दुमका: आज पूरे देश में धर्म को लेकर लोगों के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही है. लगभग सभी स्तर के चुनाव में धर्म एक मुख्य मुद्दा रह रहा है. अभी भी पांच राज्यों में जो चुनाव का माहौल है उसमें मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान शब्द खूब प्रचलन में है. यह सब तो अब लोगों के जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है, लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो इन सब से अलग सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में लगे हुए हैं. वे दूसरे धर्म के प्रति आदर-समभाव ही नहीं रखते बल्कि दूसरे धर्म के धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. इसी में से एक नाम दुमका के नौशाद शेख का है. नौशाद शेख दुमका-बीरभूम जिला के सीमा पर स्थित रानीश्वर प्रखंड के महिषबाथन गांव के रहने वाले हैं. आपको जानकार यह आश्चर्य होगा कि यह खुद के लगभग 40 लाख रुपये खर्च कर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर गांव में बनवा रहे हैं.
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झारखंड की उपराजधानी दुमका के रानीश्वर प्रखंड के महिषबथान गांव के लोग इन दिनों काफी खुश हैं. इसकी वजह यह है कि ये ग्रामीण वर्षों से अपने गांव में अस्थायी पंडाल में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा कर रहे थे, लेकिन अब उसकी जगह एक भव्य मंदिर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. यहां भगवान श्री कृष्ण के पार्थसारथी स्वरूप की विराट प्रतिमा स्थापित की जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब अपने निजी खर्च पर गांव के व्यवसायी और समाजसेवी मोहम्मद नौशाद शेख करवा रहे हैं. दरअसल, नौशाद शेख की गहरी आस्था हिन्दू धर्म के प्रति है. वे 30 वर्षों से इस मंदिर के विभिन्न आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं.
पिछले दो वर्षों से व्यवसायी नौशाद शेख जुटे हैं मंदिर के निर्माण में: पिछले दो वर्षों से महिषबथान गांव में पार्थ सारथी के भव्य मंदिर और उस में स्थापित होने वाले भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है. यह सारा काम नौशाद शेख खुद अपनी देखरेख में करवा रहे हैं. इन्होंने इसके लिए पश्चिम बंगाल से कारीगर मंगवाया है. नौशाद शेख कहीं चंदा नहीं इकट्ठा कर रहे बल्कि खुद के लगभग 40 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं.
![Naushad Sheikh is building Lord Krishna temple in Dumka](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-dum-01-anuthi-mishal-spl-pkg-7203877_10022022190359_1002f_1644500039_5.jpg)
क्या कहते हैं नौशाद: हमने इस्लाम धर्मावलंबी मो. नौशाद से जाना कि आखिरकार भगवान श्रीकृष्ण की मंदिर क्यों बनवा रहे हैं? उन्होंने कहा कि मेरी आस्था वर्षों से यहां स्थापित भगवान पार्थ सारथी के प्रति रही है. जहां तक मंदिर बनवाने का सवाल है, एक बार मैं पश्चिम बंगाल के मायापुर गया था, जहां भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर है. रात को मैं जब सोया हुआ था तो मुझे भगवान का स्वप्न आया कि मैं तो तुम्हारे यहां ही विराजमान हूं. तुम अपने गांव में एक मंदिर बनाकर मुझे स्थापित करो. इसके बाद मैंने इस मंदिर को बनाने का निश्चय किया. वे कहते हैं कि हमें सभी धर्मों का आदर करना चाहिए. सभी धर्म के जो धार्मिक कार्य हैं, उसमें भाग लेना चाहिए. ताकि एक सामाजिक-धार्मिक सौहार्द और भाईचारा का माहौल बना रहे.
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14 फरवरी को होगा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम: नौशाद शेख ने जानकारी दी कि आगामी 14 फरवरी को इस नवनिर्मित मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसमें महिषबथान गांव के अलावा अगल-बगल के लोगों को निमंत्रित किया गया है. 108 महिलाएं जलाशय से कलश में जलएंगी. इसमें सभी एक ही रंग का वस्त्र धारण करेंगी. यह वस्त्र उनके द्वारा दिया जा रहा है. साथ ही साथ दूरदराज के पंडित-पुरोहित को धार्मिक कार्य संपन्न करने के लिए बुलाया जा रहा है. एक भव्य आयोजन किया जाएगा और सारा खर्च वे खुद वहन करेंगे. इसके साथ ही मंदिर के सामने यज्ञशाला भी बनवा रहे हैं. मंदिर में एक स्थाई पुरोहित की व्यवस्था की जा रही है जिसके रहने के लिए एक घर भी बनवाया जा रहा है.
![Naushad Sheikh is building Lord Krishna temple in Dumka](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-dum-01-anuthi-mishal-spl-pkg-7203877_10022022190359_1002f_1644500039_1018.jpg)
क्या कहते हैं ग्रामीण: दुमका जिले के रानीश्वर प्रखंड के महिषबथान गांव के लोग नौशाद शेख की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. उनका कहना है कि ये तो कई दशक से हिंदुओं के पूजा पर्व में सहयोग करते थे, पर अब तो इन्होंने यह शानदार मंदिर बनवाकर धार्मिक सद्भाव का जो मिसाल पेश किया है, उसे वर्षों तक याद रखा जाएगा.
आज समाज में नौशाद शेख जैसे लोगों की सख्त जरूरत: आये दिन कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया जाता रहा है. धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है. वैसी स्थिति में नौशाद शेख के द्वारा हिन्दुओं के मंदिर का निर्माण करवाया जाना एक स्वागतयोग्य कदम कहा जा सकता है. इन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द का जो नमूना पेश किया है, इसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है.