दुमका: जिले के जामा प्रखंड के मधुवन गांव निवासी नुनूलाल बेसरा ने प्रगतिशील किसान बनकर यह साबित कर दिया है कि परिश्रम कभी बर्बाद नहीं जाता है. पहले नुनूलाल मजदूरी कर गरीबी की जिंदगी जीते थे. लेकिन अब उनकी कमाई लाखों में हो रही है. साथ ही किसानों की मदद भी कर रहे हैं. नुनूलाल के तैयार किए पौधों की काफी डिमांड है.
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नुनूलाल कुछ साल पहले मजदूरी कर 150 - 200 रुपये कमाते थे. इसी पैसे से वो जीवन यापन करते थे. लेकिन धीरे-धीरे नुनूलाल ने अपनी जमीन पर कृषि कार्य करना शुरू किया. काफी मेहनत से वो सब्जियों का उत्पादन में करने लगे. परिश्रम और लगन से किए गए कार्य में उन्हें सफलता मिलने लगी. 2017 तक नुनूलाल की गिनती एक प्रगतिशील किसान में होने लगी. 2018 में जब झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को दुमका दौरे के क्रम में नुनूलाल के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने उनके गांव जाकर 51 हजार रुपये का नगद पुरस्कार दिया और कृषि योजनाओं की सौगात दी.
2018 से नुनूलाल व्यापक तौर पर करने लगा सब्जियों के पौधे का उत्पादन
नुनूलाल बेसरा बताते हैं कि वो 2018 से सब्जियों के पौधे का बीज तैयार करने लगे. जिस मौसम में जो सब्जियां लगाई जाती है उसका पौधा तैयार किया. जिसमें बैगन, टमाटर, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, कद्दू, भिंडी, बीन्स, करेला, तरबूज जैसी सभी सब्जियां शामिल है. किसानों को कम कीमत पर पौधे उपलब्ध हो इसके लिए एक पौधे की कीमत सवा रुपये रखी है. वर्तमान में दुमका के कई प्रखंडों के किसान नुनूलाल के पास से पौधे ले जाते हैं. वे बताते हैं कि अब तक लगभग 10 हजार किसान उनके पास पौधे लेने पहुंचे हैं. नुनूलाल की पत्नी रोजमेरी हेम्ब्रम और उनके घर के बच्चे भी उनके काम में हाथ बटाते हैं.
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क्या कहते हैं नुनूलाल
नुनूलाल बताते हैं कि मिट्टी के किस्म, सिंचाई की उपलब्धता और मौसम के अनुसार सब्जियों के पौधे तैयार किए जाते हैं. अगर टमाटर का पौधा है तो कौन सी जमीन पर टमाटर का कौन सा किस्म बेहतर और ज्यादा फलदायक होगा, उस अनुसार पौधा तैयार कर किसानों के पास बेचा जाता है. किसानों को आधुनिक तकनीक से खेती करने की सलाह देते हैं. जिससे उन्हें अधिक लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि किसानों का प्रतिदिन का डिमांड औसतन लगभग 15 हजार पौधे का है. जबकि अपनी क्षमता से 8 हजार तक ही पौधे किसानों को उपलब्ध करा पाता हूं. उनके पास दूर-दूर से किसान पौधे लेने आते हैं. नुनूलाल ने कहा कि अगर प्रशासन हमें लोन दे तो अपने आधारभूत संरचना को और वृद्धि कर किसानों की मांग को पूरी कर सकता हूं.