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खेती पर पड़ रहा बारिश नहीं होने का सीधा असर, कृषि विभाग ने दिए ये सुझाव

दुमका के संथाल परगना में बारिश कम होने से खेती प्रभावित हो रही है. कृषि विभाग ने सुझाव दिया कि मध्यम और ऊंची जमीन पर धान की खेती परंपरागत रोपा विधि से बिचड़ा तैयार करने के बाद न करके सीधी बुवाई प्रणाली से खेती करें.

खेती पर पड़ रहा बारिश नहीं होने का सीधा असर
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Published : Jul 24, 2019, 7:26 AM IST

दुमका: संथाल परगना में इस साल भी मानसून की स्थिति बेहतर नहीं दिख रही है. इसका सीधा असर कृषि पर पड़ रहा है. कई इलाकों में खेत की जुताई नहीं हुई है, तो कहीं जुताई के बाद किसान धान का बीज खेत में नहीं डाल डाल पाए. वहीं, बिचड़ा तैयार है तो रोपनी के लिए बारिश का इंतजार हो रहा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

कृषि विभाग के आंकड़ो की मानें, तो पूरे संथालपरगना में 3 लाख 64 हज़ार 500 हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपाई का लक्ष्य है. हालांकि अब तक सिर्फ 26 हजार 850 हेक्टेयर यानि 7 फीसदी धान की बुवाई हुई है. ऐसे में किसानों के लिए जरूरी हो गया है कि वो कृषि क्षेत्र में विकल्प पर ध्यान दें.

संथालपरगना के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह कहते हैं कि बारिश की स्थिति कमजोर देखते हुए धान की जगह मकई, अरहर, उड़द की खेती करें. इसमें कम पानी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया है कि मध्यम और ऊंची जमीन पर धान की खेती परंपरागत रोपा विधि से बिचड़ा तैयार करने के बाद न करके सीधी बुवाई प्रणाली से खेती करें.

इस खेती में धान का बीज खेत में कतारबद्ध तरीके से लगाए. इसमें पानी कम लगता है और फसल बर्बाद नहीं होती. उपज की मात्रा कम हो सकती है पर औसत उत्पादन हो जाएगा. इस विधि से खेती करने में एकमात्र समस्या यह आती है कि बीज ज्यादा मात्रा में लगाना पड़ता है.

दुमका: संथाल परगना में इस साल भी मानसून की स्थिति बेहतर नहीं दिख रही है. इसका सीधा असर कृषि पर पड़ रहा है. कई इलाकों में खेत की जुताई नहीं हुई है, तो कहीं जुताई के बाद किसान धान का बीज खेत में नहीं डाल डाल पाए. वहीं, बिचड़ा तैयार है तो रोपनी के लिए बारिश का इंतजार हो रहा है.

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कृषि विभाग के आंकड़ो की मानें, तो पूरे संथालपरगना में 3 लाख 64 हज़ार 500 हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपाई का लक्ष्य है. हालांकि अब तक सिर्फ 26 हजार 850 हेक्टेयर यानि 7 फीसदी धान की बुवाई हुई है. ऐसे में किसानों के लिए जरूरी हो गया है कि वो कृषि क्षेत्र में विकल्प पर ध्यान दें.

संथालपरगना के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह कहते हैं कि बारिश की स्थिति कमजोर देखते हुए धान की जगह मकई, अरहर, उड़द की खेती करें. इसमें कम पानी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया है कि मध्यम और ऊंची जमीन पर धान की खेती परंपरागत रोपा विधि से बिचड़ा तैयार करने के बाद न करके सीधी बुवाई प्रणाली से खेती करें.

इस खेती में धान का बीज खेत में कतारबद्ध तरीके से लगाए. इसमें पानी कम लगता है और फसल बर्बाद नहीं होती. उपज की मात्रा कम हो सकती है पर औसत उत्पादन हो जाएगा. इस विधि से खेती करने में एकमात्र समस्या यह आती है कि बीज ज्यादा मात्रा में लगाना पड़ता है.

Intro:दुमका -
संथाल परगना में इस वर्ष भी अब तक मानसून की स्थिति बेहतर नहीं दिख रही है । इसका सीधा प्रभाव कृषि कार्य पर पड़ रहा है । कई इलाकों में खेत की जुताई नहीं हुई है तो कहीं जुताई के बाद किसान धान का बीज खेत में नहीं डाल डाल पाए हैं या फिर कहीं बिचड़ा तैयार है तो रोपनी के लिए बारिश का इंतजार हो रहा है । कृषि विभाग की आंकड़ो की मानें तो पूरे संथालपरगना में 3 लाख 64 हज़ार 500 हेक्टेयर जमीन पर धान की रोपाई का लक्ष्य है लेकिन अब तक सिर्फ 26 हज़ार 850 हेक्टेयर अथार्त 7% धान की बुवाई हुई है । ऐसे में किसानों के लिए जरूरी हो गया है कि वह कृषि क्षेत्र में विकल्प पर ध्यान दें ।


Body:क्या हो सकता है विकल्प , संयुक्त कृषि निदेशक ने किसानों को दिया सुझाव ।
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संथालपरगना के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह कहते हैं कि बारिश की स्थिति कमजोर देखते हुए धान की जगह मकई, अरहर, उड़द की खेती करें । इसमें कम पानी चाहिए । उन्होंने सुझाव दिया है कि मध्यम और ऊंची जमीन पर जमीन धान की खेती परंपरागत रोपा विधि से बिचड़ा तैयार करने के बाद न करके सीधी बुवाई प्रणाली से खेती करें । इसमें धान का बीज खेत में कतारबद्ध तरीके से लगाए । इसमें पानी कम लगता है और फसल बर्बाद नहीं होता । उपज की मात्रा कम हो सकती है पर औसत उत्पादन हो जाएगा । इस विधि से खेती करने में एकमात्र समस्या यह आती है कि बीज ज्यादा मात्रा में लगाना पड़ता है ।

बाईट - अजय कुमार सिंह , संयुक्त कृषि निदेशक , संथालपरगना


Conclusion:बारिश नहीं होने से किसान परेशान ।
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हमने दुमका के खेतों की स्थिति देखी , पानी नाममात्र का नज़र आया । सदर प्रखंड के लखीकुंडी गांव की एक महिला किसान प्रभा देवी अपने खेत मे मिली उन्होंने बताया कि बारिश हो नहीं रही है खेती कैसे करें समझ में नहीं आता ।

बाईट - प्रभा देवी , किसान

फाईनल वीओ -
कहते हैं भारतीय कृषि मॉनसून के साथ जुआ है । आज भी यही स्थिति नजर आ रही है । ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने जो सुझाव किसानों को दिए हैं अगर वह अपनाया जाए तो किसानों के चेहरे पर खुशी आ सकती है ।
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