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अनलॉक 2.0: बेहद मुश्किल हालात में ऑटो चालक, बैंक दे रहे किस्त नहीं भरने पर मुकदमे की धमकी

गिरिडीह और इससे सटे इलाकों में लगभग 3 हजार ऑटो संचालित हैं. ऑटो पार्ट्स की दुकानें, गैरेज, पंक्चर बनाने वालों की संख्या भी काफी अधिक है. ऐसे में सभी को मिला दिया जाए, तो इस क्षेत्र के 5 हजार परिवार बुरी तरह प्रभावित हैं. इन परिवारों में से कई का राशन कार्ड है और सरकार से अनाज भी मिल रहा है, लेकिन इससे पूरा महीना नहीं चलता.

Bankers threatening Auto drivers for not paying installments in giridih
बेहद मुश्किल हालात में ऑटो चालक
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Published : Jul 16, 2020, 6:54 PM IST

गिरिडीह: लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है. रोजगार की कमी हो गयी. किराया पर वाहन और ऑटो चलाने वाले लोगों को काफी परेशानियां हो रही हैं. पहले संपूर्ण लॉकडाउन के दरमियान पूरी तरह बेरोजगारी रही, अब जब अनलॉक हुआ तो वाहन को सवारी ही ब-मुश्किल मिल रही है. ऐसे में इन्हें घर चलाने में मुश्किल हो रही है. उसके ऊपर अधिकांश ऑटो चालक की परेशानी बैंक का लोन है.

अपनी हालत बयां करते ऑटो चालक
गिरिडीह और इससे सटे इलाकों में लगभग 3 हजार ऑटो संचालित हैं. ऑटो पार्ट्स की दुकानें, गैरेज, पंक्चर बनाने वालों की संख्या भी काफी अधिक है. ऐसे में सभी को मिला दिया जाए, तो इस क्षेत्र के 5 हजार परिवार बुरी तरह प्रभावित हैं. इन परिवारों में से कई का राशन कार्ड है और सरकार से अनाज भी मिल रहा है, लेकिन इससे पूरा महीना नहीं चलता.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में आर्थिक स्थिति हुई खराब तो महिलाओं ने संभाली कमान, बनीं आत्मनिर्भर


आधी भी नहीं रही कमाई, उसपर चढ़ गया डीजल का पारा

पचम्बा से गिरिडीह मुख्यालय के रूट पर ऑटो चलाने वाले बिशनपुर के इजहार बताते हैं कि वो पहले स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम करते थे. कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ा तो स्कूल बंद कर दिए गए. संपूर्ण लॉकडाउन के समय काफी परेशानी झेलनी पड़ी. लॉकडाउन में ढील मिली और ऑटो चलने लगे तो यात्री ही कम मिल रहे हैं. धीरे-धीरे डीजल के दाम बढ़ने लगे, जिससे परेशानी भी बढ़ने लगी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से पहले 500-600 रूपये प्रतिदिन की कमाई होती थी. अब 200 रुपये कमाना भी मुश्किल हो रहा है.

बैंक दे रहे मुकदमा करने की धमकी

बेड़ो के रहने वाले शंभू कुमार राय की खुद की ऑटो है. इस ऑटो को शंभू ने प्राइवेट बैंक से लोन पर लिया है. अब इसकी किस्त शंभू के लिए परेशानी बन गई है. शंभू बताते हैं कि ऑटो लेने के कुछ महीने बाद लॉकडाउन लग गया और कमाई बंद हो गई. लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद ऑटो लेकर सड़क पर उतरे तो सवारी ही ठीक से नहीं मिल रहा है. इस बीच बैंक भी ईएमआई के लिए लगातार दबाव बनाने लगा. गाड़ी खींच लेने, मुकदमा करने की भी धमकी दी गई. काफी निवेदन करने पर अगस्त तक का समय दिया गया. अब अगस्त आने वाला है, लेकिन कमाई नहीं हो रही. ऐसे में लोन की ईएमआई कैसे भरी जाएगी. इसकी चिंता सता रही है.

फाइनेंसर दे रहा वाहन खींचने की धमकी

बेड़ो के ही रहने वाले शंकर राय सूरत में ऑटो चलाते हैं. मार्च में ही ऑटो को सूरत में खड़ाकर परिवार के साथ वापस घर लौटे हैं. अब जिस फाइनेंस कंपनी से शंकर ने ऑटो लिया है, उसके कर्मी लोन की किस्त देने का दबाव बना रहे हैं. शंकर कहते हैं कि उनके पास पैसा है ही नहीं.

