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प्रभु भक्ति में कटती है अंगैया गांव के लोगों की जिंदगी, शराब का सेवन है वर्जित - गिरिडीह का अंगैया गांव में शराब का सेवन वर्जित

गिरिडीह का उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ का अंगैया गांव दशकों से आदर्श बना हुआ है. यहां के लोगों की जिंदगी प्रभु भक्ति में ही गुजरती है. शाकाहारी भोजन का सेवन करने वाले यहां के ग्रामीण नशा विरोधी हैं. यह एक ऐसा गांव है जहां पूरी तरह से शराबबंदी है.

alcohol consumption prohibited in angaiya village of giridih
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Published : Nov 30, 2020, 7:42 PM IST

गिरिडीह: गिरिडीह के पीरटांड़ क्षेत्र का नाम आते ही जेहन में नक्सलवाद की तस्वीर उभरने लगती है. उग्रवादियों के इस गढ़ में एक ऐसा गांव भी है जो समाज को अलग ही संदेश देता है. इस गांव के लोग प्रभु की भक्ति में लीन रहते है. हर वर्ग के लोग सुबह से रात तक प्रभु की भक्ति करते हैं. यहां लोगों का प्रिय भोजन शाकाहारी है. यहां शराबबंदी भी पूरी तरह से लागू है. यहां के लोग ना खुद शराब पीते हैं और ना ही गांव में किसी को पीने देते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी
दशकों से है व्यवस्थालगभग 70 परिवार के इस गांव में यह व्यवस्था कब से लागू है. यह पूरी तरह से साफ नहीं है लेकिन वयोवृद्ध लोगों का कहना है कि उनके पूर्वज भी मांसाहार और शराब के विरोधी थे. उनकी आगे की पीढ़ी भी इसी परंपरा को जारी रखेगी. प्रभु की भक्ति में लीनयह गांव प्रभु की भक्ति के लिए भी जाना जाता है. इस गांव के बुजुर्ग, जवान और बच्चे भी सुबह से लेकर रात तक प्रभु की भक्ति करते हैं. धर्म के प्रति इनकी आस्था अटूट है. लगभग हर घर के लोग भजन गाना जानते हैं. वहीं यहां की भजन मंडली दूसरे क्षेत्र में भी जाकर भक्ति कार्यक्रम प्रस्तुत करती है. शाकाहार से ही हेल्दी रह सकते हैं लोगइस गांव में बुजुर्गों की भी अच्छी खासी संख्या है. कोई 70 तो कोई 90 वर्ष का है. एक दो महिलाएं उम्र के सौवें पड़ाव तक पहुंच चुकी हैं. इतनी उम्र के बाद भी ये बुजुर्ग अपना सारा काम खुद ही करते हैं. इनका कहना है कि शाकाहार के कारण वे स्वस्थ्य हैं. माइके की परंपरा भूल चुकी है महिलाएंइस गांव में शादी विवाह में भी लगभग एक ही परंपरा है. वैवाहिक कार्यक्रम में यहां के लोग दूसरे स्थान पर जाते हैं तो इनकी शर्त भी रहती है. शर्त रहती है कि भोजन इन्हें सात्विक ही मिले. दूसरे गांव या शहर से ब्याह कर लायी गयी युवतियां भी यहां आकर सिर्फ सात्विक बन जाती है.

ये भी पढ़े- साहिबगंजः कार्तिक पूर्णिमा पर भी कोरोना का असर, उत्तरवाहिनी गंगा में कम दिखे श्रद्धालु

शराब बेचते पकड़ाया तो मिली सजा
वैसे तो नशा से लोगों को दूर रहने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लेकिन अंगैया में स्वतः शराबबंदी है. यहां शराब पीना ही जुर्म है. शराब पीने पर उसे सामाजिक दंड दी जाती है. ग्रामीण बताते हैं कि पिछले दिनों गांव का एक व्यक्ति चोरी छिपे शराब बेच रहा था. उस व्यक्ति का विरोध किया गया और अंततः उसने शराब बेचना बंद करवा दिया.

गिरिडीह: गिरिडीह के पीरटांड़ क्षेत्र का नाम आते ही जेहन में नक्सलवाद की तस्वीर उभरने लगती है. उग्रवादियों के इस गढ़ में एक ऐसा गांव भी है जो समाज को अलग ही संदेश देता है. इस गांव के लोग प्रभु की भक्ति में लीन रहते है. हर वर्ग के लोग सुबह से रात तक प्रभु की भक्ति करते हैं. यहां लोगों का प्रिय भोजन शाकाहारी है. यहां शराबबंदी भी पूरी तरह से लागू है. यहां के लोग ना खुद शराब पीते हैं और ना ही गांव में किसी को पीने देते हैं.

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दशकों से है व्यवस्थालगभग 70 परिवार के इस गांव में यह व्यवस्था कब से लागू है. यह पूरी तरह से साफ नहीं है लेकिन वयोवृद्ध लोगों का कहना है कि उनके पूर्वज भी मांसाहार और शराब के विरोधी थे. उनकी आगे की पीढ़ी भी इसी परंपरा को जारी रखेगी. प्रभु की भक्ति में लीनयह गांव प्रभु की भक्ति के लिए भी जाना जाता है. इस गांव के बुजुर्ग, जवान और बच्चे भी सुबह से लेकर रात तक प्रभु की भक्ति करते हैं. धर्म के प्रति इनकी आस्था अटूट है. लगभग हर घर के लोग भजन गाना जानते हैं. वहीं यहां की भजन मंडली दूसरे क्षेत्र में भी जाकर भक्ति कार्यक्रम प्रस्तुत करती है. शाकाहार से ही हेल्दी रह सकते हैं लोगइस गांव में बुजुर्गों की भी अच्छी खासी संख्या है. कोई 70 तो कोई 90 वर्ष का है. एक दो महिलाएं उम्र के सौवें पड़ाव तक पहुंच चुकी हैं. इतनी उम्र के बाद भी ये बुजुर्ग अपना सारा काम खुद ही करते हैं. इनका कहना है कि शाकाहार के कारण वे स्वस्थ्य हैं. माइके की परंपरा भूल चुकी है महिलाएंइस गांव में शादी विवाह में भी लगभग एक ही परंपरा है. वैवाहिक कार्यक्रम में यहां के लोग दूसरे स्थान पर जाते हैं तो इनकी शर्त भी रहती है. शर्त रहती है कि भोजन इन्हें सात्विक ही मिले. दूसरे गांव या शहर से ब्याह कर लायी गयी युवतियां भी यहां आकर सिर्फ सात्विक बन जाती है.

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शराब बेचते पकड़ाया तो मिली सजा
वैसे तो नशा से लोगों को दूर रहने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लेकिन अंगैया में स्वतः शराबबंदी है. यहां शराब पीना ही जुर्म है. शराब पीने पर उसे सामाजिक दंड दी जाती है. ग्रामीण बताते हैं कि पिछले दिनों गांव का एक व्यक्ति चोरी छिपे शराब बेच रहा था. उस व्यक्ति का विरोध किया गया और अंततः उसने शराब बेचना बंद करवा दिया.

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