दुमका: जिले में मनोरोगियों के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र 2006 में बनाया गया था. इस अस्पताल में संथाल परगना के सभी 6 जिलों के अलावा सीमावर्ती बिहार और पश्चिम बंगाल से भी मनोरोगी इलाज के लिए आते हैं. लेकिन पिछले 1 महीने से यह अस्पताल डॉक्टर विहीन हो गया है.
इस मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉ. जितेंद्र कुमार सोलंकी का तबादला रिनपास में हो गया है. जिसके बाद अब यहां केवल दो कर्मी ही रह गए हैं. जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है.
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क्या कहते हैं अस्पताल के कर्मी
इस अस्पताल में दो कर्मी हैं, इनका कहना है कि हर दिन यहां 35 से 40 मरीज आते हैं. लेकिन डॉक्टर के अभाव में वो उन्हें वहां से रिनपास रेफर कर दे रहे हैं. रिकॉर्ड कीपर मनीष कुमार सिंह ने बताया कि यहां फॉलोअप रोगियों की संख्या लगभग 3000 से ज्यादा है. जो रेगुलर चेकअप के लिए आते हैं. वो उन्हें सलाह तो दे सकते हैं, पर जहां तक दवा के डोज की बात है तो वह डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने की जानकारी आस पास के लोगों को हो चुकी है. उनका कहना है कि यह अस्पताल काफी महत्वपूर्ण है. लोगों ने बताया कि डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को सरकार को अविलंब यहां डॉक्टरों की बहाली करनी चाहिए. क्योंकि सभी के लिए रांची जाना और इलाज कराना संभव नहीं है.
मनोरोगियों के हित में बने इस अस्पताल से दूरदराज के लोगों को फायदा मिलता रहा है. अब इतने महत्वपूर्ण अस्पताल में डॉक्टर का न होना काफी परेशानी खड़ा कर रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि तुरंत इस दिशा में पहल करे.