योजना बनाने की दरकार

भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा कहते हैं कि ऑटो चालक-संचालक की माली स्थिति खराब है. ज्यादातर ऑटो लोन पर हैं. ऐसे में लोन की किस्त जमा करने का प्रेशर है. जब लोगों की कमाई रहेगी ही नहीं, तो किस्त कहां से भरेंगे. राजेश का कहना है कि सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. किराए पर वाहन चलाने वालों को अलग से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए.

गिरिडीह: लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है. रोजगार की कमी हो गयी. किराया पर वाहन और ऑटो चलाने वाले लोगों को काफी परेशानियां हो रही हैं. पहले संपूर्ण लॉकडाउन के दरमियान पूरी तरह बेरोजगारी रही, अब जब अनलॉक हुआ तो वाहन को सवारी ही ब-मुश्किल मिल रही है. ऐसे में इन्हें घर चलाने में मुश्किल हो रही है. उसके ऊपर अधिकांश ऑटो चालक की परेशानी बैंक का लोन है.

अपनी हालत बयां करते ऑटो चालक
गिरिडीह और इससे सटे इलाकों में लगभग 3 हजार ऑटो संचालित हैं. ऑटो पार्ट्स की दुकानें, गैरेज, पंक्चर बनाने वालों की संख्या भी काफी अधिक है. ऐसे में सभी को मिला दिया जाए, तो इस क्षेत्र के 5 हजार परिवार बुरी तरह प्रभावित हैं. इन परिवारों में से कई का राशन कार्ड है और सरकार से अनाज भी मिल रहा है, लेकिन इससे पूरा महीना नहीं चलता.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में आर्थिक स्थिति हुई खराब तो महिलाओं ने संभाली कमान, बनीं आत्मनिर्भर


आधी भी नहीं रही कमाई, उसपर चढ़ गया डीजल का पारा

पचम्बा से गिरिडीह मुख्यालय के रूट पर ऑटो चलाने वाले बिशनपुर के इजहार बताते हैं कि वो पहले स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम करते थे. कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ा तो स्कूल बंद कर दिए गए. संपूर्ण लॉकडाउन के समय काफी परेशानी झेलनी पड़ी. लॉकडाउन में ढील मिली और ऑटो चलने लगे तो यात्री ही कम मिल रहे हैं. धीरे-धीरे डीजल के दाम बढ़ने लगे, जिससे परेशानी भी बढ़ने लगी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से पहले 500-600 रूपये प्रतिदिन की कमाई होती थी. अब 200 रुपये कमाना भी मुश्किल हो रहा है.

बैंक दे रहे मुकदमा करने की धमकी

बेड़ो के रहने वाले शंभू कुमार राय की खुद की ऑटो है. इस ऑटो को शंभू ने प्राइवेट बैंक से लोन पर लिया है. अब इसकी किस्त शंभू के लिए परेशानी बन गई है. शंभू बताते हैं कि ऑटो लेने के कुछ महीने बाद लॉकडाउन लग गया और कमाई बंद हो गई. लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद ऑटो लेकर सड़क पर उतरे तो सवारी ही ठीक से नहीं मिल रहा है. इस बीच बैंक भी ईएमआई के लिए लगातार दबाव बनाने लगा. गाड़ी खींच लेने, मुकदमा करने की भी धमकी दी गई. काफी निवेदन करने पर अगस्त तक का समय दिया गया. अब अगस्त आने वाला है, लेकिन कमाई नहीं हो रही. ऐसे में लोन की ईएमआई कैसे भरी जाएगी. इसकी चिंता सता रही है.

फाइनेंसर दे रहा वाहन खींचने की धमकी

बेड़ो के ही रहने वाले शंकर राय सूरत में ऑटो चलाते हैं. मार्च में ही ऑटो को सूरत में खड़ाकर परिवार के साथ वापस घर लौटे हैं. अब जिस फाइनेंस कंपनी से शंकर ने ऑटो लिया है, उसके कर्मी लोन की किस्त देने का दबाव बना रहे हैं. शंकर कहते हैं कि उनके पास पैसा है ही नहीं.

योजना बनाने की दरकार

भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा कहते हैं कि ऑटो चालक-संचालक की माली स्थिति खराब है. ज्यादातर ऑटो लोन पर हैं. ऐसे में लोन की किस्त जमा करने का प्रेशर है. जब लोगों की कमाई रहेगी ही नहीं, तो किस्त कहां से भरेंगे. राजेश का कहना है कि सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. किराए पर वाहन चलाने वालों को अलग से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए.

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