताती हैं कि सोलर सिस्टम है लेकिन उसका पानी कुएं से आता है जो दूषित रहता है.

वहीं, ग्रामीण सारो देवी का कहना है कि परिवार को आवास नहीं होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उनका परिवार झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर है. उन्होंने बताया कि कई बार आवास की मांग किए जाने के बाद भी उसे अनसुना कर दिया गया.

बगोदर/गिरिडीहः जिले में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. गांव में चापाकल खराब होने से आंगनबाड़ी केंद्र में नौनिहालों के लिए खिचड़ी पकाने में सहायिका को परेशानी हो रही है. वहीं, कई परिवार आवास के अभाव में झोपड़ी में रहने को विवश हैं.

विकास की बदहाल तस्वीर

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दरअसल, उपरोक्त मामला बगोदर प्रखंड के अटका अंतर्गत बूढ़ाचांच बिरहोर टंडा की है. आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका कुंती देवी बताती है कि एक महीने से चापाकल खराब है, जिससे बच्चों के लिए खिचड़ी बनाने में दिक्कत होती है. सहायिका बताती हैं कि सोलर सिस्टम है लेकिन उसका पानी कुएं से आता है जो दूषित रहता है.

वहीं, ग्रामीण सारो देवी का कहना है कि परिवार को आवास नहीं होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उनका परिवार झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर है. उन्होंने बताया कि कई बार आवास की मांग किए जाने के बाद भी उसे अनसुना कर दिया गया.

Intro:समस्याओं से जूझ रहा बिरहोर समुदाय, झोपड़ी में रहने की भी विवशता

बगोदर/गिरिडीह


Body:बगोदर/गिरिडीहः आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा. चापाकल खराब होने से जहां आंगनबाड़ी केंद्र में नौनिहालों के लिए खिचड़ी पकाने में सहायिका को परेशानी हो रही है वहीं एक- दो परिवारों को आवास के अभाव में झोपड़ी में भी रहने की विवशता है. उपरोक्त मामला बगोदर प्रखंड के अटका अंतर्गत बूढ़ाचांच बिरहोर टंडा की है. आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका कुंती देवी बताती है कि एक महीना से चापाकल खराब है. आधा किमी दूरी से पानी लाकर बच्चों के लिए खिचड़ी बनाया जाता है. बताती है कि सोलर सिस्टम है मगर उसका पानी कुआं से आता है जो दूषित रहता है. सारो देवी बताती है कि परिवार को आवास नहीं है. परिवार को झोपड़ी में रहने की विवशता है. परिवार की संख्या बढ़ती जा रही है. सारो देवी आवास दिए जाने की मांग की है.


Conclusion:कुंती देवी, सहायिका आंबा केंद्र

सारो देवी, ग्रामीण
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