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दुमका: बिना डॉक्टर के चल रहा है मेंटल हॉस्पिटल, कर्मचारी करते हैं इलाज - etv bharat jharkhand

दुमका के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों के नहीं रहने से मरीजों को खासा परेशानी उठानी पड़ रही है. इस केंद्र में सिर्फ दो कर्मी है, जो मरीजों को इलाज के नाम पर सलाह देते है. लोगों का कहना है कि सरकार को इस अस्पताल में जल्द से जल्द डॉक्टरों की नियुक्ति करनी चाहिए.

मानसिक स्वास्थ्य केंद्र
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Published : Jul 12, 2019, 12:48 PM IST

दुमका: जिले में मनोरोगियों के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र 2006 में बनाया गया था. इस अस्पताल में संथाल परगना के सभी 6 जिलों के अलावा सीमावर्ती बिहार और पश्चिम बंगाल से भी मनोरोगी इलाज के लिए आते हैं. लेकिन पिछले 1 महीने से यह अस्पताल डॉक्टर विहीन हो गया है.

देखें पूरी खबर

इस मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉ. जितेंद्र कुमार सोलंकी का तबादला रिनपास में हो गया है. जिसके बाद अब यहां केवल दो कर्मी ही रह गए हैं. जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है.

ये भी पढ़ें-200 करोड़ रुपए हैं महेंद्र सिंह धोनी की ब्रैंड वैल्यू, संन्यास लेने पर घटेगी माही की कमाई!

क्या कहते हैं अस्पताल के कर्मी
इस अस्पताल में दो कर्मी हैं, इनका कहना है कि हर दिन यहां 35 से 40 मरीज आते हैं. लेकिन डॉक्टर के अभाव में वो उन्हें वहां से रिनपास रेफर कर दे रहे हैं. रिकॉर्ड कीपर मनीष कुमार सिंह ने बताया कि यहां फॉलोअप रोगियों की संख्या लगभग 3000 से ज्यादा है. जो रेगुलर चेकअप के लिए आते हैं. वो उन्हें सलाह तो दे सकते हैं, पर जहां तक दवा के डोज की बात है तो वह डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग
जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने की जानकारी आस पास के लोगों को हो चुकी है. उनका कहना है कि यह अस्पताल काफी महत्वपूर्ण है. लोगों ने बताया कि डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को सरकार को अविलंब यहां डॉक्टरों की बहाली करनी चाहिए. क्योंकि सभी के लिए रांची जाना और इलाज कराना संभव नहीं है.

मनोरोगियों के हित में बने इस अस्पताल से दूरदराज के लोगों को फायदा मिलता रहा है. अब इतने महत्वपूर्ण अस्पताल में डॉक्टर का न होना काफी परेशानी खड़ा कर रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि तुरंत इस दिशा में पहल करे.

दुमका: जिले में मनोरोगियों के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र 2006 में बनाया गया था. इस अस्पताल में संथाल परगना के सभी 6 जिलों के अलावा सीमावर्ती बिहार और पश्चिम बंगाल से भी मनोरोगी इलाज के लिए आते हैं. लेकिन पिछले 1 महीने से यह अस्पताल डॉक्टर विहीन हो गया है.

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इस मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉ. जितेंद्र कुमार सोलंकी का तबादला रिनपास में हो गया है. जिसके बाद अब यहां केवल दो कर्मी ही रह गए हैं. जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है.

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क्या कहते हैं अस्पताल के कर्मी
इस अस्पताल में दो कर्मी हैं, इनका कहना है कि हर दिन यहां 35 से 40 मरीज आते हैं. लेकिन डॉक्टर के अभाव में वो उन्हें वहां से रिनपास रेफर कर दे रहे हैं. रिकॉर्ड कीपर मनीष कुमार सिंह ने बताया कि यहां फॉलोअप रोगियों की संख्या लगभग 3000 से ज्यादा है. जो रेगुलर चेकअप के लिए आते हैं. वो उन्हें सलाह तो दे सकते हैं, पर जहां तक दवा के डोज की बात है तो वह डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग
जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने की जानकारी आस पास के लोगों को हो चुकी है. उनका कहना है कि यह अस्पताल काफी महत्वपूर्ण है. लोगों ने बताया कि डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को सरकार को अविलंब यहां डॉक्टरों की बहाली करनी चाहिए. क्योंकि सभी के लिए रांची जाना और इलाज कराना संभव नहीं है.

मनोरोगियों के हित में बने इस अस्पताल से दूरदराज के लोगों को फायदा मिलता रहा है. अब इतने महत्वपूर्ण अस्पताल में डॉक्टर का न होना काफी परेशानी खड़ा कर रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि तुरंत इस दिशा में पहल करे.

Intro:दुमका -
दुमका में मनोरोगियों के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र 2006 में बनाया गया । इस अस्पताल में संथालपरगना के सभी 6 जिलों के अलावा सीमावर्ती बिहार और पश्चिम बंगाल से भी मनोरोगी इलाज के लिए आते हैं । लेकिन पिछले 1 महीने से यह अस्पताल चिकित्सक विहीन हो गया है । यहां कार्यरत डॉ जितेंद्र कुमार सोलंकी का तबादला रांची रिनपास हो गया है । अब यहां दो कर्मी रह गए हैं ।


Body:क्या कहते हैं अस्पताल के कर्मी ।
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इस अस्पताल में दो कर्मी हैं , इनका कहना है कि प्रतिदिन यहां 35 से 40 मरीज आते हैं लेकिन चिकित्सक के अभाव में हम उन्हें यहां से रांची रिनपास रेफर कर दे रहे हैं । वे कहते हैं कि यहां फॉलोअप रोगियों की संख्या लगभग 3000 से ज्यादा है । जो रेगुलर चेकअप के लिए आते हैं । हम उन्हें सलाह तो दे सकते हैं पर जहां तक दवा के डोज की बात है तो वह चिकित्सक ही बेहतर बता सकते हैं ।

बाईट - जेड ए भुट्टो , साईक्रिटिक सोशल वर्कर
बाईट - मनीष कुमार सिंह , रिकॉर्ड कीपर


Conclusion:क्या कहते हैं स्थानीय लोग ।
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जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने की जानकारी आसपास के लोगों को हो चुकी है । उनका कहना है कि काफी महत्वपूर्ण है यह अस्पताल । मरीज और उसके परिजन परेशान हो रहे हैं । सरकार को अविलंब यहां चिकित्सक बहाल करनी चाहिए क्योंकि सभी के लिए रांची जाना और इलाज करना संभव नहीं है ।

बाईट - अमरेन्द्र कुमार , स्थानीय

फाईनल वीओ - मनोरोगियों के हित में बने इस इस अस्पताल से दूरदराज के लोगों को फ़ायदा मिलता रहा है । अब इतने महत्वपूर्ण अस्पताल में डॉक्टर का न होना काफी परेशानी खड़ा कर रहा है सरकार को चाहिए कि अविलंब इस दिशा में पहल करे ।
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