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अपने घर पश्चिम बंगाल जाने के लिए बेचनी पड़ी बकरी, पास के बावजूद सीमा से भेज दिया गया वापस

पिछले डेढ़ माह से दुमका में लॉकडाउन में फंसा हुआ है. अपने घर वापस जाने के लिए इन्होंने बकरी बेचकर पैसा इकट्ठा किया और एक वाहन किराए पर लिया. झारखंड पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर ये जब पहुंचे तो पश्चिम बंगाल के अधिकारियों ने उन्हें वापस कर दिया. अब इनके पास भुखमरी जैसी स्थिति है. गांववाले अपने स्तर से थोड़ा मदद देते हैं उसी से किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं.

Lockdown in Jharkhand, Corona crisis, Dumka district administration, trouble increased due to lockdown, झारखंड में लॉकडाउन, कोरोना संकट, दुमका जिला प्रशासन, लॉकडाउन से बढ़ी परेशानी
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Published : May 4, 2020, 1:18 PM IST

दुमका: पश्चिम बंगाल का एक गरीब परिवार पिछले डेढ़ माह से दुमका में लॉकडाउन में फंसा हुआ है. अपने घर वापस जाने के लिए इन्होंने बकरी बेचकर पैसा इकट्ठा किया और एक वाहन किराए पर लिया. झारखंड पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर ये जब पहुंचे तो पश्चिम बंगाल के अधिकारियों ने उन्हें वापस कर दिया. अब इस परिवार के पास न तो खाने के पैसे हैं न ही वापस जाने के.

देखें पूरी खबर
क्या है पूरा मामला दुमका जिले के सदर प्रखंड के जामदली गांव में अन्नपूर्णा देवी नाम की एक गरीब महिला है. अन्नपूर्णा सूखी पत्तियां और लकड़ियां बेचकर अपना गुजारा करती है. अन्नपूर्णा के पति जयंत का निधन मार्च माह में हो गया था. श्राद्ध में उनके मायके से तीन लोग उनकी मां, छोटा भाई और भाई की पत्नी आई थी, इसी बीच लॉकडाउन हो गया. यह तीनों लोग यहीं फंस गए. सरकार की ओर से राशन डीलर से राशन मिला पर वह काफी नहीं था.
Lockdown in Jharkhand, Corona crisis, Dumka district administration, trouble increased due to lockdown, झारखंड में लॉकडाउन, कोरोना संकट, दुमका जिला प्रशासन, लॉकडाउन से बढ़ी परेशानी
लॉकडाउन में परेशान परिवार

ये भी पढ़ें- नक्सलियों के निवेशक मनोज से NIA ने शुरू की पूछताछ, बड़े नक्सलियों पर कसेगा शिकंजा

बकरी बेचकर किराए पर लिया वाहन
आखिरकार अन्नपूर्णा देवी ने मायकेवालों को भेजने के लिए घर की बकरी तीन हजार रुपए में बेचा. इस रुपए से एक बोलेरो किराया पर लिया और पास बनवा कर उन्हें भेजा. लेकिन जब वे झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर पहुंचे तो बंगाल के अधिकारी उन्हें यह कह कर वापस कर दिया कि हमें किसी तरह का ऑर्डर नहीं कि अपने सीमा के अंदर आने दें और ये वापस फिर से जामदली गांव आ गए.

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बनवाया गया पास
क्या कहते हैं ये लोग पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिला के सत्यनारायण घोष जो अन्नपूर्णा के भाई हैं, वे कहते हैं कि हमें हमारे ही राज्य के अधिकारियों ने वापस भेज दिया. अब यहां क्या करें, क्या खाएं कैसे वापस जाएं. इधर, अन्नपूर्णा का कहना है हम कैसे इनका भरण पोषण करें. गांववासी भी चाहते हैं कि इनको मदद मिले. वे कहते हैं वे लोग अपने स्तर कुछ कुछ दे रहे हैं पर इनके लिए प्रशासन कुछ पहल करे.

ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: ओडिशा और छत्तीसगढ़ में फंसे हुए श्रमिकों को वापस लाने के लिए भेजी गई बसें

क्या कहते हैं दुमका के जिला परिषद उपाध्यक्ष
दुमका के जिला परिषद उपाध्यक्ष असीम मंडल उसी जामदली गांव के हैं. असीम मंडल ने ही इन तीनों व्यक्ति के लिए पश्चिम बंगाल जाने का पास बनाया था. इनका कहना है कि पश्चिम बंगाल की सीमा पर से वापस कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी वे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को देंगे.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन तोड़ने वालों को पहचान कर पुलिस को बताएंगे पार्षद, बनाया गया विशेष SOP

सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए
पहले लॉकडाउन उसके बाद राज्यों की सीमा पर सख्ती. इससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. नियमों को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मिलकर इस पर सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके.

दुमका: पश्चिम बंगाल का एक गरीब परिवार पिछले डेढ़ माह से दुमका में लॉकडाउन में फंसा हुआ है. अपने घर वापस जाने के लिए इन्होंने बकरी बेचकर पैसा इकट्ठा किया और एक वाहन किराए पर लिया. झारखंड पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर ये जब पहुंचे तो पश्चिम बंगाल के अधिकारियों ने उन्हें वापस कर दिया. अब इस परिवार के पास न तो खाने के पैसे हैं न ही वापस जाने के.

देखें पूरी खबर
क्या है पूरा मामला दुमका जिले के सदर प्रखंड के जामदली गांव में अन्नपूर्णा देवी नाम की एक गरीब महिला है. अन्नपूर्णा सूखी पत्तियां और लकड़ियां बेचकर अपना गुजारा करती है. अन्नपूर्णा के पति जयंत का निधन मार्च माह में हो गया था. श्राद्ध में उनके मायके से तीन लोग उनकी मां, छोटा भाई और भाई की पत्नी आई थी, इसी बीच लॉकडाउन हो गया. यह तीनों लोग यहीं फंस गए. सरकार की ओर से राशन डीलर से राशन मिला पर वह काफी नहीं था.
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लॉकडाउन में परेशान परिवार

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आखिरकार अन्नपूर्णा देवी ने मायकेवालों को भेजने के लिए घर की बकरी तीन हजार रुपए में बेचा. इस रुपए से एक बोलेरो किराया पर लिया और पास बनवा कर उन्हें भेजा. लेकिन जब वे झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर पहुंचे तो बंगाल के अधिकारी उन्हें यह कह कर वापस कर दिया कि हमें किसी तरह का ऑर्डर नहीं कि अपने सीमा के अंदर आने दें और ये वापस फिर से जामदली गांव आ गए.

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बनवाया गया पास
क्या कहते हैं ये लोग पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिला के सत्यनारायण घोष जो अन्नपूर्णा के भाई हैं, वे कहते हैं कि हमें हमारे ही राज्य के अधिकारियों ने वापस भेज दिया. अब यहां क्या करें, क्या खाएं कैसे वापस जाएं. इधर, अन्नपूर्णा का कहना है हम कैसे इनका भरण पोषण करें. गांववासी भी चाहते हैं कि इनको मदद मिले. वे कहते हैं वे लोग अपने स्तर कुछ कुछ दे रहे हैं पर इनके लिए प्रशासन कुछ पहल करे.

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क्या कहते हैं दुमका के जिला परिषद उपाध्यक्ष
दुमका के जिला परिषद उपाध्यक्ष असीम मंडल उसी जामदली गांव के हैं. असीम मंडल ने ही इन तीनों व्यक्ति के लिए पश्चिम बंगाल जाने का पास बनाया था. इनका कहना है कि पश्चिम बंगाल की सीमा पर से वापस कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी वे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को देंगे.

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सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए
पहले लॉकडाउन उसके बाद राज्यों की सीमा पर सख्ती. इससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. नियमों को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मिलकर इस पर सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके.

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