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दुमका में सरकारी विद्यालय भवन में संचालित हो रहा था प्राईवेट स्कूल, किराया लेने वाला गिरफ्तार - Dayamay Mandal

दुमका में सरकारी स्कूल में निजी स्कूल के संचालन और उसका किराया वसूलने का मामला सामने आया है. मामले के खुलासे के बाद उपायुक्त के निर्देश के बाद सरकारी स्कूल को किराये पर लगाने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है.

government school in dumka
दुमका में सरकारी विद्यालय
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Published : May 6, 2022, 1:47 PM IST

दुमका: झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग की अनोखी कार्यशैली दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड में देखने को मिला है. यहां के एक सरकारी विद्यालय भवन में निजी विद्यालय संचालित किए जाने का मामला सामने आया है. सबसे बड़ी बात यह है कि गांव के ही एक व्यक्ति के द्वारा निजी विद्यालय प्रबंधन से प्रतिमाह किराया साढ़े तीन हज़ार रुपये भी लिया जा रहा है. पूरे मामला का खुलासा उपायुक्त के मध्य विद्यालय भवन में पहुंचने पर हुआ.

ये भी पढे़ं: - पलामू में पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण में भाग नहीं लेने वालों को शोकॉज, 8 हजार मतदान कर्मियों को दी जा रही ट्रेनिंग
क्या है पूरा मामला: दरअसल जिले के दुमका के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला शिकारीपाड़ा प्रखंड में पंचायत चुनाव के मद्देनजर व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे थे. इसी क्रम में सरसाजोल गांव के मध्य विद्यालय भवन में पहुंचे. जहां उन्हें पता चला कि इस विद्यालय के नये भवन के सामने जो पुराना विद्यालय भवन है उसमें प्राईवेट स्कूल चल रहा है. डीसी ने तुरंत सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक को इस बाबत एफआईआर करने का निर्देश दिया. उपायुक्त के निर्देश पर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जूनस मरांडी ने प्राईवेट स्कूल के संचालक के खिलाफ एफआईआर करा दिया है.
एफआईआर के बाद चौंकाने वाला खुलासा: एफआईआर के बाद प्राईवेट स्कूल के संचालक निशांत हेम्ब्रम ने जानकारी दी कि निजी विद्यालय संचालक के द्वारा गांव के एक ग्रामीण दयामय मंडल को साढ़े तीन हज़ार रुपये प्रति माह किराया भी दिया जा रहा है. प्रधानाध्यापक ने अपने आवेदन में यह भी लिखा है कि हमने इसका विरोध भी किया पर किसी ने हमारी नहीं सुनी. हालांकि मुझसे यह गलती हुई कि मैंने यह सूचना अपने वरीय अधिकारी को नहीं दी.

किराया लेने वाला गिरफ्तार: इधर पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सरकारी विद्यालय भवन का किराया वसूलने वाले ग्रामीण दयामय मंडल को गिरफ्तार कर लिया है । जबकि निजी विद्यालय के संचालनकर्ता निशांत हेंब्रम विद्यालय बंद कर फरार हो गए हैं । अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिरकार सरकारी भवन में निजी विद्यालय संचालित हो रहा है तो शिक्षा विभाग कर क्या रहा था । वह तो जिले के उपायुक्त मौके पर पहुंच गए और इस मामले का पर्दाफाश हुआ ।Conclusion:

दुमका: झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग की अनोखी कार्यशैली दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड में देखने को मिला है. यहां के एक सरकारी विद्यालय भवन में निजी विद्यालय संचालित किए जाने का मामला सामने आया है. सबसे बड़ी बात यह है कि गांव के ही एक व्यक्ति के द्वारा निजी विद्यालय प्रबंधन से प्रतिमाह किराया साढ़े तीन हज़ार रुपये भी लिया जा रहा है. पूरे मामला का खुलासा उपायुक्त के मध्य विद्यालय भवन में पहुंचने पर हुआ.

ये भी पढे़ं: - पलामू में पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण में भाग नहीं लेने वालों को शोकॉज, 8 हजार मतदान कर्मियों को दी जा रही ट्रेनिंग
क्या है पूरा मामला: दरअसल जिले के दुमका के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला शिकारीपाड़ा प्रखंड में पंचायत चुनाव के मद्देनजर व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे थे. इसी क्रम में सरसाजोल गांव के मध्य विद्यालय भवन में पहुंचे. जहां उन्हें पता चला कि इस विद्यालय के नये भवन के सामने जो पुराना विद्यालय भवन है उसमें प्राईवेट स्कूल चल रहा है. डीसी ने तुरंत सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक को इस बाबत एफआईआर करने का निर्देश दिया. उपायुक्त के निर्देश पर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जूनस मरांडी ने प्राईवेट स्कूल के संचालक के खिलाफ एफआईआर करा दिया है.
एफआईआर के बाद चौंकाने वाला खुलासा: एफआईआर के बाद प्राईवेट स्कूल के संचालक निशांत हेम्ब्रम ने जानकारी दी कि निजी विद्यालय संचालक के द्वारा गांव के एक ग्रामीण दयामय मंडल को साढ़े तीन हज़ार रुपये प्रति माह किराया भी दिया जा रहा है. प्रधानाध्यापक ने अपने आवेदन में यह भी लिखा है कि हमने इसका विरोध भी किया पर किसी ने हमारी नहीं सुनी. हालांकि मुझसे यह गलती हुई कि मैंने यह सूचना अपने वरीय अधिकारी को नहीं दी.

किराया लेने वाला गिरफ्तार: इधर पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सरकारी विद्यालय भवन का किराया वसूलने वाले ग्रामीण दयामय मंडल को गिरफ्तार कर लिया है । जबकि निजी विद्यालय के संचालनकर्ता निशांत हेंब्रम विद्यालय बंद कर फरार हो गए हैं । अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिरकार सरकारी भवन में निजी विद्यालय संचालित हो रहा है तो शिक्षा विभाग कर क्या रहा था । वह तो जिले के उपायुक्त मौके पर पहुंच गए और इस मामले का पर्दाफाश हुआ ।Conclusion:

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