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आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बदहाल, असुरक्षित माहौल में कैसे होगा बच्चों का विकास

आंगनबाड़ी केंद्र में छोटे बच्चों की बढ़ाई होती है वहीं यहां महिलाओं और बच्चों के पोषण का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. लेकिन दुमका में कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जो पूरी तरह से बदहाल हैं. कई केंद्र ऐसी जगहों पर हैं जहां बच्चे असुरक्षित माहौल में रहते हैं और हादसे की आशंका बनी रहती है.

Poor condition of Anganwadi centers
Poor condition of Anganwadi centers
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Published : May 20, 2022, 5:01 PM IST

Updated : May 21, 2022, 5:59 PM IST

दुमका: आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों के लिए पहला विद्यालय होता है. जहां वे स्कूल जाना सीखते हैं. इसके साथ ही इस केंद्र से गर्भवती महिलाओं को पोषाहार दिया जाता है. किशोरियों को आयरन की गोली दी जाती है, टीकाकरण होता है. कुल मिलाकर ये केंद्र अपने क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. इसके बावजूद दुमका में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति अच्छी नहीं है.

ये भी पढ़ें: आंगनबाड़ी केंद्र में नहीं मिले बच्चे, सीओ ने सहिया और सेविका को लगाई फटकार

आंकड़ों पर डाले नजर: दुमका जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 2060 है. इसमें 1122 केंद्रों का अपना पक्का मकान है, जबकि 197 भवन निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा 731 अभी भी किराए के मकान में चल रहे हैं. खास बात ये है कि 197 आंगनबाड़ी केंद्र के भवन जो निर्माणाधीन हैं उनका निर्माण कार्य कई वर्षों से चल रहा है, पर उचित मॉनिटरिंग के अभाव में यह पूरा नहीं हो सका और निर्माण कार्य भी ठप है. इसमें कई निर्माणाधीन भवन ऐसे हैं जो बिना पूर्ण हुए ही जर्जर हो रहे हैं.

देखें वीडियो



बदहाल आंगनबाड़ी सेंटर पर हो रही है परेशानी: दुमका जिले के सदर प्रखंड के बंदरजोड़ी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र खुले में संचालित हो रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र के चारों तरफ छोटी-छोटी नालियां हैं, उसी के बीच बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. इस केंद्र का भवन 4 साल पहले बनना शुरू हुआ था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका है. निर्माण कार्य भी लगभग 2 वर्षों से ठप है. अब तो यह अधूरा भवन अब जर्जर होने लगा है. आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सुषमा मरांडी बच्चों के लिए चटाई बिछा देती हैं, उसी पर बच्चे जैसे-तैसे बैठकर जीवन का पहला अध्याय सीखते हैं.

बच्चों को होती है परेशनी: आंगनबाड़ी सेविका बताती हैं कि उन्हें ठंड, गर्मी, बरसात सभी मौसम की मार झेलनी पड़ती है. चूंकि बच्चों को खुले में आकर बैठना पड़ता है, इस वजह से कई बच्चे यहां आते ही नहीं है. सुषमा बताती हैं कि उन्होंने आंगनबाड़ी भवन के लिए काफी प्रसाय किया लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला. वहीं, केंद्र की सहायिका बेबी बेसरा बताती हैं कि भवन नहीं होने से बहुत परेशानी होती है और इससे निजात मिलनी चाहिए.


खुले तालाब के किनारे असुरक्षित माहौल में आंगनबाड़ी केंद्र: वहीं एक अन्य आंगनबाड़ी केंद्र है जो पूरी तरह से असुरक्षित है. दुमका हवाई अड्डा से थोड़ी दूर पर आसनसोल गांव है. यहां के आंगनबाड़ी केंद्र से सटा ही एक बड़ा तालाब है. आंगनबाड़ी केंद्र और तालाब के बीच में कोई चाहरदीवारी नहीं है. ऐसे में बच्चे बाहर खेलते हैं जिससे कभी भी अनहोनी की आशंका बनी रहती है. इस केंद्र की सेविका पूनम देवी बताती हैं कि हमें हमेशा खतरे का भय सताता है.

