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आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर भी गिरिडीह जिले के 350 गांव सड़क सुविधा से वंचित, माले ने उठाया सवाल - झारखंड समाचार

देश में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है लेकिन अभी भी गिरिडीह के 350 गांव को सड़कों सें जोड़ा नहीं गया है. भाकपा माले ने इसपर सवाल उठाया है. माले विधायक ने जिले को विशेष पैकेज देने की मांग रखी है.

350 villages of Giridih district deprived of road facility
350 villages of Giridih district deprived of road facility
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Published : Aug 14, 2022, 5:55 PM IST

गिरिडीह: आजादी की 75वीं वर्षगांठ (75 anniversary of independence) पर 9 से 15 अगस्त तक भाकपा माले द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान के बीच, पार्टी की ओर से गिरिडीह जिले के 350 से भी अधिक गांवों को सड़क से नहीं जोड़े जाने पर सवाल उठाया है. इसे लेकर डीसी नमन प्रियेश लकड़ा (DC Naman Priyesh Lakra) को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल राज्य और केंद्र सरकार को पत्र लिखने का आग्रह किया गया. इस संदर्भ में भाकपा माले विधायक विनोद सिंह (CPI ML MLA Vinod Singh) ने कहा है कि आजादी के 75 वर्ष (75 anniversary of independence) हो गए हैं. यह वर्ष सरकार के द्वारा अमृत काल के रूप में मनाया जा रहा है. लेकिन 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद सच्चाई यह है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

ये भी पढ़ें: Independence Day 2022: झारखंड के 26 पुलिसकर्मियों को स्वतंत्रता दिवस पर मिलेगा पदक, यहां देखें पूरी लिस्ट

गिरिडीह जिला झारखंड के सबसे बड़े जिलों में से एक है, जो केंद्र सरकार के द्वारा एक उग्रवाद प्रभावित जिला के रूप में घोषित है. अभी पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने गिरिडीह को आकांक्षी जिला भी घोषित किया है, जहां उस जिले की जरूरतों को विशेष प्राथमिकता देनी थी, लेकिन 2022 की समय सीमा के बावजूद अभी भी जिला में एक लाख से ज्यादा परिवार पक्का मकान का सपना ही देख रहे हैं. गिरिडीह जिले के 350 से ज्यादा ग्राम पक्की सड़क से वंचित हैं. आए दिन मरीज को टांग कर नजदीकी हॉस्पिटल पहुंचाने की खबर सुर्खियों में रहती है.

सीपीआई माले ने कहा कि नियम के अनुसार गिरिडीह जिला उग्रवाद प्रभावित रहने के कारण 150 से 250 की आबादी तक के सभी गांवों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जोड़ा जाना था. लेकिन 2014 तक उस योजना के तहत 2001 की जनगणना के अनुसार 500 से ज्यादा आबादी के ग्राम को एक हद तक स्वीकृति मिली. उसके बाद के फेज के गांवों की 2014 के बाद स्वीकृति नहीं मिली. जबकि 2014 से 19 तक गिरीडीह जिले में भाजपा के 2 सांसद, 4 विधायक और राज्य तथा केंद्र में उनकी ही सरकार रही.


विधायक विनोद सिंह ने कहा कि 2020 में जब सरकार से 'मैंने विधानसभा में यह सवाल रखा कि, पात्रता के बावजूद गिरीडीह के ग्राम क्यों वंचित रहे ? तब राज्य सरकार ने जिला से रिपोर्ट मांगी, और जिला प्रशासन गिरीडीह ने एक तात्कालिक सर्वे रिपोर्ट भेजी. रिपोर्ट के अनुसार 350 से ज्यादा गांव प्रधानमंत्री सड़क योजना की पात्रता के बावजूद वंचित हैं. हमारे प्रश्न पर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा कि, हम अपना राज्य का अंश देने को सहमत हैं, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत स्वीकृति दी जाय. तब केंद्र ने मौखिक तौर पर दो टूक जवाब दिया कि, जब 2015 से 2017 तक प्रस्ताव देना था, तब क्यो नही दिए.? इसलिए अब अभी तत्काल विचार नही होगा. जाहिर है, पूर्व सरकार की त्रुटि का खामियाजा इस जिला को भुगतना पड़ रहा है.'

विधायक ने कहा कि 'मैंने फिर से विधानसभा में राज्य सरकार से पूछा कि केंद्र स्वीकृति नहीं दे रही है, तो राज्य सरकार गिरिडीह जिला को मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत विशेष प्राथमिकता दे, ताकि उक्त गैप को पाटा जा सके है. राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि, गिरिडीह के साथ गलती हुई है, प्राथमिकता देंगे लेकिन अभी तक मिली नहीं है. उन्होंने कहा कि वे उपायुक्त से यह मांग करते है कि, भारत सरकार को पत्र लिखें की आकांक्षी जिला होने के नाते प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वंचित ग्राम को तत्काल स्वीकृति दे. साथ ही, राज्य सरकार से मांग करते है कि, आपने उक्त त्रुटि को स्वीकार किया है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार उक्त स्थिति में गिरिडीह को विशेष पैकेज दें.'

