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महज 5 घंटे में बना लेते थे अवैध पिस्टल, हर 15 से 20 दिनों पर बिहार में होती थी डिलीवरी, जानिए कितनी थी कीमत - देसी पिस्टल की सप्लाई

दुमका पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अवैध गन फ्रैक्ट्री का खुलासा किया है. पुलिस ने छापेमारी में बिहार के रहने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार ये पिछले आठ महीने से हथियार बनाकर बिहार सप्लाई कर रहे थे.

Dumka Police arrested 4 people
Dumka Police arrested 4 people
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Published : Sep 30, 2021, 8:07 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 8:17 PM IST

दुमका: पिछले 8 महीने से दुमका में अवैध गन फैक्ट्री संचालित हो रहा था. यहां से 15-20 दिन के अंतराल पर देसी पिस्टल की सप्लाई की जा रही थी. इसका खुलासा दुमका पुलिस ने किया है. एक देसी पिस्टल के निर्माण में महज पांच घंटे लगते थे और ढाई हजार रुपए में इसे बेच दिया जाता था. इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी की गई है.



क्या है पूरा मामला
दुमका पुलिस ने मंगलवार को शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पत्ताबाड़ी चौक पर राधे रिबोरिंग नाम के वेल्डिंग-फिटिंग वर्कशॉप में संचालित एक अवैध गन फैक्ट्री में छापेमारी कर की भारी मात्रा में निर्मित और अर्द्धनिर्मित देसी पिस्टल और उसके पुर्जे बरामद किए थे. आज एसडीपीओ नुर मुस्तफ़ा ने प्रेस कांफ्रेंस कर पूरे मामले पर से पर्दा उठाया है.

देखें वीडियो
राधे रिबोरिंग नाम से संचालित था दुकानपुलिस को सूचना मिली कि शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पत्ताबाड़ी चौक पर राधे रिबोरिंग नाम से एक वेल्डिंग और फिटिंग वर्कशॉप संचालित है. वहां अवैध रूप से आर्म्स का निर्माण किया जा रहा है. पुलिस ने वहां छापेमारी की और भारी मात्रा में असलहा बरामद किया. इस मामले में पुलिस ने अरुण कुमार, रणधीर कुमार, निलेश कुमार और मैसर को गिरफ्तार किया है. इसमें से मैसर पिस्टल का खेप खरीद कर ले जाने आया था. गिरफ्तार किए गए चारों लोग बिहार के रहने वाले हैं. क्या-क्या हुआ बरामद
अर्धनिर्मित देसी पिस्टल 24
पिस्टल बॉडी12
पिस्टल ग्रीप10
पिस्टल बैरल18
पिस्टल स्लाइड24
ड्रिल मशीन01
लेदमशीन01
कटर मशीन01
बोरिंग मशीन02
जेनरेटर02
नकद60, 000
स्कूटी01
मोबाइल04



पांच घंटे में तैयार कर लेते थे पिस्टल
फैक्ट्री के मुख्य संचालक अरुण कुमार और उनके सहयोगियों से जब पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि ये सभी बिहार के जमुई जिले से यहां आए थे. इसके बाद उन्होंने किराए पर जगह लिया और वर्कशॉप खोला था. चारों आरोपी इसी वार्कशॉप में रहते हैं. दिन में ये लोहे का वेल्डिंग फिटिंग वगैरह का काम करते थे और रात में जब माहौल शांत हो जाता था तो यह देसी पिस्टल का निर्माण करते थे. यह इस काम में इतने निपुण थे कि 5 घंटे में पिस्टल बना लेते थे. हर 15 से 20 दिन पर इस आर्म्स को खरीदने वाले आते थे और इन्हें प्रति पिस्टल ढाई हजार रुपये मिलता था. यह कारोबार पिछले 8 महीने से चल रहा था और हथियारों के कई खेप यहां से भेजा जा चुका है.

ये भी पढ़ें: दुमका में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा, पुलिस हिरासत में तीन संदिग्ध


एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने दी जानकारी

दुमका एसडीपीओ नुर मुस्तफा ने पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी जिसके आधार पर यह कारवाई हुई. उन्होंने कहा कि यह कारोबार इसी साल के फरवरी से संचालित था. पूछताछ में पता चला कि पहले यह लोग जमुई में यह फैक्ट्री चलाते थे. जिसे बाद में दुमका जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर पत्ताबाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया. उन्होंने बताया कि यहां से कई खेप आर्म्स जा चुके हैं. भले ही 8 माह के बाद इसका पता चला लेकिन यह बड़ी कामयाबी है और इसमें जिले के पुलिस अधिकारियों ने अच्छा काम किया है.

