धनबाद: बाघमारा के कतरास अंतर्गत कोरोना को खात्मा के लिए अंधविश्वास जोर पकड़ रहा है. हालांकि प्रशासन लगातार इस संबंध में लोगों को जागरूक करते हुए अंधविश्वास से दूर रहने का आवाह्नन कर रहा है. इसके बाबजूद मां लिलौरी मंदिर के कतरी नदी घाट पर महिलाएं कोरोना को कोरोना मां कहकर पूजा कर रही हैं.
इस लेकर मां लिलौरी मंदिर के पुजारी हराधन चक्रवर्ती ने बताया कि कई दिनों से महिलाओं की टोली आ रही है, जो नदी के घाट पर पूजा कर रही हैं ताकि कोरोना का प्रकोप यहां से खत्म हो जाए.
वहीं, महिलाओं ने पूजा करने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि घर समाज को कोरोना से सुरक्षा मिले यही कामना करते हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस चीन से आया है तो वे यही विनती कर रही हैं कि कोरोना, वापस चीन चला जाए.
गंगा स्नान कर कोरोना माई की पूजा
वहीं, साहिबगंज में कोरोना को लेकर अंधविश्वास का मामला देखने को मिला. दरअसल, जिले में एक वायरल वीडियो को सुनकर हजारों की संख्या में महिलाएं गंगा स्नान कर कोरोना माई की पूजा करने पहुंच गई.
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छत्तीसगढ़ में भी हो चुका है ऐसा मामला
बता दें कि देशभर में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है और इससे बचाव के लिए तमाम तरह के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन बढ़ती टेक्नॉलॉजी और विज्ञान के दौर में अंधविश्वास भी चरम पर है. छत्तीसगढ़ के भिलाई में कुछ महिलाएं ने कोरोना को वायरस नहीं, बल्कि माई मानकर पूजा कर रहे हैं. उनका मानना है कि कोरोना वायरस नहीं देवी हैं, जो रूठी हुई हैं. इनकी विधिवत पूजा की जाए तो यह हमारा देश छोड़ कर चली जाएंगी. इसलिए वह कोरोना माई की पूजा कर रही हैं.
बकरे की बलि देकर की कोरोना की पूजा
कोडरमा के देवी मंडप मंदिर में भी अंधविश्वास देखने को मिला. जहां लोग अषाढ़ी पूजा के नाम पर सैकड़ो बकरे और मुर्गों की बलि देकर पूरे गांव को कोरोना से बचाने के लिए पूजा अर्चना की.
ग्रामीण क्षेत्रों में दैवीय प्रकोप मानकर पूजा-पाठ
वहीं, धनबाद के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में कोरोना को लेकर अंधविश्वास देखा गया. महिलाओं ने इसे दैवीय प्रकोप मानकर पूजा-पाठ की.
गौमूत्र-गोबर का प्रयोग से कोरोना का खात्मा
कोरोना वायरस का इलाज भले दुनिया अभी तक नहीं तलाश पाई है, लेकिन उत्तराखंड के लक्सर से भाजपा विधायक संजय गुप्ता ने इसकी दवा बताए. उनका दावा था कि वैदिक परंपराओं के अनुसार हवन यज्ञ और गौमूत्र-गोबर का प्रयोग इसका इलाज है. गोमूत्र सेवन और प्रभावित स्थान पर गोबर के प्रयोग से भी कोराना वायरस को खत्म किया जा सकता है.
अब कोयले से कोरोना का इलाज
कोरोना के कहर से बचने के लिए जहां पूरी दुनिया में अभी तक कोई दवा नहीं बना सकी है. वहीं, पड़ोसी देश नेपाल और उत्तराखंड पिथौरागढ़ जनपद के विकास खंड बेरीनाग, गंगोलीहाट, मुनस्यारी, धारचूला और डीडीहाट सभी विकासखंडों के गांवों के ग्रामीणों इसकी दवा खोजने का दावा कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग घर के सामने कुछ दूरी पर जमीन खोदने पर कोयला निकाल कर और उससे कोरोना वायरस को मारने का दावा कर रहे हैं.