दुमका: एक साल के दौरान सरसों के तेल के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. अब यह प्रति लीटर लगभग 200 रुपये हो गया था. इसे देखते हुए संथाल परगना के किसानों में सरसों की खेती के प्रति काफी रुझान देखा जा रहा है. इन लोगों ने इस बार रबी की फसल में गेहूं, चना, मटर और मसूर के मुकाबले सबसे ज्यादा सरसों की खती को तवज्जो दिया है. संथाल परगना में अगर हम आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष संथालपरगना प्रमंडल के 6 जिले दुमका, देवघर, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा और जामताड़ा में रबी की फसलों के मुकाबले सरसों की बुआई ज्यादा हुई है.
संथाल परगना के 1 लाख 7 हजार 841 हेक्टेयर जमीन पर सरसों लगाए गए हैं. वहीं अगर हम गेहूं की बात करें तो 61 हजार 788 हेक्टेयर भूमि पर उसकी खेती हो रही है. जबकि चना की खेती 55 हजार 542 हेक्टेयर और मटर 14 हजार 988 हेक्टेयर जमीन पर लगाए गए हैं. जबकि मकई सिर्फ 3 हजार 360 हेक्टेयर जमीन पर ही बोए गए हैं. यहां मकई के प्रति किसानों की रुचि कम नजर आई है.
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क्या कहते हैं संयुक्त कृषि निदेशक: सरसों की खेती के प्रति किसानों से रुझान के संबंध में संथालपरगना के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह कहते हैं कि सबसे बड़ी बात यह है कि संथालपरगना की जमीन सरसों के लिए काफी उपयुक्त है. पिछले वर्ष सरसों तेल के मूल्य में जो अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई यह भी एक मुख्य वजह है कि किसानों ने अपनी खेतों में सरसों ज्यादा लगाए हैं. इस बार सरसों का बंपर उत्पादन होने जा रहा है. उनका कहना है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष डेढ़ गुना ज्यादा सरसों की फसल प्राप्त होगी. यह किसानों के नजरिए से काफी अच्छा संकेत है कि उन्हें उनके फसल की बेहतर कीमत प्राप्त होगी. हालांकि वह यह भी मानते हैं कि अगर बंपर उत्पादन होगी तो हो सकता है कि सरसों के मूल्य में कुछ कमी आए, लेकिन इतना रेट तो जरूर रहेगा कि किसान बेहतर लाभ प्राप्त करेंगे. संयुक्त कृषि निदेशक का कहना है कि प्रकृति ने इस बार साथ दिया है, सही समय पर बारिश हुई और समय पर खेतों में बीज डाले गए. वह किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे अपने फसल पर नजर रखें, अगर सरसों में लगने वाला लाही कीट का प्रकोप देखें तो तत्काल कीटनाशक का प्रयोग करें.
किसानों के चेहरे पर खुशी: सरसों के लहलहाते फसल को देख किसानों के चेहरे पर काफी खुशी नजर आ रही है. वे साफ तौर पर कहते हैं कि जिस तरह पिछले वर्ष सरसों का तेल काफी ऊंची कीमत पर बिकी और अभी भी लगभग वही स्थिति है. ऐसे में उनके फसल की बेहतर कीमत मिलेगी. इसी वजह से उन्होंने सरसों की खेती भी की थी.