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दुमकाः श्रावणी मेले पर महंगाई की मार, अच्छी आमदनी की आस लगाये दुकानदारों को मिली निराशा

दुमका बासुकीनाथ मंदिर (Basukinath Temple) में दो साल बाद श्रावणी मेले (Shravani fair) का आयोजन किया गया. इससे पंडा, पुरोहित के साथ साथ दुकानदारों को अच्छी आमदनी की उम्मीद थी. लेकिन आमदनी घट गई है.

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Published : Aug 10, 2022, 11:37 AM IST

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श्रावणी मेले पर महंगाई की मार

दुमकाः कोरोना महामारी की वजह से बासुकीनाथ मंदिर (Basukinath Temple) में पिछले दो साल श्रावणी मेले (Shravani fair) का आयोजित नहीं हुआ. श्रावणी मेले के आयोजन नहीं होने से पुरोहित के साथ साथ मंदिर के बाहर दुकान सजाने वाले दुकानदारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. इस साल इन दुकानदारों को काफी उम्मीद थी कि सावन माह से अच्छी आमदनी होगी. लेकिन उन्हें निराशा हुई है. दुकानदार कहते हैं कि श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी. लेकिन महंगाई की वजह से खरीदारी नहीं कर रहे थे. इससे आमदनी नहीं हुई है.

यह भी पढ़ेंः श्रावणी मेला 2022: तीसरी सोमवारी पर शिवालयों में उमड़े भक्त, बाबा बैद्यनाथ धाम में लाखों श्रद्धालु आज करेंगे जलाभिषेक

इस बार सावन माह में श्रद्धालुओं की संख्या तो कम नहीं रही. रोजाना 70 हजार से एक लाख श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचे. लेकिन इन श्रद्धालुओं की परचेजिंग कैपिसिटी काफी कम नजर आई. बासुकीनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के बाद सीधे मंदिर के आसपास लगे बाजार में पहुंचते हैं और प्रसाद सामग्री के तौर पर पेड़ा, चूड़ा, इलायची दाना, खिलौने, सूत की माला और अन्य सामान खरीदते हैं. लेकिन प्रसाद सामग्रियों की कीमत साल 2019 की तुलना में लगभग दोगुना हो गया है. इससे श्रद्धालुओं ने काम चलाने लायक ही खरीदारी की.

देखें पूरी खबर

अगर हम 2019 और 2022 की तुलना करें तो उस वक्त पेड़ा का मूल्य 200 से 220 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो बढ़कर इस वर्ष 360 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. प्रसादी चूड़ा 30 रुपये किलोग्राम था, जो 60 रुपये किलो हो गया है. इसके अलावा एक प्लेट भोजन की कीमत 30 रुपये से बढ़कर 60 रुपये, दही प्रति किलोग्राम 50 रुपये से 100 से 120 रुपये प्रति किलो हो गया है. इस स्थिति में लोग अपने बजट के हिसाब से ही खरीदारी की.

बासुकीनाथ के श्रावणी मेले में झारखंड, बिहार सहित कई राज्यों के लोग व्यवसाय करने के लिए पहुंचते हैं. श्रावणी मेला एक माह चलता है, जिसमें दुकानदार अच्छी आमदनी करते है. ऐसा माना जाता है कि दुकानदार एक माह की कमाई से उनका पूरे साल का बजट ठीक हो जाता है. लेकिन इस साल आमदनी कम होने से उन्हें निराशा हाथ लगी है.

बासुकीनाथ मंदिर के बाहर के दुकानदारों ने कहा कि इस साल श्रावणी मेले में व्यवसाय काफी फीका रहा. उन्होंने कहा कि हमलोग वर्षो से यहां दुकानदारी करने के लिए आते हैं. लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में इस साल काफी कम आमदनी हुई है. प्रसाद दुकानदार कहते हैं कि पहले एक श्रद्धालु एक से दो किलो पेड़ा-चूड़ा की खरीदारी करते थे. लेकिन इस साल पाव में खरीदारी कर रहे थे. इसका प्रभाव हमारी आमदनी पर पड़ा है.

सावन माह में सिर्फ दुकानदारों को ही नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि पंडा और पुरोहितों की भी आमदनी प्रभावित हुई है. मंदिर के पुरोहित बताते हैं कि पिछले सालों की तुलना में इस साल आधी आमदनी हुई है. उन्होंने कहा कि अधिकतर श्रद्धालु झारखंड के साथ साथ पश्चिम बंगाल और बिहार से आते. इन राज्यों में सुखाड़ की स्थिति है. इससे लोग सोच समझकर खर्च कर रहे हैं. इसके अलावे महंगाई भी है.


