दुमका: फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ की काफी कमी है. इस अस्पताल में चाइल्ड स्पेशलिस्ट के 5 पद स्वीकृत हैं जबकि पदस्थापित हैं सिर्फ एक. एक डॉक्टर के जिम्मे बीमार बच्चों को ओपीडी में देखने के अलावा एसएनसीयू यानी स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में भी देखरेख करने की है. यहां बीमार बच्चों को 24 घंटे शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में रख जाता है. लेकिन अगर अस्पताल में एक ही डॉक्टर हो, तो यह कैसे संभव हो पाएगा?
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क्या कहते हैं मरीज के परिजन
अपने बच्चे के इलाज के लिए पहुंचे रंजीत मांझी ने ईटीवी भारत को बताया कि वे काफी उम्मीद के साथ फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल आए थे लेकिन यहां भी जब उन्हें अच्छा इलाज नहीं मिल पाया तो मायूसी लाजमी है. ऐसे ही कई मरीजों के परिजन निराश हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस परेशानी से निजात दिला सकते हैं.
क्या कहते हैं चिकित्सक
इस मामले पर ईटीवी भारत की टीम ने फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ रविंद्र कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि यहां पांच चाइल्ड स्पेशलिस्ट होने चाहिए लेकिन फिलहाल सिर्फ एक डॉक्टर है. ऐसे में वे क्या करें, उन्हीं के जिम्मे बच्चों के इलाज का दायित्व है और वे 24 घंटे रोजाना कैसे ड्यूटी कर पाएंगे. डॉ रविंद्र कुमार ने ये भी कहा कि यहां हो रही परेशानियों की जानकारी मुख्यालय को भी भेजी जा चुकी है, अब जो होना वहीं से होगा.
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जिले में चिकित्सकों की स्थिति
झारखंड की उपराजधानी दुमका में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी बदहाल है. इसकी बड़ी वजह है चिकित्सकों की काफी कमी. पूरे जिले में चिकित्सकों के स्वीकृत पद 193 हैं जबकि पदस्थापित हैं सिर्फ 80. वहीं फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 65 चिकित्सक होने चाहिए जबकि सिर्फ 19 डॉक्टर हैं. इसमें चर्म रोग, रेडियोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट जैसे कई विभाग में तो एक भी डॉक्टर नहीं है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब जब दुमका में चिकित्सकों की कमी से लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है तो यहां शासन-प्रशासन को गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है. फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए भी सरकार पहल करे और चिकित्सकों की कमी जल्द से जल्द दूर करे.