दुमका: झारखंड से अक्सर लोग दूसरे राज्यों में काम करने के लिए जाते हैं. इसी तरह जरमुंडी थाना क्षेत्र के खरसुंडी बाराटांड गांव से तीन लोगों सुरेंद्र मिर्धा, जयनाथ दास, पवन सिंकदार को पश्चिम बंगाल के मालदा में जियाउल हक नाम के व्यक्ति ने काम दिलाने के बहाने बुलाया. लेकिन वहां पर उसने तीनों को बंधक बना लिया और छोड़ने के एवज में 11 लाख रुपए की मांग की. जब इन्होंने पैसे दिने से इनकार किया तो इनके साथ ना सिर्फ मारपीट की गई बल्कि इन्हें 7 दिनों तक घने जंगल में बांधकर रखा गया. इस दौरान इन्हें टॉर्चर किया जाता था.
जरमुंडी थाना क्षेत्र के खरसुंडी बाराटांड गांव के रहने वाले तीन लोगों सुरेंद्र मिर्धा, जयनाथ दास, पवन सिंकदार को जियाउल हक नाम के व्यक्ति ने काम दिलाने के बहाने पश्चिम बंगाल बुलाया और वहां उनका अपहरण कर लिया. इस दौरान उसने इनसे 11 लाख रुपए की मांग की. जब इन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो इन्हें घने जंगल में ले गए और वहां 7 दिनों तक इनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई. पीड़ितों का आरोप है कि घने जंगल में इनके हाथ पैर जंजीर से बांध दिए गए थे. इन्हें भूखे प्यासे रखा जाता था और बेहद अमानवीय व्यवहार किया जाता था. मारपीट के बाद आखिरकार इन्होंने 8 लाख देने की बात मानी.
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जब पीड़ितों ने अपने परिवारवालों को पैसे के लिए फोन किया तो उन्होंने मामले को भांपते हुए प्रशासन की मदद मांगी, साथ ही उन्होंने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से भी मदद की गुहार लगाई. इस मामले की जानकारी जब सामाजिक कार्यकर्ता संजीत यादव को मिली तो उन्होंने इनकी मदद के लिए दुमका उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से बात की. जिसके बाद प्रशासनिक स्तर पर मालदा के उपायुक्त और एसपी सहित पदाधिकारियों से संपर्क किया गया और समन्वय स्थापित कर तीनों ग्रामीणों की सकुशल बरामदगी कराई गई.
पड़ितों का कहना है कि प्रशासन के कड़े रुख और कठोर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी से घबराकर अपहरणकर्ता ने उन्हें 8 लाख रुपए के स्वीकृति पत्र लिखवा कर छोड़ दिया. जिसके बाद तीनों को कालियाचक पुलिस ने अपनी सुरक्षा में पाकुड़ उपायुक्त की भेजी गई गाड़ी से वापस भेज दिया. जहां से पुलिस उन्हें अपने साथ लेकर जरमुंडी वापस पहुंची.