दुमकाः विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम मंदिर लगभग सालभर से बंद है. मंदिर पर आश्रित स्थानीय लोग, स्थानीय दुकानदार, पंडा-पुरोहितों के समक्ष रोजी रोजगार का समस्या उत्पन्न हो गई. सीधे मंदिर से जुड़े लोग आज भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.
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कोरोना महामारी के कारण बासुकीनाथ धाम में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के आयोजन पर लगातार दूसरे वर्ष भी संकट के बादल मंडराने लगे है. लॉकडाउन की वजह से महीनों से बासुकीनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह बंद है. एक माह बाद शुरू होने वाले प्रसिद्ध श्रावणी मेला के आयोजन की तैयारियों को लेकर प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. ऐसे में श्रावणी मेला के भरोसे सालभर की अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले पंडा-पुरोहितों सहित स्थानीय दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही है.
उपायुक्त झुमका राजेश्वरी बी ने कहा कि अगर इस माह सब ठीक-ठाक रहा तो मंदिर खुलने पर सरकार निर्णय ले सकती है. स्थानीय दुकानदारों और पंडा पुरोहितों के लिए प्रशासन की ओर से जल्दी ही राहत की घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि श्रावणी मेला पर अभी तक सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई है.
स्थानीय दुकानदार ने साझा किया दर्द
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के कारण बंद पड़े मंदिर में श्रद्धालुओं का आगमन नहीं हो रहा है. जिसके चलते दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है. मंदिर पर आश्रित लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. प्रशासन की ओर से मंदिर के आश्रितों के लिए कोई आर्थिक पैकेज की व्यवस्था भी नहीं की गई है, जिससे लोग हताश नजर आ रहे हैं. वहीं श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर भी संशय की स्थिति है.
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शासन-प्रशासन से मंदिर खुलवाने की गुहार
ऐसे में हताश और निराश हजारों पंडा-पुरोहित, प्रसादी दुकानदार, फूल-माला बेचने वालों ने सरकार से आर्थिक पैकेज की गुहार लगाई है. साथ ही श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर सार्थक पहल करने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो हम लोगों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है और धीरे-धीरे ये विकराल रूप ले लेगी.
बासुकीनाथ मंदिर लगभग साल भर से बंद है. जिसकी वजह से यहां के स्थानीय दुकानदारों और पंडा पुरोहितों का रोजगार पूरी तरह से बंद हो गया है. लोगों के बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इन लोगों ने प्रशासन से सुचारू रूप से मंदिर खोलने का आग्रह किया है. जिससे उनको रोजगार मिल सके और उनका परिवार चल सके.