दुमका: पिछले 8 महीने से दुमका में अवैध गन फैक्ट्री संचालित हो रहा था. यहां से 15-20 दिन के अंतराल पर देसी पिस्टल की सप्लाई की जा रही थी. इसका खुलासा दुमका पुलिस ने किया है. एक देसी पिस्टल के निर्माण में महज पांच घंटे लगते थे और ढाई हजार रुपए में इसे बेच दिया जाता था. इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी की गई है.



क्या है पूरा मामला
दुमका पुलिस ने मंगलवार को शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पत्ताबाड़ी चौक पर राधे रिबोरिंग नाम के वेल्डिंग-फिटिंग वर्कशॉप में संचालित एक अवैध गन फैक्ट्री में छापेमारी कर की भारी मात्रा में निर्मित और अर्द्धनिर्मित देसी पिस्टल और उसके पुर्जे बरामद किए थे. आज एसडीपीओ नुर मुस्तफ़ा ने प्रेस कांफ्रेंस कर पूरे मामले पर से पर्दा उठाया है.

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राधे रिबोरिंग नाम से संचालित था दुकानपुलिस को सूचना मिली कि शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पत्ताबाड़ी चौक पर राधे रिबोरिंग नाम से एक वेल्डिंग और फिटिंग वर्कशॉप संचालित है. वहां अवैध रूप से आर्म्स का निर्माण किया जा रहा है. पुलिस ने वहां छापेमारी की और भारी मात्रा में असलहा बरामद किया. इस मामले में पुलिस ने अरुण कुमार, रणधीर कुमार, निलेश कुमार और मैसर को गिरफ्तार किया है. इसमें से मैसर पिस्टल का खेप खरीद कर ले जाने आया था. गिरफ्तार किए गए चारों लोग बिहार के रहने वाले हैं. क्या-क्या हुआ बरामद
अर्धनिर्मित देसी पिस्टल 24
पिस्टल बॉडी12
पिस्टल ग्रीप10
पिस्टल बैरल18
पिस्टल स्लाइड24
ड्रिल मशीन01
लेदमशीन01
कटर मशीन01
बोरिंग मशीन02
जेनरेटर02
नकद60, 000
स्कूटी01
मोबाइल04



पांच घंटे में तैयार कर लेते थे पिस्टल
फैक्ट्री के मुख्य संचालक अरुण कुमार और उनके सहयोगियों से जब पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि ये सभी बिहार के जमुई जिले से यहां आए थे. इसके बाद उन्होंने किराए पर जगह लिया और वर्कशॉप खोला था. चारों आरोपी इसी वार्कशॉप में रहते हैं. दिन में ये लोहे का वेल्डिंग फिटिंग वगैरह का काम करते थे और रात में जब माहौल शांत हो जाता था तो यह देसी पिस्टल का निर्माण करते थे. यह इस काम में इतने निपुण थे कि 5 घंटे में पिस्टल बना लेते थे. हर 15 से 20 दिन पर इस आर्म्स को खरीदने वाले आते थे और इन्हें प्रति पिस्टल ढाई हजार रुपये मिलता था. यह कारोबार पिछले 8 महीने से चल रहा था और हथियारों के कई खेप यहां से भेजा जा चुका है.

ये भी पढ़ें: दुमका में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा, पुलिस हिरासत में तीन संदिग्ध


एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने दी जानकारी

दुमका एसडीपीओ नुर मुस्तफा ने पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी जिसके आधार पर यह कारवाई हुई. उन्होंने कहा कि यह कारोबार इसी साल के फरवरी से संचालित था. पूछताछ में पता चला कि पहले यह लोग जमुई में यह फैक्ट्री चलाते थे. जिसे बाद में दुमका जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर पत्ताबाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया. उन्होंने बताया कि यहां से कई खेप आर्म्स जा चुके हैं. भले ही 8 माह के बाद इसका पता चला लेकिन यह बड़ी कामयाबी है और इसमें जिले के पुलिस अधिकारियों ने अच्छा काम किया है.

Last Updated : Sep 30, 2021, 8:17 PM IST
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