दुमका: प्राकृतिक संपदा के मामले में दुमका जिला काफी धनी है, लेकिन इन दिनों यहां के जंगलों को असामाजिक तत्वों की बुरी नजर लग गई है. पिछले कुछ दिनों से मसानजोर और शिकारीपाड़ा के जंगलों में शाम होने के बाद आग लगा दी जा रहा है. इससे छोटे-छोटे पौधे और झाड़ियां जलकर राख हो जा रही हैं. वहीं बड़े पेड़ों को भी नुकसान हो रहा है. जंगलों में रहने वाले छोटे जानवर भी बेमौत मर रहे हैं.
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मसानजोर क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कौन कि आग कौन लगाता है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इसे काफी चिंताजनक बताया और इसे रोकने की मांग की. बिना कैमरे के सामने आए उन्होंने यह जानकारी दी कि जो लोग महुआ चुनते हैं वही जंगलों में आग लगाते हैं. ताकि झाड़ियां जलकर राख हो जाए और उस जगह को साफ कर देने के बाद जो महुआ नीचे गिरे उसे आसानी से उठा सकें. मतलब थोड़े से फायदा के लिए वे प्रकृति और पर्यावरण से खिलवाड़ कर रहे हैं.
जंगल में आग लगने के मामले में पंचायत प्रतिनिधियों ने चिंता जताई है. दुमका जिले के मुखिया संघ के अध्यक्ष चंद्रमोहन हांसदा ने कहा कि वे लोग प्रकृति की पूजा करते हैं. वनों और पेड़ों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है. लेकिन असामाजिक तत्वों द्वारा इसे नुकसान पहुंचाया जा रहा है. वे वन विभाग से इस पर आवश्यक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इस मामले पर दुमका के क्षेत्रीय वन पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने कहा कि जंगलों में आग लगने के मामले में फॉरेस्ट गार्ड को निर्देशित किया है कि वे जंगलों पर कड़ी निगरानी रखें. गांव में जंगलों की रक्षा करने के लिए ग्रामीणों की जो कमेटी बनी है उसे भी सक्रिय किया जा रहा है. इसके अलावा ऐसे असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर कारवाई की जाएगी जो जंगल में आग लगा रहे हैं.