क्या कहती है जिला समाज कल्याण पदाधिकारी: दुमका के आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाल स्थिति के संबंध में जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों की सारी सूची तैयार कर ली है. जिन केंद्रों का निर्माण कार्य अधूरा है उसे पूरा किया जाएगा. जो केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं उस पर भी आवश्यक पहल की जाएगी.

दुमका: आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों के लिए पहला विद्यालय होता है. जहां वे स्कूल जाना सीखते हैं. इसके साथ ही इस केंद्र से गर्भवती महिलाओं को पोषाहार दिया जाता है. किशोरियों को आयरन की गोली दी जाती है, टीकाकरण होता है. कुल मिलाकर ये केंद्र अपने क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं. इसके बावजूद दुमका में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति अच्छी नहीं है.

ये भी पढ़ें: आंगनबाड़ी केंद्र में नहीं मिले बच्चे, सीओ ने सहिया और सेविका को लगाई फटकार

आंकड़ों पर डाले नजर: दुमका जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 2060 है. इसमें 1122 केंद्रों का अपना पक्का मकान है, जबकि 197 भवन निर्माणाधीन हैं. इसके अलावा 731 अभी भी किराए के मकान में चल रहे हैं. खास बात ये है कि 197 आंगनबाड़ी केंद्र के भवन जो निर्माणाधीन हैं उनका निर्माण कार्य कई वर्षों से चल रहा है, पर उचित मॉनिटरिंग के अभाव में यह पूरा नहीं हो सका और निर्माण कार्य भी ठप है. इसमें कई निर्माणाधीन भवन ऐसे हैं जो बिना पूर्ण हुए ही जर्जर हो रहे हैं.

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बदहाल आंगनबाड़ी सेंटर पर हो रही है परेशानी: दुमका जिले के सदर प्रखंड के बंदरजोड़ी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र खुले में संचालित हो रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र के चारों तरफ छोटी-छोटी नालियां हैं, उसी के बीच बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. इस केंद्र का भवन 4 साल पहले बनना शुरू हुआ था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका है. निर्माण कार्य भी लगभग 2 वर्षों से ठप है. अब तो यह अधूरा भवन अब जर्जर होने लगा है. आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सुषमा मरांडी बच्चों के लिए चटाई बिछा देती हैं, उसी पर बच्चे जैसे-तैसे बैठकर जीवन का पहला अध्याय सीखते हैं.

बच्चों को होती है परेशनी: आंगनबाड़ी सेविका बताती हैं कि उन्हें ठंड, गर्मी, बरसात सभी मौसम की मार झेलनी पड़ती है. चूंकि बच्चों को खुले में आकर बैठना पड़ता है, इस वजह से कई बच्चे यहां आते ही नहीं है. सुषमा बताती हैं कि उन्होंने आंगनबाड़ी भवन के लिए काफी प्रसाय किया लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला. वहीं, केंद्र की सहायिका बेबी बेसरा बताती हैं कि भवन नहीं होने से बहुत परेशानी होती है और इससे निजात मिलनी चाहिए.


खुले तालाब के किनारे असुरक्षित माहौल में आंगनबाड़ी केंद्र: वहीं एक अन्य आंगनबाड़ी केंद्र है जो पूरी तरह से असुरक्षित है. दुमका हवाई अड्डा से थोड़ी दूर पर आसनसोल गांव है. यहां के आंगनबाड़ी केंद्र से सटा ही एक बड़ा तालाब है. आंगनबाड़ी केंद्र और तालाब के बीच में कोई चाहरदीवारी नहीं है. ऐसे में बच्चे बाहर खेलते हैं जिससे कभी भी अनहोनी की आशंका बनी रहती है. इस केंद्र की सेविका पूनम देवी बताती हैं कि हमें हमेशा खतरे का भय सताता है.

क्या कहती है जिला समाज कल्याण पदाधिकारी: दुमका के आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाल स्थिति के संबंध में जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों की सारी सूची तैयार कर ली है. जिन केंद्रों का निर्माण कार्य अधूरा है उसे पूरा किया जाएगा. जो केंद्र किराए के मकान में चल रहे हैं उस पर भी आवश्यक पहल की जाएगी.

Last Updated : May 21, 2022, 5:59 PM IST
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