दुमका: जिला प्रशासन के विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के लिए शहर के बीचों बीच निजी बस पड़ाव के बगल में लगभग तीन दर्जन क्वार्टर का निर्माण कराया गया था. कई दशक तक यह गुलजार रहा. यह एक अच्छा खासा मोहल्ला हुआ करता था लेकिन उचित देखरेख और मरम्मत की अभाव में ये आवास जर्जर होते चले गए. ऐसे में सरकारी कर्मचारियों ने भी यहां रहना छोड़ दिया अब तो यह क्वार्टर असामाजिक तत्व का अड्डा बन चुका है.
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सरकारी आवास पर असामाजिक तत्वों की बुरी नजर
लगभग 15 एकड़ जमीन पर बने इस आवासीय परिसर के निर्जन होने के बाद यह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. वे इसे लावारिस मानकर इसके दरवाजे खिड़कियों तक को उखाड़ कर ले जा रहे हैं. अवैध रूप से वाहनों का पड़ाव हो रहा है. नशाखोर टूटे-फूटे क्वार्टर में महफिल जमाते हैं. यही नहीं कई लोगों ने यहां अवैध गोदाम बना रखा है. कुल मिलाकर कहा जाए तो सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग होता नजर आ रहा है.
शहरी क्षेत्र में सरकारी जमीन का रहता है टोटा
जब कभी शहरी क्षेत्र में कोई विकास योजना धरातल पर उतारने की बात होती है तो जिला प्रशासन को सबसे ज्यादा परेशानी होती है कि शहरी क्षेत्र में सरकारी जमीन कहां से लाएं. अगर जिला प्रशासन इस आवासीय भूखंड पर कोई बेहतर विकास योजना को धरातल पर उतारे तो यह काफी लाभप्रद साबित होगा.