दुमका चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव मनोज कुमार घोष कहते हैं कि बासुकीनाथ में श्रावणी मेले के दुकानदारों की आय काफी घटी है. उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई की वजह से श्रद्धालुओं ने जरूरत के हिसाब से खरीदारी की. उन्होंने कहा कि पहले श्रद्धालु किलो मे पेड़ा और चूड़ा खरीदते थे, जो अब पाव में खरीद रहे हैं. इसका प्रभाव आमदनी पर पड़ा है.

दुमकाः कोरोना महामारी की वजह से बासुकीनाथ मंदिर (Basukinath Temple) में पिछले दो साल श्रावणी मेले (Shravani fair) का आयोजित नहीं हुआ. श्रावणी मेले के आयोजन नहीं होने से पुरोहित के साथ साथ मंदिर के बाहर दुकान सजाने वाले दुकानदारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था. इस साल इन दुकानदारों को काफी उम्मीद थी कि सावन माह से अच्छी आमदनी होगी. लेकिन उन्हें निराशा हुई है. दुकानदार कहते हैं कि श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी. लेकिन महंगाई की वजह से खरीदारी नहीं कर रहे थे. इससे आमदनी नहीं हुई है.

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इस बार सावन माह में श्रद्धालुओं की संख्या तो कम नहीं रही. रोजाना 70 हजार से एक लाख श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचे. लेकिन इन श्रद्धालुओं की परचेजिंग कैपिसिटी काफी कम नजर आई. बासुकीनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के बाद सीधे मंदिर के आसपास लगे बाजार में पहुंचते हैं और प्रसाद सामग्री के तौर पर पेड़ा, चूड़ा, इलायची दाना, खिलौने, सूत की माला और अन्य सामान खरीदते हैं. लेकिन प्रसाद सामग्रियों की कीमत साल 2019 की तुलना में लगभग दोगुना हो गया है. इससे श्रद्धालुओं ने काम चलाने लायक ही खरीदारी की.

देखें पूरी खबर

अगर हम 2019 और 2022 की तुलना करें तो उस वक्त पेड़ा का मूल्य 200 से 220 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो बढ़कर इस वर्ष 360 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. प्रसादी चूड़ा 30 रुपये किलोग्राम था, जो 60 रुपये किलो हो गया है. इसके अलावा एक प्लेट भोजन की कीमत 30 रुपये से बढ़कर 60 रुपये, दही प्रति किलोग्राम 50 रुपये से 100 से 120 रुपये प्रति किलो हो गया है. इस स्थिति में लोग अपने बजट के हिसाब से ही खरीदारी की.

बासुकीनाथ के श्रावणी मेले में झारखंड, बिहार सहित कई राज्यों के लोग व्यवसाय करने के लिए पहुंचते हैं. श्रावणी मेला एक माह चलता है, जिसमें दुकानदार अच्छी आमदनी करते है. ऐसा माना जाता है कि दुकानदार एक माह की कमाई से उनका पूरे साल का बजट ठीक हो जाता है. लेकिन इस साल आमदनी कम होने से उन्हें निराशा हाथ लगी है.

बासुकीनाथ मंदिर के बाहर के दुकानदारों ने कहा कि इस साल श्रावणी मेले में व्यवसाय काफी फीका रहा. उन्होंने कहा कि हमलोग वर्षो से यहां दुकानदारी करने के लिए आते हैं. लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में इस साल काफी कम आमदनी हुई है. प्रसाद दुकानदार कहते हैं कि पहले एक श्रद्धालु एक से दो किलो पेड़ा-चूड़ा की खरीदारी करते थे. लेकिन इस साल पाव में खरीदारी कर रहे थे. इसका प्रभाव हमारी आमदनी पर पड़ा है.

सावन माह में सिर्फ दुकानदारों को ही नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि पंडा और पुरोहितों की भी आमदनी प्रभावित हुई है. मंदिर के पुरोहित बताते हैं कि पिछले सालों की तुलना में इस साल आधी आमदनी हुई है. उन्होंने कहा कि अधिकतर श्रद्धालु झारखंड के साथ साथ पश्चिम बंगाल और बिहार से आते. इन राज्यों में सुखाड़ की स्थिति है. इससे लोग सोच समझकर खर्च कर रहे हैं. इसके अलावे महंगाई भी है.


दुमका चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव मनोज कुमार घोष कहते हैं कि बासुकीनाथ में श्रावणी मेले के दुकानदारों की आय काफी घटी है. उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई की वजह से श्रद्धालुओं ने जरूरत के हिसाब से खरीदारी की. उन्होंने कहा कि पहले श्रद्धालु किलो मे पेड़ा और चूड़ा खरीदते थे, जो अब पाव में खरीद रहे हैं. इसका प्रभाव आमदनी पर पड़ा है.

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