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खुद सूखी है हजारों लोगों की प्यास बुझाने वाली पानी की टंकी, अधिकारी जल्द ठीक करने का दे रहे आश्वासन

योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन वो धरातल पर उतरती कम हैं. जो योजना उतरती भी हैं तो वो देखभाल के अभाव में जल्द ही दम तोड़ देती है.

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Published : Mar 14, 2019, 9:05 PM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे तो हमेशा पानी की समस्या बनी रहती है. लेकिन कम बारिश की वजह से इस साल फरवरी-मार्च महीने में ही जलस्तर नीचे चला गया है. यह संकट और भी गहरा हो जाता है जब सरकार द्वारा लगाए गए ग्रामीण जलापूर्ति संयंत्र काम नहीं करते.

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दुमका शहरी क्षेत्र में प्रवेश के 7 किलोमीटर पहले महारो मोड़ है. इसी मोड़ से लोग देवघर, धनबाद, भागलपुर या दुमका की राह पकड़ते हैं. इस वजह से महारो गांव में हमेशा चहल-पहल रहती है. लेकिन पिछले काफी दिनों से यहां जलसंकट की स्थिति बनी है. पेजयल विभाग ने डीप बोरिंग कर एक टंकी लगाई थी और उससे लोग पानी लेते थे लेकिन पिछले काफी दिनों से यह खराब हो गया है. इससे महारो गांव के लोगों के साथ- साथ आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

क्या कहते हैं लोग
गांव की स्कूली छात्राओं, ग्रामीणों, दुकानदार सभी इस जलसंकट से परेशान हैं. सभी का कहना है कि इसका ठीक होना काफी जरूरी है. क्योंकि दो चापाकल जो थे, वह भी खराब है, इस टंकी से हजारों लोग रोज पानी पीते थे.

क्या कहना है विभाग का
इस संबंध में विभाग के कार्यपालक अभियंता ने कहा कि दुमका के वैसे सात ग्रामीण जलापूर्ति योजना जो अपूर्ण या आंशिक रूप से खराब हैं, उसके लिए रिपोर्ट तैयार कर स्वीकृति के लिए भेज दी गई है. इन सात योजना में महारो गांव की भी योजना शामिल है. वो इसे जल्द ठीक करने की बात कहते हैं.

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे तो हमेशा पानी की समस्या बनी रहती है. लेकिन कम बारिश की वजह से इस साल फरवरी-मार्च महीने में ही जलस्तर नीचे चला गया है. यह संकट और भी गहरा हो जाता है जब सरकार द्वारा लगाए गए ग्रामीण जलापूर्ति संयंत्र काम नहीं करते.

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दुमका शहरी क्षेत्र में प्रवेश के 7 किलोमीटर पहले महारो मोड़ है. इसी मोड़ से लोग देवघर, धनबाद, भागलपुर या दुमका की राह पकड़ते हैं. इस वजह से महारो गांव में हमेशा चहल-पहल रहती है. लेकिन पिछले काफी दिनों से यहां जलसंकट की स्थिति बनी है. पेजयल विभाग ने डीप बोरिंग कर एक टंकी लगाई थी और उससे लोग पानी लेते थे लेकिन पिछले काफी दिनों से यह खराब हो गया है. इससे महारो गांव के लोगों के साथ- साथ आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

क्या कहते हैं लोग
गांव की स्कूली छात्राओं, ग्रामीणों, दुकानदार सभी इस जलसंकट से परेशान हैं. सभी का कहना है कि इसका ठीक होना काफी जरूरी है. क्योंकि दो चापाकल जो थे, वह भी खराब है, इस टंकी से हजारों लोग रोज पानी पीते थे.

क्या कहना है विभाग का
इस संबंध में विभाग के कार्यपालक अभियंता ने कहा कि दुमका के वैसे सात ग्रामीण जलापूर्ति योजना जो अपूर्ण या आंशिक रूप से खराब हैं, उसके लिए रिपोर्ट तैयार कर स्वीकृति के लिए भेज दी गई है. इन सात योजना में महारो गांव की भी योजना शामिल है. वो इसे जल्द ठीक करने की बात कहते हैं.

Intro:दुमका - झारखंड की उपराजधानी दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे तो हमेशा पानी की समस्या बनी रहती है लेकिन पिछले दो वर्ष से अल्पवर्षा की वजह से इस वर्ष फरवरी मार्च माह में ही जलस्तर नीचे चला गया है और जलसंकट नजर आने लगा है । यह संकट और भी गहरा हो जाता है जब सरकार द्वारा लगाए गए ग्रामीण जलापूर्ति संयंत्र काम नहीं करता । ग्रामीण पेजयल के लिए काफी परेशान नजर आते हैं ।


Body:उपराजधानी के प्रवेश द्वार में जलसंकट ।
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आप दुमका आये तो शहरी क्षेत्र में प्रवेश के 7 किलोमीटर पूर्व महारो मोड़ है । इसी मोड़ से लोग देवघर , धनबाद , भागलपुर या दुमका की राह पकड़ते हैं । इस वजह महारो गांव में हमेशा चहल- पहल रहती है । लेकिन पिछले काफी दिनों से यहाँ जलसंकट की स्थिति बनी है । पेजयल विभाग ने डीप बोरिंग कर एक टँकी लगाई थी और उससे लोग पानी लेते थे लेकिन पिछले काफी दिनों से यह खराब हो गया है । इससे महारो गांव के लोगों के साथ साथ आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है ।

क्या कहते हैं लोग ।
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ईटीवी भारत उस गांव में पहुंच कर स्कूली छात्राओं , ग्रामीणों, दुकानदारों सभी से इस जलसंकट को लेकर पूछा तो सभी ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि इसका ठीक होना काफी जरूरी है क्योंकि दो चापाकल भी था वह भी खराब है । इस टंकी से हजारों लोग रोज पानी पीते थे ।

बाईट - दो छात्रा
बाईट - कीर्ति दत्ता , ग्रामीण
बाईट - बबलू , दुकानदार


Conclusion:क्या कहना है विभाग का ।
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इस संबंध में जब हमने विभाग के कार्यपालक अभियंता से बात की तो उन्होंने बताया कि दुमका के वैसे सात ग्रामीण जलापूर्ति योजना जो नहीं पूर्ण या आंशिक रुप से खराब है उसके लिए प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजा गया है । इन सात योजना में महारो गांव का भी योजना शामिल है । वे इसे जल्द ठीक करने की बात कहते हैं ।

बाईट - मनोज कुमार चौधरी , अभियंता , पेजयल विभाग , दुमका

फाईनल वीओ -
हमने आपको बताया कि किस तरह महारो गांव में जलसंकट है । ग्रामीण जलापूर्ति संयंत्र खराब है । हजारों लोग परेशान है । इसका तत्काल निदान आवश्यक है ऐसे में विभाग को युद्धस्तर पर इसे दुरुस्त करने की जरूरत है जबकि वह अभी भी कागजी घोड़े दौड़ा रहा है ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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