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महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना त्रुटिपूर्ण, लोगों ने की सरकार से ध्यान देने की अपील

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Published : Mar 19, 2020, 3:03 PM IST

दुमका के जामा प्रखंड के भैरवपुर गांव में महिलाओं को स्कूल ड्रेस तैयार करने के काम से जोड़ा गया लेकिन सरकार महिलाओं को उचित ट्रेनिंग नहीं दी. महिलाओं को कपड़ा सिलने की ट्रेंनिग तो मिली लेकिन कटिंग करना नहीं सिखाया गया.

Women did not get proper training to prepare school dress in dumka
स्कूल ड्रेस बनाती महिला

दुमका: केंद्र हो या राज्य सरकार दोनों की योजना महिलाओं में हुनर विकसित कर उसे आत्मनिर्भर बनाने की है. इस पर काम चल रहा है. सरकार की बड़ी राशि खर्च हो रही है लेकिन कुछ त्रुटियों की वजह से योजना का लाभ सही ढंग से जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है. इसका उदाहरण दुमका के जामा प्रखंड के भैरवपुर गांव में देखने को मिला है. यहां महिलाओं को स्कूल ड्रेस तैयार करने के काम से जोड़ा गया है लेकिन उन्हें कपड़ा सिलने की ट्रेनिंग मिली पर कटिंग करना नहीं सिखाया गया. इसके साथ ही कई उपकरण भी महीनों से खराब हैं उसे देखने वाला कोई नहीं है.

देखें पूरी खबर

क्या है पूरा मामला

दुमका के जामा प्रखंड के भैरवपुर गांव में 2018 में तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ग्रामीण महिलाओं को हुनरमंद बनाने और स्वरोजगार से जोड़ने की स्कूल ड्रेस निर्माण योजना का शुरुआत की थी. इस पर लगभग 50 लाख रुपये खर्च हुए. इसके तहत उन्हें आधुनिक सिलाई मशीन उपलब्ध कराए गए. योजना थी कपड़े की कटाई - सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना लेकिन यह योजना सही ढंग से जमीन पर नहीं उतर पा रहा है.

आधी अधूरी मिली ट्रेनिंग

सरकारी मशीनरी के कामकाज का अनोखा तरीका इस योजना में देखने को मिला. जब महिलाओं को कपड़ा सिलने के काम से जोड़ा जाना था, पहले उनका प्रशिक्षण हुआ. आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें सिर्फ सिलाई करने का प्रशिक्षण दिया गया लेकिन कपड़े की कटिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई. अभी महिलाओं को सरकारी स्कूल के बच्चों के ड्रेस सिलने का काम दिया गया है लेकिन कपड़ा जब इनके पास आता है तो सरकारी स्तर पर दुसरी जगह इसकी कटिंग के लिए भेजा जाता है. वहां से कटिंग होकर जब आता है तब फिर इसे वे सिलते हैं. ऐसे में काफी समय निकल जाता है. वर्तमान में इनके पास कटिंग किया हुआ कपड़ा नहीं आने की वजह से इन्हें काम नहीं है. इसके साथ ही कटिंग इन महिलाओं के मनोनुकूल नहीं रहता. जैसे भी कपड़ा कटिंग होकर आता है उसे ही तैयार करना इनकी बाध्यता होती है.

कई मशीनें हैं खराब

महिलाओं को जो मशीनें उपलब्ध कराई गई है उसमें कई मशीनें खराब है. जैसे तैसे सिलाई का काम हो रहा है. इंटरलॉक की मशीन काफी दिनों से खराब है. कई सिलाई मशीन भी काम नहीं कर पा रहा. एम्ब्रॉयडरी का मशीन भी खराब है. कपड़ों में जो ईस्त्री होनी है, वह तो आज तक नहीं हुई. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हो पा रहा है, इससे महिलाओं में काफी नाराजगी है. उनका कहना है कि इन सब चीजों का सुधार किया जाए.

ये भी देखें- झारखंड में काम कर रही कंस्ट्रक्शन कंपनी सवालों के घेरे में, विधायक सरयू राय ने लगाए कई गंभीर आरोप

बिजली की आंख मिचौली से हैं परेशान

इन्हें जो भी मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं सभी बिजली से संचालित है. गांव में बिजली की आंख मिचौली से इनका काम सही ढंग से नहीं हो पाता. ये चाहती हैं कि इस दिशा में कोई सार्थक पहल हो, कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.

