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दुमका उपचुनाव को लेकर 3 नवंबर को मतदान, जानिए जनता का मूड - दुमका विधानसभा का समीकरण

विधानसभा उपचुनाव को लेकर दुमका की जनता क्या सोचती है. वह किन मुद्दों को लेकर वोट देगी. क्या चाहते हैं वे अपने विधायक से. ऐसे कई सारी बिंदुओं पर ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बात की.

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दुमका की जनता का मूड
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Published : Oct 26, 2020, 12:31 PM IST

दुमका: उपचुनाव को लेकर 3 नवंबर को मतदान होना है. राजनीतिक दल से लेकर निर्वाचन आयोग की तैयारियां जोरों पर है. वहीं, दूसरी और जनता भी इस चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लेने का मन बना चुकी है.

दुमका की जनता का मूड

दुमका में 2019 में ही विधानसभा के लिए मतदान मतदान हुआ था, लेकिन इस सीट से निर्वाचित हुए हेमंत सोरेन ने दो जगह से चुनाव लड़े और जीते, जिस कारण इस सीट को उन्होंने छोड़ दिया. यही वजह है कि दुमका में उपचुनाव हो रहा है. यहां के मतदाता एक साल में दूसरी बार मतदान करने जा रहे हैं. इसे लेकर दुमका की जनता काफी उत्साहित है.

दुमका की जनता का मूड

दुमका आज भी काफी पिछड़ा हुआ है. लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं. यहां पर रोजगार की काफी कमी है. पलायन यहां का मुख्य मुद्दा है. उद्योग धंधे आज तक विकसित नहीं हुए. कृषि भी काफी पिछड़ी हुई अवस्था में है. अपने जिले में रोजगार नहीं मिलने की वजह से लोग पश्चिम बंगाल और देश के अन्य राज्यों में काम के लिए जाते हैं. इसके साथ ही दुमका की सबसे मुख्य समस्या है स्वास्थ्य है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह अत्यंत ही पिछड़ा हुआ है. भले ही यहां 2 साल पहले दुमका मेडिकल कॉलेज स्थापित हुआ, लेकिन आज भी मेडिकल कॉलेज आधारभूत संरचना की कमी से जूझ रहा है.

अच्छी सड़कें भी दुमका के लोगों को मयस्सर नहीं है. आज दुमका के कई ऐसी सड़क हैं जो कच्ची हैं. लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है. सड़क यातायात तो पिछड़ा है ही रेलवे सुविधा भी नाममात्र की है. आठ साल पहले यहां रेल सुविधा बहाल हुई पर आज भी तीन चार ट्रेनों का परिचालन यहां हो रहा है. लोग परेशान है और अपने प्रतिनिधि से इस पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.

दुमका: उपचुनाव को लेकर 3 नवंबर को मतदान होना है. राजनीतिक दल से लेकर निर्वाचन आयोग की तैयारियां जोरों पर है. वहीं, दूसरी और जनता भी इस चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लेने का मन बना चुकी है.

दुमका की जनता का मूड

दुमका में 2019 में ही विधानसभा के लिए मतदान मतदान हुआ था, लेकिन इस सीट से निर्वाचित हुए हेमंत सोरेन ने दो जगह से चुनाव लड़े और जीते, जिस कारण इस सीट को उन्होंने छोड़ दिया. यही वजह है कि दुमका में उपचुनाव हो रहा है. यहां के मतदाता एक साल में दूसरी बार मतदान करने जा रहे हैं. इसे लेकर दुमका की जनता काफी उत्साहित है.

दुमका की जनता का मूड

दुमका आज भी काफी पिछड़ा हुआ है. लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं. यहां पर रोजगार की काफी कमी है. पलायन यहां का मुख्य मुद्दा है. उद्योग धंधे आज तक विकसित नहीं हुए. कृषि भी काफी पिछड़ी हुई अवस्था में है. अपने जिले में रोजगार नहीं मिलने की वजह से लोग पश्चिम बंगाल और देश के अन्य राज्यों में काम के लिए जाते हैं. इसके साथ ही दुमका की सबसे मुख्य समस्या है स्वास्थ्य है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह अत्यंत ही पिछड़ा हुआ है. भले ही यहां 2 साल पहले दुमका मेडिकल कॉलेज स्थापित हुआ, लेकिन आज भी मेडिकल कॉलेज आधारभूत संरचना की कमी से जूझ रहा है.

अच्छी सड़कें भी दुमका के लोगों को मयस्सर नहीं है. आज दुमका के कई ऐसी सड़क हैं जो कच्ची हैं. लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है. सड़क यातायात तो पिछड़ा है ही रेलवे सुविधा भी नाममात्र की है. आठ साल पहले यहां रेल सुविधा बहाल हुई पर आज भी तीन चार ट्रेनों का परिचालन यहां हो रहा है. लोग परेशान है और अपने प्रतिनिधि से इस पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.

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