धनबाद: बच्चा चोरी की अफवाह को लेकर आए दिन लोग शिकार हो रहे हैं. इनमें ज्यादातर लोग अर्द्ध विक्षिप्त हैं. कुछ की जान चली जा रही है, तो कुछ की जान बचाने में पुलिस सफल हो जाती है. पुलिस उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराती है. अस्पताल में किस कदर उनका इलाज किया जाता है और पुलिस कितनी बेरहमी से उनसे पेश आती है.
अफवाह में महिला की पिटाई
बच्चा चोरी की अफवाह का असर विशेष कर वैसे लोगों पर पड़ रहा है. जिनकी स्थिति मानसिक रूप से अच्छी नहीं है. उनकी वेशभूषा को देख लोग उन्हें बच्चा चोर समझ बैठते हैं. धीरे-धीरे लोगों की भीड़ इकट्ठा होती चली जाती है और फिर सभी मिलकर पिटाई शुरू कर देते हैं. पुलिस वैसे अर्द्ध विक्षिप्तों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराती है. लेकिन वार्ड में उनकी स्थिति देखकर ऐसा महसूस होता है मानो जानवरों से भी बद्दतर उनके साथ सलूक किया जा रहा हो. पिछले दिनों मुनीडीह में बच्चा चोरी की शंका पर एक अर्द्ध विक्षिप्त महिला की पिटाई की गई.
महिला का हाथ पैर बांधा
पुलिस ने उसकी जान बचाकर अस्पताल में भर्ती कराया. महिला अस्पताल में भर्ती जरूर है, उसका इलाज भी चल रहा है. लेकिन महिला के हाथ पैर बंधे हुए हैं. महिला कुछ भी बोल पाने में असमर्थ है. महिला की सुरक्षा में दो महिला पुलिस और एक पुरुष पुलिस को तैनात किया गया है. वे कहते हैं कि उठकर यह भागने लगती है, इसलिए इन्हें हाथ पैर बांधकर रखा गया है.
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'मरीजों को बांधकर रखना मानवता के खिलाफ'
जिले के एसएसपी किशोर कौशल भी मानते हैं कि मॉब लिंचिंग का शिकार ज्यादातर अर्द्ध विक्षिप्त लोग हो रहे हैं. वह कहते हैं कि ऐसे लोगों की इलाज की जरूरत है. सरकार की ओर से उनके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. पीएमसीएच अधीक्षक डॉ एचके सिंह ने कहा कि इस तरह की मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में डॉक्टर के साथ-साथ हर तरह की मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं. वार्ड में ऐसे मरीजों को बांधकर रखना मानवता के खिलाफ है.