महिलाओं को दिया जाएगा कटिंग का प्रशिक्षण

इस संबंध में जब दुमका जिला के उप विकास आयुक्त से बात की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी कमियां है उसे जल्द दूर किया जाएगा. खासतौर पर कटिंग का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाएगा ताकि यह बेहतर कार्य कर सकें.

दुमका: केंद्र हो या राज्य सरकार दोनों की योजना महिलाओं में हुनर विकसित कर उसे आत्मनिर्भर बनाने की है. इस पर काम चल रहा है. सरकार की बड़ी राशि खर्च हो रही है लेकिन कुछ त्रुटियों की वजह से योजना का लाभ सही ढंग से जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता है. इसका उदाहरण दुमका के जामा प्रखंड के भैरवपुर गांव में देखने को मिला है. यहां महिलाओं को स्कूल ड्रेस तैयार करने के काम से जोड़ा गया है लेकिन उन्हें कपड़ा सिलने की ट्रेनिंग मिली पर कटिंग करना नहीं सिखाया गया. इसके साथ ही कई उपकरण भी महीनों से खराब हैं उसे देखने वाला कोई नहीं है.

देखें पूरी खबर

क्या है पूरा मामला

दुमका के जामा प्रखंड के भैरवपुर गांव में 2018 में तात्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ग्रामीण महिलाओं को हुनरमंद बनाने और स्वरोजगार से जोड़ने की स्कूल ड्रेस निर्माण योजना का शुरुआत की थी. इस पर लगभग 50 लाख रुपये खर्च हुए. इसके तहत उन्हें आधुनिक सिलाई मशीन उपलब्ध कराए गए. योजना थी कपड़े की कटाई - सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना लेकिन यह योजना सही ढंग से जमीन पर नहीं उतर पा रहा है.

आधी अधूरी मिली ट्रेनिंग

सरकारी मशीनरी के कामकाज का अनोखा तरीका इस योजना में देखने को मिला. जब महिलाओं को कपड़ा सिलने के काम से जोड़ा जाना था, पहले उनका प्रशिक्षण हुआ. आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें सिर्फ सिलाई करने का प्रशिक्षण दिया गया लेकिन कपड़े की कटिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई. अभी महिलाओं को सरकारी स्कूल के बच्चों के ड्रेस सिलने का काम दिया गया है लेकिन कपड़ा जब इनके पास आता है तो सरकारी स्तर पर दुसरी जगह इसकी कटिंग के लिए भेजा जाता है. वहां से कटिंग होकर जब आता है तब फिर इसे वे सिलते हैं. ऐसे में काफी समय निकल जाता है. वर्तमान में इनके पास कटिंग किया हुआ कपड़ा नहीं आने की वजह से इन्हें काम नहीं है. इसके साथ ही कटिंग इन महिलाओं के मनोनुकूल नहीं रहता. जैसे भी कपड़ा कटिंग होकर आता है उसे ही तैयार करना इनकी बाध्यता होती है.

कई मशीनें हैं खराब

महिलाओं को जो मशीनें उपलब्ध कराई गई है उसमें कई मशीनें खराब है. जैसे तैसे सिलाई का काम हो रहा है. इंटरलॉक की मशीन काफी दिनों से खराब है. कई सिलाई मशीन भी काम नहीं कर पा रहा. एम्ब्रॉयडरी का मशीन भी खराब है. कपड़ों में जो ईस्त्री होनी है, वह तो आज तक नहीं हुई. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हो पा रहा है, इससे महिलाओं में काफी नाराजगी है. उनका कहना है कि इन सब चीजों का सुधार किया जाए.

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बिजली की आंख मिचौली से हैं परेशान

इन्हें जो भी मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं सभी बिजली से संचालित है. गांव में बिजली की आंख मिचौली से इनका काम सही ढंग से नहीं हो पाता. ये चाहती हैं कि इस दिशा में कोई सार्थक पहल हो, कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए.

महिलाओं को दिया जाएगा कटिंग का प्रशिक्षण

इस संबंध में जब दुमका जिला के उप विकास आयुक्त से बात की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी कमियां है उसे जल्द दूर किया जाएगा. खासतौर पर कटिंग का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जाएगा ताकि यह बेहतर कार्य कर सकें.

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