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बाबा बासुकीनाथ का हुआ फुलाइस, जानिए क्या है परंपरा

21 नवंबर को नवान्न पर्व (Navann Festival) मनाया जाएगा. इसके लिए बाबा बासुकीनाथ से फुलाइस कर अनुमति ली गई. बाबा बासुकीनाथ को नए फसलों का भोग लगाकर लोग इस पर्व को मनाते हैं.

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बासुकीनाथ का फुलाइस
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Published : Nov 16, 2021, 6:01 PM IST

दुमका: झारखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बासुकीनाथ में मंगलवार को फुलाइस के माध्यम से बाबा बासुकीनाथ से नवान्न पर्व (Navann Festival) की तिथि की अनुमति ली गई. वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार फुलाइस कर बाबा बासुकीनाथ से अनुमति ली जाती है. फुलाइस में कई पंडा और पुरोहितों ने हिस्सा लिया.

इसे भी पढ़ें: बासुकीनाथ के बेलपत्र-फूल से महक रहे दुमका के घर-आंगन, बाबा की कृपा से महिलाएं हो रहीं सशक्त


भारतीय संस्कृति में पर्व-त्योहारों का अपना एक अलग महत्व होता है. सभी अपनी पुरातन परम्पराओं के अनुसार अलग-अलग तरह के त्योहार मनाते हैं. ग्रामीण इलाकों के कुछ पर्व-त्योहार आज भी अपने आप में अनोखे होते हैं. इसी तरह का एक पर्व है नवान्न. नवान्न के दिन किसान अपनी खेती से मुक्त होकर नए अन्न का भोग भगवान को लगाते हैं और प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण करते हैं. वहीं अन्य राज्यों में इस पर्व को बिहू और भोगाल बिहू के नाम से मनाया जाता है. बहुत मंदिरों में भगवान के भोग के रूप में नए धान का चूड़ा और दही का प्रसाद चढ़ाया जाता है.


21 नवंबर को को नवान्न पर्व

21 नवंबर को नवान्न पर्व मनाया जाएगा. बाबा की बासुकीनाथ के निर्देशानुसार ही क्षेत्र में नवान्न पर्व मनाया जाता है. मंदिर प्रभारी और पुलिस प्रशासन की उपस्थिति में मंगलवार को बाबा का फुलाइस किया गया.

दुमका: झारखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बासुकीनाथ में मंगलवार को फुलाइस के माध्यम से बाबा बासुकीनाथ से नवान्न पर्व (Navann Festival) की तिथि की अनुमति ली गई. वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार फुलाइस कर बाबा बासुकीनाथ से अनुमति ली जाती है. फुलाइस में कई पंडा और पुरोहितों ने हिस्सा लिया.

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भारतीय संस्कृति में पर्व-त्योहारों का अपना एक अलग महत्व होता है. सभी अपनी पुरातन परम्पराओं के अनुसार अलग-अलग तरह के त्योहार मनाते हैं. ग्रामीण इलाकों के कुछ पर्व-त्योहार आज भी अपने आप में अनोखे होते हैं. इसी तरह का एक पर्व है नवान्न. नवान्न के दिन किसान अपनी खेती से मुक्त होकर नए अन्न का भोग भगवान को लगाते हैं और प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण करते हैं. वहीं अन्य राज्यों में इस पर्व को बिहू और भोगाल बिहू के नाम से मनाया जाता है. बहुत मंदिरों में भगवान के भोग के रूप में नए धान का चूड़ा और दही का प्रसाद चढ़ाया जाता है.


21 नवंबर को को नवान्न पर्व

21 नवंबर को नवान्न पर्व मनाया जाएगा. बाबा की बासुकीनाथ के निर्देशानुसार ही क्षेत्र में नवान्न पर्व मनाया जाता है. मंदिर प्रभारी और पुलिस प्रशासन की उपस्थिति में मंगलवार को बाबा का फुलाइस किया गया.

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