इस विषय को लेकर भाकपा माले द्वारा धरना भी दिया गया था. पार्टी के पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने कहा ने जिले के 350 गांव सड़क सुविधा से वंचित रहने से केंद्र की मोदी सरकार सहित झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार की पोल खुल गई है. उन्होंने कहा कि अगर शीघ्र ही सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा नहीं गया तो जिले भर में आंदोलन चलाया जाएगा. माले नेता राजेश यादव, राजेश सिन्हा ने भी जिले को विशेष पैकेज देने की मांग रखी है.

गिरिडीह: आजादी की 75वीं वर्षगांठ (75 anniversary of independence) पर 9 से 15 अगस्त तक भाकपा माले द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान के बीच, पार्टी की ओर से गिरिडीह जिले के 350 से भी अधिक गांवों को सड़क से नहीं जोड़े जाने पर सवाल उठाया है. इसे लेकर डीसी नमन प्रियेश लकड़ा (DC Naman Priyesh Lakra) को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल राज्य और केंद्र सरकार को पत्र लिखने का आग्रह किया गया. इस संदर्भ में भाकपा माले विधायक विनोद सिंह (CPI ML MLA Vinod Singh) ने कहा है कि आजादी के 75 वर्ष (75 anniversary of independence) हो गए हैं. यह वर्ष सरकार के द्वारा अमृत काल के रूप में मनाया जा रहा है. लेकिन 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद सच्चाई यह है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

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गिरिडीह जिला झारखंड के सबसे बड़े जिलों में से एक है, जो केंद्र सरकार के द्वारा एक उग्रवाद प्रभावित जिला के रूप में घोषित है. अभी पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने गिरिडीह को आकांक्षी जिला भी घोषित किया है, जहां उस जिले की जरूरतों को विशेष प्राथमिकता देनी थी, लेकिन 2022 की समय सीमा के बावजूद अभी भी जिला में एक लाख से ज्यादा परिवार पक्का मकान का सपना ही देख रहे हैं. गिरिडीह जिले के 350 से ज्यादा ग्राम पक्की सड़क से वंचित हैं. आए दिन मरीज को टांग कर नजदीकी हॉस्पिटल पहुंचाने की खबर सुर्खियों में रहती है.

सीपीआई माले ने कहा कि नियम के अनुसार गिरिडीह जिला उग्रवाद प्रभावित रहने के कारण 150 से 250 की आबादी तक के सभी गांवों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जोड़ा जाना था. लेकिन 2014 तक उस योजना के तहत 2001 की जनगणना के अनुसार 500 से ज्यादा आबादी के ग्राम को एक हद तक स्वीकृति मिली. उसके बाद के फेज के गांवों की 2014 के बाद स्वीकृति नहीं मिली. जबकि 2014 से 19 तक गिरीडीह जिले में भाजपा के 2 सांसद, 4 विधायक और राज्य तथा केंद्र में उनकी ही सरकार रही.


विधायक विनोद सिंह ने कहा कि 2020 में जब सरकार से 'मैंने विधानसभा में यह सवाल रखा कि, पात्रता के बावजूद गिरीडीह के ग्राम क्यों वंचित रहे ? तब राज्य सरकार ने जिला से रिपोर्ट मांगी, और जिला प्रशासन गिरीडीह ने एक तात्कालिक सर्वे रिपोर्ट भेजी. रिपोर्ट के अनुसार 350 से ज्यादा गांव प्रधानमंत्री सड़क योजना की पात्रता के बावजूद वंचित हैं. हमारे प्रश्न पर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा कि, हम अपना राज्य का अंश देने को सहमत हैं, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत स्वीकृति दी जाय. तब केंद्र ने मौखिक तौर पर दो टूक जवाब दिया कि, जब 2015 से 2017 तक प्रस्ताव देना था, तब क्यो नही दिए.? इसलिए अब अभी तत्काल विचार नही होगा. जाहिर है, पूर्व सरकार की त्रुटि का खामियाजा इस जिला को भुगतना पड़ रहा है.'

विधायक ने कहा कि 'मैंने फिर से विधानसभा में राज्य सरकार से पूछा कि केंद्र स्वीकृति नहीं दे रही है, तो राज्य सरकार गिरिडीह जिला को मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत विशेष प्राथमिकता दे, ताकि उक्त गैप को पाटा जा सके है. राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि, गिरिडीह के साथ गलती हुई है, प्राथमिकता देंगे लेकिन अभी तक मिली नहीं है. उन्होंने कहा कि वे उपायुक्त से यह मांग करते है कि, भारत सरकार को पत्र लिखें की आकांक्षी जिला होने के नाते प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वंचित ग्राम को तत्काल स्वीकृति दे. साथ ही, राज्य सरकार से मांग करते है कि, आपने उक्त त्रुटि को स्वीकार किया है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार उक्त स्थिति में गिरिडीह को विशेष पैकेज दें.'

इस विषय को लेकर भाकपा माले द्वारा धरना भी दिया गया था. पार्टी के पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने कहा ने जिले के 350 गांव सड़क सुविधा से वंचित रहने से केंद्र की मोदी सरकार सहित झारखंड की तत्कालीन भाजपा सरकार की पोल खुल गई है. उन्होंने कहा कि अगर शीघ्र ही सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा नहीं गया तो जिले भर में आंदोलन चलाया जाएगा. माले नेता राजेश यादव, राजेश सिन्हा ने भी जिले को विशेष पैकेज देने की मांग रखी है.

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