दुमका: समाज में बदलाव लाने के लिए हमेशा क्रांति की आवश्यकता नहीं होती, बस एक सकारात्मक प्रयास भी समाज में काफी बदलाव ला सकता है. कुछ ऐसा ही प्रयास कर रही हैं दुमका के हिजला ग्राम की आदिवासी समाज की महिलाएं. इन महिलाओं ने दुमका में आयोजित राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव में एक ढाबा खोला है और लोगों को स्वादिष्ट भोजन परोस रही है. यहां खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश महिलाएं मेले में पहले देसी शराब हड़िया बेचा करती थीं, लेकिन इन्हें लगा कि यह काम अच्छा नहीं है इससे समाज बिगड़ रहा है. जिसके बाद महिलाओं ने इस ढाबे की शुरूआत की.
ये भी पढ़ें-शैक्षणिक स्तर बेहतर बनाने में सरकार की कोशिशें नाकाम, यहां बच्चे नहीं जानते राज्य की राजधानी का भी नाम
पांच हजार रुपए से शुरू किया ढाबा
गरीब होने की वजह से इनके पास पूंजी कम थी. जिसके बाद सभी सदस्यों ने पांच सौ रुपये मिलाया और पांच हजार से यह ढाबा शुरू किया. यह सभी आपस में ही मिलकर खुद खाना बनाती हैं और लोगों को परोसती हैं. इतना ही नहीं ये साफ-सफाई में भी खास ध्यान देती हैं.
क्या कहती हैं महिलाएं
यह 10 महिलाओं का ग्रुप है, जिसमें सुनीता रानी जो ग्रेजुएट हैं कहती हैं पहले इस समूह की महिलाएं शराब बेचती थी जो उन्हें अच्छा नहीं लगता था. उन्होंने कहा कि इस व्यवसाय के शुरू होने से सभी आत्मनिर्भर हो रही हैं और इसमें किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं होती.
ये भी पढ़ें-पहले फर्नीचर अब एंबुलेंस से ढो रहे टायर, सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग
उन्होंने बताया कि यह व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा है. चार दिनों में काफी अच्छी आमदनी भी इस समूह ने प्राप्त किया है. पांच हजार की पूंजी लगाकर शुरू किए गए इस व्यवसाय में अब तक तीस हजार रुपये की बिक्री हो चुकी है. वहीं, समूह की अन्य महिला बताती हैं कि इस व्यवसाय के माध्यम से दूर से आए लोगों की भी सेवा करने का मौका मिलता है. इससे उन्हें काफी खुशी मिलती है.
इस ढाबे में मेला देखने पहुंचे लोग तो आ ही रहे हैं. साथ ही साथ ऐसे कई लोग जिन्होंने इस मेले में बाहर से आकर अपने दुकान या प्रदर्शनी लगाई है वह भी इस ढाबे में आकर भोजन कर रहे हैं. यहां दाल, चावल, सब्जी, रोटी, अंडा सब कुछ मिल रहा है. खास बात यह है कि ये महिलाएं खुद ही मालकिन हैं और खुद ही कर्मी. ऐसे में इनकी लागत मूल्य कम पड़ रहा है. इससे वो काफी सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध करा रही है. वहीं, लोग भी खाने की तारीफ करते नहीं थकते.